Sunday 25 April 2021

राष्ट्रीय हिंदी दैनिक की धर्मशाला ईकाई में नहीं कोरोना प्रोटोकॉल!



धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)। कोरोना महामारी जिस विकरालता के साथ भयावह होती जा रही है, इससे बचाव के लिए उतनी ही सतर्कता और सुरक्षात्मक उपायों पर जोर दिया जाना भी जरूरी है। मगर हालात कुछ ऐसे हैं कि हर सुबह देश-दुनिया की खबरों खासकर करोना संक्रमितों और इसके कारण हुई मौतों के आंकड़ों के साथ से लोगों को जागरूक करने का काम करने वाले मीडिया संस्थान खुद इसके प्रति लापरवाह हैं। कोरोना संक्रमण के प्रति इनकी लापरवाही का ताजा उदाहरण देश के 11 राज्यों से प्रकाशित होने वाले प्रमुख हिंदी समाचार पत्र के हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा (धर्मशाला) स्थित प्रकाशन केंद्र में सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार गत 17 अप्रैल को संपादकीय विभाग के दो साथी कोपॉजिटिव पाए गए हैं। 


लापरवाही की हद देखिये संपादकीय विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहला केस सामने आने के 18 घंटे तक इसकी जानकारी न ही राज्य संपादक को दी और न ही प्रकाशन केंद्र प्रमुख को। जब इसकी जानकारी राज्य संपादक को हुई तो उन्होंने उक्त अधिकारी को फटकार लगाई। मगर विडंबना यह है कि राज्य संपादक भी फटकार लगाने के बाद शांत हो गए हालांकि उन्होंने यूनिट प्रबंधक को जानकारी तो दी लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल का दायित्व निभाने की जिम्मेदारी से वह भी पीछे हट गए। यह और बात है कि अपने लेखों में आए दिन वह कोरोना प्रोटोकॉल का ज्ञान जरूर बांटते रहते हैं। 


अखबार प्रबंधन ने इससे कोई सबक नहीं लिया। न तो अन्य कर्मचारियों की कोरोना जांच के लिए कोई कदम उठाया है और न कोरोना प्रोटोकॉल का दायित्व निभाने में कोई दिलचस्पी दिखाई है। नतीजा यह हुआ कि एक और संपादकीय साथी कोरोना पाजिटिव पाया गया। अब भी प्रबंधन ने कोई एहतियात नहीं बरती है। सूत्र बताते हैं कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि अखबार प्रबंधन यूनिट को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किए जाने के डर से ग्रसित हो गया है। अन्य कर्मचारियों की जान को भी खतरे में डालने से गुरेज नहीं किया जा रहा। कोरोना काल में मीडिया कर्मियों ने वॉरियर्स की भूमिका बखूबी निभाई थी, लेकिन आज जो हालात एक प्रकाशन केंद्र में बने हैं उसकी गंभीरता को कब तक आर्थिक नुकसान के तराजू में तोल कर किसी की जान से खिलवाड़ किया जाता रहेगा।

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