Monday 8 November 2021

सहाराकर्मियों की काली दिवाली, छठ पर भी काले बादल



दिवाली से ठीक पहले प्रबंधन के लोग रफू-चक्कर

राष्ट्रीय सहारा को मिलते हैं लाखों के सरकारी विज्ञापन, सीबीआई जांच जरूरी

देश की लुटेरी कंपनियों में अग्रणी शुमार सहारा ग्रुप ने इस बार दिवाली को अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया। राष्ट्रीय सहारा देहरादून के कर्मचारियों की दिवाली काली रही। पत्रकार तो इधर-उधर से कमाई और वसूली कर ही लेते हैं, लेकिन अन्य स्टाफ सिर पकड़ कर रो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक सहारा ने इस साल तीन महीने वेतन ही नहीं दिया। दिवाली पर उम्मीद थी लेकिन वेतन नहीं मिला। सूत्रों के मुताबिक दिवाली से ठीक पहले दिन ही प्रबंधन के लोग आफिस से रफू-चक्कर हो गये। अब कर्मचारियों को चिन्ता है कि छठ पूजा पर भी शायद ही वेतन मिले। 

सीबीआई ने हाल में मध्य प्रदेश के दो अखबारों को झूठा सर्कुलेशन में पकड़ा है। राष्ट्रीय सहारा देहरादून ने भी एबीसी सर्कुलेशन में अपनी प्रसार संख्या 80 हजार करीब बताई है जबकि राष्ट्रीय सहारा उत्तराखंड के चारों एडिशन की प्रसार संख्या दस हजार से भी कम है। इसके बावजूद राज्य सूचना विभाग इस अखबार को हर महीने 40 से 50 लाख का विज्ञापन देता है। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय सहारा देहरादून के कर्मचारियों का कुल वेतन 12 लाख रुपये भी नहीं है। इसके बावजूद कंपनी यहां के 30 लाख से अधिक की राशि नोएडा कारपोरेट आफिस को दे देती है। 

वेतन न मिलने से कई कर्मचारियों के परिवार भुखमरी तक पहुंच चुके हैं। सहारा ग्रुप के बड़े अधिकारी किसी भी मद में आज भी लाखों रुपये निकाल लेते हैं लेकिन कर्मचारियों के लिए वेतन के लाले हैं। सहारा ग्रुप पर देश के तीन करोड़ निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप है। और सहारा को सेबी को अरबों रुपये का भुगतान करना है।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]



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