Monday 29 November 2021

डीबी कार्प को पीएफ घोेटाले में तगड़ा झटका, हाईकोर्ट में जमा करने पड़े 77 लाख रुपये




मजीठिया क्रांतिकारियों की शिकायत रंग लाई

दैनिक भाष्कर जैसे समाचार पत्रों का प्रकाशन करने वाली कंपनी डीबी कार्प के दैनिक दिव्य मराठी प्रबंधन को औरंगाबाद हाईकोर्ट ने जोरदार झटका दिया है। नियमानुसार पीएफ जमा नहीं करने पर सेंट्रल गर्वमेंट इंडस्ट्रीयल ट्रिब्यूनल (सीजीआईटी) के आदेश के खिलाफ दिव्य मराठी दैनिक को औरंगाबाद हाईकोर्ट में 76 लाख 83 हजार 542 रुपये जमा करने पड़े। इस समाचार पत्र के डिप्यूटी न्यूज एडिटर और मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले की शिकायत पर वर्ष 2017 में यह लड़ाई शुरु हुई थी। बताते हैं कि सुधीर जगदाले ने 13 अगस्त 2017 को औरंगाबाद के केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय (पीएफ ऑफिस) से यह लिखित शिकायत की थी कि डीबी कार्प अपने समाचार पत्र दैनिक दिव्य मराठी के कर्मचारियों का पीएफ नियमानुसार नहीं काटता है। जिसके बाद केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त औरंगाबाद ने 7-ए की इंन्क्वायरी शुरू की।

इस इंन्क्वायरी के दौरान मजीठिया क्रांतिकारी सूरज जोशी और विजय वानखेड़े भी जुड़े और इस प्रकरण की आखिर तक लड़ाई लड़ी। बाद में इसमें कई कर्मचारियों ने मेल के जरिए शिकायत की। इन कर्मचारियों की शिकायत थी कि डी.बी. कॉर्प अपने पत्रकारों और गैर पत्रकारों की सैलरी स्लीप पर बेसिक, एचआरए, कंवेश््य अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, एज्यूकेशन अलाउंस, स्पेशल अलाउंस आदि लिखता है मगर कंपनी सिर्फ बेसिक पर 12 फीसदी काटती है। जबकि नियमानुसार स्पेशल अलाउंस पर भी पीएफ कटना चाहिए था। इस मामले में कर्मचारियों ने सुप्रीमकोर्ट के 28 फरवरी 2019 के एक लैंड मार्क जजमेंट का हवाला दिया। तीन साल तक चली इस जांच में कोरोना ने ब्रेक लगा दिया। इसके बाद ऑनलाइन सुनवाई शुरू हुई जिसमें मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले ने अपना और सभी पत्रकारों का पक्ष रखा।

दोनो पक्ष को सुनने के बाद केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने 25-1-2021 को आदेश पारित किया कि दिव्य मराठी 15 दिन के अंदर 3 करोड़ 7 लाख 34 हजार 168 रुपये जमा करे। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त औरंगाबाद के इस आदेश के खिलाफ दैनिक दिव्य मराठी प्रबंधन सेंट्रल गर्वमेंट इंडस्ट्रीयल ट्रिब्यूनल (सीजीआईटी) नागपुर के पास चला गया। इस मामले की सुनवाई करते हुए सीजीआईटी ने दैनिक दिव्य मराठी प्रबंधन को निर्देश दिया कि वह इस पूरी राशि की 50 फीसदी रकम यानि एक करोड़ 53 लाख 67 हजार 84 रुपये जमा करे। परंतु सीजीआईटी के इस आदेश के खिलाफ दिव्य मराठी प्रबंधन औरंगाबाद हाईकोर्ट चला गया जहां उसे मुंह की खानी पड़ी। हाईकोर्ट ने सीजीआईटी के पारित आदेश का 50 फीसदी यानि 76 लाख 83 हजार 542 रुपये अपने पास जमा करने के आदेश दिए। जिसके लिए दैनिक दिव्य मराठी प्रबंधन को 28-9-2021 तक का समय दिया गया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिव्य मराठी प्रबंधन ने 76 लाख 83 हजार 542 रुपये महाराष्ट्र के औरंगाबाद हाईकोर्ट में जमा करा दिए। यह लड़ाई चार साल चली थी। इस शानदार जीत पर मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले सहित सुरज जोशी और विजय वानखेड़े को लगातार बधाई मिल रही है।


शशिकांत सिंह

पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी तथा आरटीआई एक्टीविस्ट

9322411335

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