Thursday 1 February 2018

मजीठिया: ‘श्री अंबिका प्रिंटर्स’ को साढ़े सैंतीस लाख चुकाने का आदेश

यह खबर महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आ रही है... मुंबई सहित महाराष्ट्र राज्य के कई स्थानों से प्रकाशित होने वाले मराठी अखबार ‘पुण्यनगरी’ की प्रबंधन कंपनी ‘श्री अंबिका प्रिंटर्स’ के विरुद्ध भूपेश देवप्पा कुंभार नामक जिस कर्मचारी ने साढ़े सैंतीस लाख रुपए पाने का क्लेम लगाया था, स्थानीय सहायक कामगार आयुक्त अनिल द. गुरव ने उसे सही पाने के बाद उक्त कंपनी को नोटिस भेजकर श्री कुंभार को 37,53,417रुपए अविलंब देने का आदेश जारी कर दिया है!

आपको बता दें कि ‘श्री अंबिका प्रिंटर्स’ न केवल मराठी अखबारों का प्रकाशन करती है, अपितु हिंदी और कर्नाटक भाषा के भी अखबार प्रकाशित कर रही है। इसके ‘पुण्यनगरी’ अखबार में बतौर उप-संपादक कार्यरत भूपेश कुंभार (50 वर्ष) का कंपनी ने एक दिन अचानक कोल्हापुर से बेलगांव ट्रांसफर कर दिया। हालांकि ट्रांसफर की इस केस की सुनवाई अभी कोल्हापुर स्थित इंडस्ट्रियल कोर्ट में चल रही है, मगर इसी बीच कुंभार ने कंपनी से मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक अपने वेतन व बकाए की मांग की तो इस बात से गुस्साए प्रबंधन ने पहले तो इनका वेतन रोक लिया, फिर दफ्तर के अंदर इनके प्रवेश पर रोक भी लगा दी! जाहिर है कि कुंभार के सामने आजीविका का घोर संकट आ खड़ा हुआ... बच्चों की पढ़ाई के लिए इन्हें अपना घर तो बेचना ही पड़ा, रोजाना के खर्चे की समस्या से निपटने की खातिर मिट्‌टी के दीये तक बेचने पड़े। भूपेश कुंभार कहते हैं- ‘मैं खुशनसीब हूं कि मुझे मंजुला (47 वर्ष) जैसी पत्नी मिली... उसने मेरा हर कदम पर भरपूर साथ दिया, साथ ही दोनों बेटों की अच्छी पढ़ाई को देखते मैंने अपना मनोबल हमेशा कायम रखा!’ यहां बताना उचित होगा कि कुंभार दंपत्ति ने बड़े बेटे दिवाकर को एमएससी के साथ बीएड् करवा दिया है, साथ ही दूसरा बेटा श्रीमय भीइस समय बीए (द्वितीय वर्ष) का छात्र है... सच तो यह है कि संघर्ष के समक्ष घुटने टेक देने वालों के लिए भूपेश कुंभार एक उदाहरण बनकर उभरे हैं!

बहरहाल, भूपेश कुंभार ने सम्मान बरकरार रखने की खातिर अपना संघर्ष जारी रखा है। भूपेश के उत्साह को देखते हुए अगर मुंबई के तमाम मजीठिया क्रांतिकारियों ने उनका साथ दिया... विशेषकर एनयूजे(महाराष्ट्र) की महासचिव शीतल करदेकर ने मुखर तरीके से भूपेश कुंभार का साथ दिया तो सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा ने मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ मार्गदर्शन करने में भी उनकी बहुत मदद की। इसका परिणाम यह हुआ कि सहायक कामगार आयुक्त श्री गुरव ने कुंभार के दावे पर मोहर लगाते हुए जहां ‘श्री अंबिका प्रिंटर्स’ प्रबंधन को आदेश जारी कर दिया है कि वह अपने कर्मचारी कुंभार के बकाए का शीघ्र भुगतान करे, वहीं कुंभार ने प्रबंधन की भावी चालों को ध्यान में रखते हुए मुंबई पहुंच कर यहां के माननीय हाई कोर्ट में एडवोकेट एस. पी. पांडे के जरिए कैविएट भी लगवा दी है!

- मुंबई से सुनील कुकरेती की रिपोर्ट

#MajithiaWageBoardsSalary, MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary

No comments:

Post a Comment