Tuesday 8 August 2017

मजीठिया: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराएगी उप्र सरकार

अखबार मालिकों से दरियादिली दिखाने की अपेक्षा की यूपी के श्रम मंत्री ने

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की रौशनी में मीडियाकर्मियों को न्याय मिले
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के मामले में सरकार की मंशा साफ़ है. सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अक्षरशः अनुपालन हो. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मालिकान अगर अपने स्तर से सुनिश्चित कराते हैं तो यह उनकी महानता होगी. उन्होंने कहा कि इरादे नेक हों तो हर समस्या का हल किया जा सकता है.
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने के सम्बन्ध में विधानभवन के तिलक हाल में आयोजित त्रिपक्षीय बैठक के दौरान राज्य के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह विषय बहस और चर्चा का नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के सम्मान का विषय है. मुद्दे का सम्मानजनक हल निकले इसकी पहल यदि समूह मालिकों की ओर से होगी तो स्वागत करेंगे. हमारी भूमिका प्रशासक की नहीं बल्कि बातचीत से सुलझाने की होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि मंशा साफ़ नहीं होती तो यह बैठक बुलाई ही नहीं गयी होती. हम किसी पर दबाव नहीं बनाना चाहते लेकिन अनुरोध है कि सरकार के किसी हस्तक्षेप की गुंजाइश न रहे, अखबार मालिकों को दरियादिली दिखानी पड़ेगी. श्रम मंत्री ने 19 जून के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अध्ययन करने की बात कही, साथ ही प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि किसी सीनियर अफसर को इस मामले के लिए नियुक्त किया जाए जो मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन को अवगत कराते रहें.
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के लागू न हो पाने के पीछे समूहों के प्रतिनिधियों के अलग-अलग बयान के कारण भ्रम की स्थिति बनी है.  सहारा प्रबंधन की ओर से सकल लाभ को जोड़कर सेलेरी बढ़ाने की बात की गयी जबकि हिन्दुस्तान की राय इससे भिन्न थी. स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था कि आयोग के निर्णयों के क्रियान्वयन में पारदर्शिता रहे और सकारात्मक दिशा में आगे बढे.
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष और इन्डियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट के उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने इस बैठक में कहा कि हम पत्रकार व गैर पत्रकार मीडिया कर्मियों के मामले में आपसे साकारात्मक हस्तक्षेप की अपेक्षा रखते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय के आलोक में मीडिया समूहों को अपने कर्मियों को उचित वेतन देने के लिए बाध्यकारी आदेश पारित करे और उसका अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए.
श्री तिवारी ने श्रम मंत्री का ध्यान मजीठिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कुछ प्रमुख बिंदुओं की ओर दिलाया. उन्होंने कहा कि हम आपसे इन निर्देशों के सुनिश्चित अनुपालन कराने की अपेक्षा रखते हैं.
हेमंत तिवारी ने श्रम मंत्री से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने 19 जून 2017 के आदेश में यह साफ कहा कि सभी समाचार पत्र समूह व मीडिया समूह मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करें.
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि मीडिया समूहों के जिन कर्मियों ने प्रबंधन के साथ समझौते के तहत मजीठिया वेज बोर्ड की 20 जे के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं उन्हें भी वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन दिया जाना अनुमन्य होगा. य़दि उनका कुल वेतन मजीठिया आयोग की सिफारिशों से कम है.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें उन सभी नियमित व ठेके पर रखे गए मीडिया कर्मियों पर भी लागू होंगी जिनका उल्लेख वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 16 में है.
इसके अलावा वैरिएबल डियरनेस अलाउंस सभी मीडिया कर्मियों को दिया जाएगा. मीडिया समूह इस जिम्मेदारी से नहीं बच सकते. सभी मीडिया कर्मियों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरुप वेतन व भत्ते दिए जाने का स्पष्ट निर्देश है.
उन्होंने कहा कि वेतन आयोग की रिपोर्ट में उल्लिखित समाचार पत्रों की श्रेणियों, उनके सालाना टर्नओवर के आधार पर श्रम विभाग के पास उपलब्ध है. अब सरकार से उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुपालन की अपेक्षा है.
मीडिया कर्मियों का पक्ष रखते हुए हेमंत तिवारी ने सभी पत्रकार संगठनों की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार की इस पहल का स्वागत किया जिसमें मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुपालन कराने की दिशा में अपनी रुचि दिखाई.
उन्होंने कहा कि तत्कालीन केन्द्र सरकार की ओर से मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें मानने और उसके अनुपालन को लेकर उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी उत्तर प्रदेश में अधिकांश मीडिया कर्मी इसके लाभों से वंचित हैं. इतना ही नही मजीठिया की सिफारिशों के अनुरुप वेतन देने से बचने के लिए उत्तर प्रदेश के बड़े मीडिया समूहों ने ओछे व निम्न स्तर के हथकंडे अपनाए हैं जिसमें उचित वेतन की मांग कर रहे मीडिया कर्मियों को नौकरी से निकालना, तबादला व अन्य तरह का उत्पीड़न शामिल है.
इस त्रिपक्षीय बैठक में श्रम मंत्री के अलावा श्रम राज्य मंत्री मन्नू लाल कुरील, अपर मुख्य सचिव श्रम राजेन्द्र तिवारी, अपर मुख्य सचिव एवं श्रमायुक्त पीके मोहंती, प्रदेश के विभिन्न मंडलों के उप श्रमायुक्त शामिल थे. समाचार पत्र प्रबंधन की ओर से इंडियन एक्सप्रेस, टाईम्स आफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाईम्स, दैनिक जागरण, पायनियर, राष्ट्रीय सहारा तथा अन्य समूहीं के प्रतिनिधि शामिल हुए. IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी के साथ भाष्कर दुबे, मो कामरान, राजेश मिश्रा, मो ताहिर, तमन्ना फरीदी, मो अजीज, नसीमुल्लाह, राजेन्द्र प्रसाद और उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के संयुक्त सचिव श्रीधर अग्निहोत्री, कोषाध्यक्ष इन्द्रेश रस्तोगी, मो अतहर रजा और अविनाश मिश्र शामिल थे.

1 comment:

  1. मजीठिया बेज बोर्ड से संबधित की अर्जियों की सुनवायी सहायक श्रमायुक्‍तों के द्वारा किये जाने पर जागरण प्रबंधन के वकील को आगरा में सख्‍त एतराज है। श्रमजीवी कानून के तहत शासन के द्वारा ही सुनवी किये जाने का हवाला दे रहे हैं। जबकि उ प्र सरकार की ओर से कोयी शासनादेश (12/11/2014sec17(7)117/36-1-14-530(st)/81tcdated2lucknow) दिनांक 12 नवमबर 2014 को जारी हुआ है। किन्‍तु न तो यह श्रम विभाग की वेव साइट पर ही अब तक अपलोड है और नहीं उप व सहायक श्रमायुक्‍तों को ही जारी किया गया है। इस शासनादेश के न होने से हिन्‍दुस्‍तान के आगरा एडीशन के पत्रकारों का तयशुदा मामले पर सेवायोजकों को लाभ मिला और हाईकोर्ट ने वसूली को रोक दिया। कुल मिलाकर लगता है कि उ प्र सरकार के श्रम मंत्री को शासनादेश के श्रमकार्यालयों तक पहुंचने की जानकारी नहीं है या फिर उ प्र की योगी सरकार की मंशा ही मजीठिया वादों का निस्‍तारण उलझाये रखने की है। उ प्र में सक्रिया श्रमजीवी पत्रकारों के दोनों प्रमुख संगाठनों की ओर से भी इस मामले को श्रम मंत्री या प्रमुख सचिव श्रम के समक्ष नहीं उठाया गया। जबकि इन संगठनों की भागीदारी मजीठिया सिफारिशों लागू करवाने के संबध में शासन के द्वारा बुलाई गयी सभी मीटंगों में रही है।

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