Tuesday 24 January 2017

मजीठिया: सुप्रीमकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाने वाले लोकमत को सिर्फ डीएवीपी से मिला है पिछले साल 3 करोड़ 87 लाख 544 रुपये का विज्ञापन

मजीठिया लागू न करने पर शोकॉज नोटिस भी थमाया गया आर टी आई से हुआ खुलासा

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सम्पादकीय पेज के एक लेख को मराठी में छाप कर सरकार के सामने झूठ का पुलिंदा रखने वाले महाराष्ट्र के लोकमत अखबार प्रबंधन ने वेज बोर्ड के नाम पर सरकार को बेवकूफ बनाने का अच्छा ड्रामा कर लिया। अब आइये इस ड्रामे का पार्ट 2 हम आपको बताते हैं और दिखाते हैं लोकमत की एक और सच्चाई। कामगार विभाग महाराष्ट्र द्वारा जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सुप्रीमकोर्ट में भेजी गयी रिपोर्ट बताती है कि लोकमत औरंगाबाद से लोकमत समाचार ,लोकमत और लोकमत टाइम्स का प्रकाशन होता है।यहाँ 89 कर्मचारी काम करते हैं जबकि बाकी महाराष्ट्र में लोकमत के 373 कर्मचारी हैं। कामगार आयुक्त कार्यालय की जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 1 जुलाई 2016 को  अधिकारी की टीम लोकमत कार्यालय गयी तो कंपनी प्रबन्धन ने अधिकारियों से कहा कि इन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश  लागू कर दिया है लेकिन कोई भी डाक्यूमेंट नहीं दे पाई जिससे साबित हो कि लोकमत ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किया हो।जिसके बाद लोकमत प्रबंधन को 26 सितंबर 2016 को शोकॉज नोटिस भी कामगार विभाग ने भेजा है।


लोकमत प्रबंधन सरकारी विज्ञापन लेने के लिए खुद को नंबर 1 का अखबार बताता है और केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार भी इसे नम्बर वन कैटेगरी में रखती है।


महाराष्ट्र सरकार का डेटा आर टी आई के जरिये निकाला गया तो पता चला कि लोकमत को अ ग्रेड का अखबार मानते हुए इसे 33 रूपये के रेट से सरकारी विज्ञापन दिए जाते हैं ।केंद्र सरकार भी लोकमत को बिग ग्रेड का अखबार मानती है और सिर्फ केंद्र सरकार की एक सरकारी संस्था डी ए वी पी ने लोकमत को वर्ष 2015 -16 में 3 करोड़ 87 लाख 544 रूपये का विज्ञापन दिया।अब आइये आर टी आई के जरिये निकाली गयी लोकमत की और जानकारी आपको देते हैं ।इस जानकारी में पता चला कि लोकमत के नागपुर  एडिशन को सबसे ज्यादा 1 करोड़ 35 लाख 95 हजार 992 रुपये का विज्ञापन मिला।संस्करण के हिसाब से बात करें तो लोकमत को अहमद नगर में 17 लाख 63 हजार 326,अकोला में 12 लाख 27 हजार 659,औरंगाबाद में 25 लाख 12 हजार 844,जलगांव 26 लास्ख 52  हजार 898,कोल्हापुर में 10 लाख 69 हजार 119 रूपये का डी ए वी पी ने विज्ञापन दिया जबकि मुम्बइ एडिशन में 67 लाख 40 हजार 226, नाशिक में 24 लाख 29 हजार 631, पुणे में 46 लाख 51 हजार 861 और सोलापुर संस्करण में लोकमत को डी ए वीं पी ने 20 लाख 56 हजार 988 रुपये का विज्ञापन दिया इस तरह लोकमत ने सिर्फ डी ए वी पी से 3 करोड़ 87 लाख 544 रुपये का विज्ञापन लिया।


इस सूची में सेंट्रल रेलवे,वेस्टर्न रेलवे,कोंकन रेलवे के विज्ञापन शामिल नहीं हैं साथ ही महाराष्ट्र सरकार ,पुरे महाराष्ट्र की नगर पालिका, सिडको और तमाम सरकारी और प्राइवेट विज्ञापन शामिल नहीं किये गए हैं।अब केंद्र सरकार और हम सब मिलकर ये सोचें कि लोकमत वाकई घाटे में है या ये सब नाटक है।लोकमत में दम है तो अपने सभी विज्ञापनों का सही सही विवरण दे।सही तो सरकार के सामने रोना बंद करे।



शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट 9322411335


पहली बार किसी अखबार ने दूसरे अखबार का सम्पादकीय फीचर उसके नाम का आभार व्यक्त करते हुए छापा।लोकमत का वो फीचर देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें जिसे टाइम्स ऑफ़ इंडिया से साभार लिया गया है ।
http://epaper.lokmat.com/epapernew.php?articleid=LOK_MULK_20170121_8_3&arted=



http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/12/blog-post.html




http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/01/blog-post.html  




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