Friday 14 May 2021

मजीठिया: अखबारों के डीटीपी ऑपरेटरों के लिए खुशी की खबर...



अदालत ने दिया 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स' के डीटीपी ऑपरेटरों को भी मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने का आदेश 


कंपनी ने दावा किया था कि मजीठिया वेज बोर्ड में नहीं आते डीटीपी ऑपरेटर


सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा की मेहनत फिर रंग लाई


जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में महाराष्ट्र से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' के तीन डीटीपी ऑपरेटरों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुम्बई के लेबर कोर्ट से शानदार जीत हासिल की है। ये डीटीपी ऑपरेटर हैं- हरीश पुजारी, भारती उमेश कोटियन और दामोदर पुजारी। ये तीनों डीटीपी ऑपरेटर 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' के कन्नड़ दैनिक 'कर्नाटक मल्ला' में कार्यरत हैं, जिन्होंने देश भर के समाचार पत्रों में कई साल से उपेक्षित डीटीपी ऑपरेटरों के सामने एक नजीर पेश कर दी है। 


असल में मजीठिया वेजबोर्ड के रिकमेंडेशन में डीटीपी ऑपरेटर के पोस्ट का स्पष्ट उल्लेख नहीं था, जिसके कारण कंपनी इन्हें मजीठिया वेजबोर्ड की सुविधाएं नहीं दे रहीं थीं। इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों के पास नियुक्ति पत्र तक नहीं था और इनकी सैलरी स्लिप से इनका पोस्ट भी कई सालों से हटा लिया गया था। फिर भी, इन्होंने हिम्मत दिखाई और अपनी लड़ाई लड़ी। इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों ने महाराष्ट्र के मजीठिया क्रांतिकारी और 'श्री अंबिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' में ही कार्यरत शशिकांत सिंह से संपर्क किया। इसके बाद शशिकांत सिंह ने इनके मामले का पूरा स्टडी किया और सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने एडवोकेट उमेश शर्मा को पूरे मामले की जानकारी दी, तत्पश्चात् केस का गंभीरता से अध्ययन खुद उमेश शर्मा ने किया और पाया कि मजीठिया वेजबोर्ड के रिकमेंडेशन में भले डीटीपी ऑपरेटरों का पोस्ट गायब है, लेकिन पहले के कई रिकमेंडेशन में ये या इसके समानांतर पोस्ट रहे हैं और कार्य की प्रक्रिया भी समान है।


इसके बाद शशिकांत सिंह ने उमेश शर्मा के मार्गदर्शन में आरटीआई का सहारा लिया। उमेश शर्मा ने इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों से वर्ष 2016 में ही कह दिया था कि आप लोग केस लगाइए... आपकी जीत तय है। उमेश शर्मा ने इस मामले की सुनवाई के दौरान खुद दिल्ली से आ कर मुंबई स्थित लेबर कोर्ट में उपस्थित होकर अदालत से लिखित रूप से निवेदन किया कि इन कर्मचारियों के डॉक्युमेंट्स को अदालत में जमा कराया जाए। अदालत ने उमेश शर्मा के इस आवेदन को स्वीकार कर लिया और कंपनी को निर्देश दिया कि इन कर्मचारियों के डॉक्युमेंट्स अदालत में जमा किए जाएं। आखिर कंपनी ने कर्मचारियों के डॉक्युमेंट्स अदालत में जमा कराए और कहा कि डीटीपी ऑपरेटर पोस्ट को लेकर मजीठिया वेजबोर्ड में कहीं उल्लेख नहीं है। फिर भी, कंपनी द्वारा जमा कराए गए डॉक्युमेंट्स और आरटीआई से इन कर्मचारियों को बहुत मदद मिली... उमेश शर्मा ने अदालत में जमकर बहस भी की। इस दौरान कंपनी ने कोर्ट में अपने वकील और उनकी टीम को भेजा तो उमेश शर्मा ने अदालत को इन डीटीपी ऑपरेटरों के कार्य के बारे में विस्तार से बताया।


मुम्बई के बांद्रा स्थित चतुर्थ लेबर कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश एफ. एम. पठान ने उमेश शर्मा के तर्क और साक्ष्य को सही माना और तीनों डीटीपी ऑपरेटरों को मजीठिया वेजबोर्ड के रिकमेंडेशन का हिस्सा माना और इन कर्मचारियों को मजीठिया वेजबोर्ड में कंपनी को ग्रुप 5 में मानते हुए उसी अनुसार एरियर देने और वेतन वृद्धि करने का आदेश दिया, जबकि कंपनी इन कर्मचारियों को सातवें ग्रेड से वेतन दे रही थी। अब इन डीटीपी ऑपरेटरों के लिए कंपनी को 5वें ग्रेड के हिसाब से लाखों रुपये देने होंगे, साथ ही इनका मासिक वेतन भी 50 हजार के करीब करना होगा। माननीय न्यायाधीश ने इन सभी कर्मचारियों में जिनकी सेवा 10 साल हो गई है, उन्हें एक प्रमोशन तो बीस साल होने पर दो प्रमोशन और तीस साल की सेवा पूरी होने पर तीन प्रमोशन देने का भी आदेश दिया। इस आदेश के बाद इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों को दो-दो प्रमोशन एक साथ मिलेगा। इसी के साथ प्रत्येक 2 साल पर इन कर्मचारियों को नियमानुसार, एलटीए देने का भी अदालत ने आदेश दिया। साथ ही कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट, पांचवें ग्रेड के हिसाब से हाउस रेंट, ट्रांसपोर्ट एलाउंस देने और अन्य भत्ते देने का भी आदेश अदालत ने दिया है।


इसके साथ ही इन सभी कर्मचारियों ने दावा किया था कि 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' द्वारा हमें आज तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है, जिस पर कंपनी ने कर्मचारियों के इस दावे को गलत बताते हुए कहा था कि कर्मचारियों का यह दावा बिल्कुल हास्यास्पद है कि उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है ! माननीय न्यायाधीश ने कर्मचारियों के दावे को सही माना और कंपनी को लिखित रूप से आदेश दिया कि इन कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र भी दिया जाए। इन कर्मचारियों ने बताया कि 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' हम लोगों को जो सैलरी स्लिप देती है, उस पर हमारे पोस्ट लिख कर नहीं देती है। इस पर माननीय अदालत ने अपने आदेश में साफ तौर पर आदेश दिया कि कर्मचारियों के सैलरी स्लिप में उनके पोस्ट भी डाले जाएं। आपको बता दें कि इन कर्मचारियों ने लगभग 5 साल तक मजीठिया अवार्ड की लड़ाई लड़ी। इस मामले की मुम्बई के बांद्रा स्थित 8वें लेबर कोर्ट की विद्वान न्यायाधीश आर. एन. कुलकर्णी के पास लंबे समय तक सुनवाई चली थी, जिसके बाद में इसे चौथे लेबर कोर्ट के न्यायाधीश एम. एफ. पठान के पास भेजा गया था। मुम्बई में एडवोकेट राज यादव इस लड़ाई को उमेश शर्मा के सान्निध्य में लड़ा, जबकि कंपनी की तरफ से एडवोकेट एम. एस. टोपकर और एम. पवित्रा थीं। 


बहरहाल, इन सभी कर्मचारियों ने एडवोकेट उमेश शर्मा का आभार माना और कहा कि उन्होंने जिस तरह हमारी इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया, इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। इन कर्मचारियों ने जाने-माने एडवोकेट उमेश शर्मा, ला फर्म 'मुल्ला एंड मुल्ला' और उसके वकील श्री एग्नल, एडवोकेट महेश शुक्ला, एडवोकेट राज यादव, जयपुर के सीए ध्रुव गुप्ता सहित मजीठिया क्रांतिकारियों- शशिकांत सिंह, धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ('न्यूजपेपर एंप्लॉयीज यूनियन आफ इंडिया' के जनरल सेक्रेटरी), दिनेश कुमार पाल, ताराचंद्र रॉय, नागेश पुजारी, डॉक्टर अजय मुखर्जी आदि से मिले सुझाव और सहयोग के लिए भी उनका धन्यवाद दिया है।


धर्मेन्द्र प्रताप सिंह

जनरल सेक्रेटरी

न्यूजपेपर एम्प्लॉयीज यूनियन ऑफ इंडिया

मोबाइल: 9920371264

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