Thursday 10 May 2018

मजीठिया: अखबार मालिकों को अर्थंदंड के साथ होगी जेल भी

वेजबोर्ड लागू कराने के लिए दिल्ली सरकार ने किया कानून में संशोधन




केन्द्र और देशभर की राज्य सरकारों को एक नजीर देते हुये दिल्ली की आम आदमी पार्टी पहली ऐसी सरकार बन गयी है जिसने दिल्ली के पत्रकारों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ मिले इसके लिये कानून में संशोधन किया है। इसके लिये बकायदे ८ मई २०१८ को दिल्ली राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी की गयी है।
विधि, न्याय एवं विधाई कार्य विभाग की अधिसूचना की जानकारी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने अपने आफिशियल ट्वीटर हैंडल के जरिये दी है। इसमें लिखा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा के निम्नलिखित अधिनियम में राष्ट्रपति की सहमति १७ अप्रैल को प्राप्त कर लिया है। और इसे जनसाधारण के लिये प्रकाशित किया जारहा है।
इसके तहत दिल्ली सरकार ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिये कार्यरत पत्रकार एवं अन्य के लिये समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्ते) और विविध उपबंध अधिनियम १९५५ का पुन: संशोधन किया है जिसके तहत १९५५ के केन्द्रीय अधिनियम में संख्या ४५ की धारा १७ की उपधारा १ के बाद उपधारा क को जोड़ा गया है जिसके तहत किसी अन्य प्रकार के दंड पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना , जो इस अधिनियम के अंतगर्त प्राधिकारी, समाचार पत्र के कर्मचारी को देय वेतन की राशि के पांच गूणा अधिकतम तक क्षतिपूर्ति राशि के भुूगतान का निर्देश दे सकता है। यानि अगर नियोक्ता ने कर्मचारियों का बकाया नहीं दिया तो धारा १७ (१) की नयी उपधारा क में सक्षम अधिकारी पांच गूना तक की राशि दंड स्वरुप वसूल सकता है।
साथ ही अधिनियम संख्या ४५ की धारा १८ में संशोधन करते हुये उपधारा (१) में आये शब्द अर्थदंड जो दो सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है को संशोधन करते हुये उसमें किसी प्रकार का कारावास जो ६ माह तक बढ़ाया जा सकता है या अर्थंदड जो रुपये ५००० तक बढ़ाया जा सकता है या दोनो कर दिया है। शर्त यह होगा कि किसी कर्मचारी को देय वेतन के न भुगतान करने की स्थिति में नियोक्ता किसी प्रकार के कारावास के दंड का भागी होगा। जो ६ माह तक बढ़ाया जा सकता है।
साथ ही १९५५ के केन्द्रीय अधिनियम संख्या ४५ की धारा १८ की उपधारा १(क) में आये शब्द अर्थंदंड सहित दंडनिय जो पांच सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है के स्थान पर संशोधन कर किसी अवधि के लिये किसी प्रकार की कारावास सहित दंडनीय जो एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है कर दिया है। और अर्थदंड का भी भागी होगा जो १० हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। शर्त यह है कि किसी कर्मचारी को देय वेतन के भुगतान न करने की स्थिति में नियोक्ता किसी प्रकार के कारावास सहित दंडनीय होगा। जो एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। और अर्थदंड जो एक हजार रुपये प्रति कर्मचारी प्रतिदिन की दर से बढ़ाया जा सकेगा या दोनो सहित जबतक अपराध जारी रहता है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट
९३२२४११३३५

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