Friday 10 November 2017

मजीठिया: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सुनामी असर

तीन महीने के अंदर ट्रांसफार्मर मामले में सुनवाई करने का निर्देश
श्रम विभाग ने लेबर कोर्ट को दिया निर्देश
मामला दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार के गया से जम्मू तबादला का
सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के अंदर ट्रांसफार्मर और टर्मिनेशन के मामले को निष्पादित करने का दे रखा है आदेश

गया। बिहार सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों का प्रयोग करते हुए आद्यौगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा- 10 की उप धारा( 2-ए ) के तहत प्रबंधन, मेसर्स जागरण प्रकाशन लिमिटेड, c -5, c -6 & 15 इंडस्ट्रीयल एरिया, पाटलिपुत्र, पटना एवं उनके कामगार पंकज कुमार पिता स्व. गिरिनदर मोहन प्रसाद, मुहलला पितामहेशवर थाना सिविल लाइन, के जिला गया के बीच विवाद को न्याय निर्णायाथ निर्देशित करना वांछित मानते हुए श्रम न्यायालय डालमिया नगर को न्याय निरणायरथ करने का निर्देश दिया है।

पंकज कुमार दैनिक जागरण के गया यूनिट के वरिष्ठ पत्रकार हैं। पंकज कुमार को प्रबंधन ने पिछले साल पहले मौखिक आदेश से 1 march को पटना ट्रान्सफर कर दिया। फिर जम्मू। पंकज कुमार जागरण के बिहार में स्थापना काल से जुड़े हुए हैं। पिछले साल पंकज कुमार गम्भीर रूप से बीमार हो गए। हर्ट और प्रोस्टेट ग्रंथि के सर्जरी से पीड़ित थे। पंकज कुमार ने अपनी गम्भीर बीमारी एवं आर्थिक स्थिति के मद्देनजर प्रबंधन से मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा के आलोक में वेतन और अन्य सुविधाएं देने की मांग की। जिसके कारण पहले पटना और फिर जम्मू तबादला कर दिया गया। प्रबंधन ने प्रताड़ित करने के लिए पंकज कुमार के October और November महीने के वेतन में 21 दिनों की कटौती कर दी। जबकि पंकज कुमार का 92 दिनों का उपार्जित अवकाश देय था।

पंकज कुमार ने श्रमायुक्त के समक्ष पिछले साल 20 march को अपने ट्रान्सफर और मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा के आलोक में एरियर भुगतान की मांग की। प्रबंधन के तुगलकी फरमान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर और एरियर भुगतान की मांग को लेकर दो रिट याचिका दायर की। पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश नागेन्द्र राय साहब ने पंकज कुमार को न्याय दिलाने के लिए  सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई एवं नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने रिट याचिका 330/17की सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ट्रान्सफर और टर्मीनेशन के मामले को छह महीने के अंदर श्रम आयुक्त और श्रम न्यायालय निष्पादित करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार का श्रम विभाग लम्बित मजीठिया वेजबोर्ड से सम्बंधित सभी वादो को प्राथमिकता के साथ अन्तिम रूप देने में लग गया है। पंकज कुमार के ट्रान्सफर मामले में तीन महीने के अंदर लेबर कोर्ट को निर्णय सुनाने की समय सीमा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सुनामी असर के रूप में देखा जा सकता है।

नहीं ली फीस
पूर्व मुख्य न्यायाधीश (कार्यकारी ) नागेन्द्र राय ने पंकज कुमार का सु्प्रीम कोर्ट में पक्ष रखने के लिए एक रुपया फीस नहीं ली।

लेबर कोर्ट को भेजे गए निर्देश में दो point है। अनुबंध क के तहत है
1 क्या जस्टिस मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप वेतन वृद्धि की मांग करने के कारण श्री पंकज कुमार का स्थानांतरण किया जाना न्यायोचित है?
2 यदि नहीं तो श्री कुमार किस सहायय के हकदार हैं?

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