Thursday 22 February 2018

मजीठिया: दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टे हटाया, HT को 4 हफ्ते के भीतर dlc में अपना पक्ष रखने का आदेश

टर्मिनेट कर्मचारी पुरुषोेत्तम सिंह के मामले में शोभना भरतिया को लगा तगड़ा झटका
एडवोकेट उमेश शर्मा ने लगातार दो दिन की थी जोरदार बहस



जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में हिन्दुस्तान टाइम्स की मालकिन शोभना भरतिया को एक बार फिर मंगलवार १९ /२/२०१८ को दिल्ली उच्च न्यायालय में मुंह की खानी पड़ी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मजीठिया वेजबोर्ड मामले से जुड़े  वसूली मामले में लगाई गई रोक को  हटा लिया। इससे हिन्दुस्तान प्रबंधन से मजीठिया वेजबोर्ड मामले में लगाए गए १७ (१) के मामले में वसूली का रास्ता साफ हो गया है। १७ (१) का यह क्लेम हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली से जबरन टर्मिनेट किए गए डिप्टी मैनेजर पुरुषोत्तम सिंह ने लगाया था जिसपर कंपनी को बकाया देने के लिए नोटिस गई तो हिन्दुस्तान प्रबंधन ने उस नोटिस पर स्टे ले लिया। लगभग तीन साल तक चली लंबी लड़ाई के बाद आखिर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस पर लगी रोक को हटा लिया है। पुरुषोत्तम सिंह का मामला सुप्रीमकोर्ट के जाने माने एडवोकेट उमेश शर्मा ने रखा। उन्होने लगातार दो दिन तक बहस की और यह रोक हटवा ली।

बताते हैं कि हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली में डिप्टी मैनेजर पद पर कार्यरत पुरुषोत्तम सिंह को वर्ष २०१५ में कंपनी ने टर्मिनेट कर दिया। उसके बाद उन्होने  एडवोकेट उमेश शर्मा से मिलकर अपने टर्मिनेशन के खिलाफ एक केस लगवाया और उसके बाद पुरुषोत्तम सिंह ने २०१५ में ही दिल्ली सेंट्रल के डिप्टी लेबर कमिश्नर लल्लन सिंह के यहां १७(१)का केस लगाया जिसपर पदाधिकारी ने २१ लाख की रिकवरी का नोटिस  भेजा,  उसके बाद कंपनी  दिल्ली हाईकोर्ट गई और वहां दिल्ली हाईकोर्ट की जज सुनीता गुप्ता ने इस नोटिस पर एकतरफा कारवाई करते हुए रोक लगा दी। इस मामले में पुरुषोत्तम सिंह ने देश भर के मीडियाकर्मियों की तरफ से माननीय सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा से अपना पक्ष रखने  की पेशकश की,  लगभग तीन साल तक चले इस केस में १९ फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में उमेश शर्मा ने पुरुषोेत्तम सिंह का पक्ष जोरदार तरीके से रखा जिसके बाद न्यायाधीश विनोद गोयल के समक्ष हमेशा की तरह हिन्दुस्तान प्रबंधन ने डेट लेने का प्रयास किया मगर उमेश शर्मा ने विद्वान न्यायाधीश से निवेदन किया कि इस बहस को लगातार जारी रखा जाए। क्योकि नोटिस पर स्टे देना पूरी तरह गलत है। मजीठिया वेजबोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट सबकुछ क्लीयर कर चुका है। जिसके बाद विद्वान न्यायाधीश ने सुनवाई अगले दिन भी जारी रखने का आदेश दिया। २० फरवरी को फिर दिल्ली हाईकोर्ट में बहस हुई और उसके बाद न्यायाधीश विनोद गोयल ने नोटिस पर लगी रोक हटा ली। यानि अब हिन्दुस्तान प्रबंधन के खिलाफ आरआरसी जारी होने का रास्ता साफ हो गया है। इस मामले में पुरुषोत्तम सिंह ने हिन्दुस्तान टाइम्स की मालकिन शोभना भरतिया और एचआर डायरेक्टर शरद सक्सेना को पार्टी बनाया था। पुरुषोत्तम सिंह को मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई लड़ रहे देश भर के मीडियाकर्मियों ने बधाई दी है।


शशिकांत सिंह

पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट
९३२२४११३३५

आर्डर का सार...

कंपनी ने  17 (1) के तहत डीएलसी की कार्यवाही को चैलेंज किया था, सुप्रीम कोर्ट के 19.06.2017 के निर्णय और विवाद होने पर 17 (2) के तहत सुनवाई के आर्डर का हवाला देते हुए। हाईकोर्ट ने कहा है कि कंपनी 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखते हुए जवाब दाखिल करेगी। वहीं डीएलसी को कानून के अनुसार जल्द सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए गए हैं। 

दरअसल कंपनी ने डीएलसी के उस नोटिस के आधार पर स्टे हासिल किया था, जिसमें कंपनी को अपना पक्ष और इसके समर्थन में आवश्यक कागजात पेश करने को कहा गया था। जब बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को बताया कि यह नोटिस कंपनी को उसका पक्ष रखने को भेजा गया था, जो कि कानूनानुसार सही है, तो कोर्ट ने स्टे वापस लेते हुए ये आदेश जारी किए हैं। अच्छी बात यह है कि कंपनी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए टाईम बाउंड कर दिया गया है । वहीं डीएलसी को भी जल्द निपटारा करने को कहा गया है। 

-रविन्द्र अग्रवाल



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