Wednesday 26 August 2015

मनमानी करने का आदी हो चुका जागरण मैनेजमेंट, दो को निकाला, फिर वापस लिया

दैनिक जागरण मैनेजमेंट कर्मचारियों का रोष बर्दाश्त नहीं कर पाता और उन्हें चैन से रहने भी नहीं देना चाहता। विगत महीने कर्मचारियों द्वारा दिए गए दस सूत्रीय मांगों पर डीएलसी आफिस में हुए समझौते के बाद सब कुछ शांतिपूर्वक चल रहा था। यहां तक कि एक प्रतिनिधि के ही खिलाफ समझौते के बावजूद एक पुराने मामले को लेकर जांच चलाई जा रही है और कर्मचारी प्रतिनिधियों द्वारा इस बारे में बार-बार आग्रह करने और यह कहने कि यह तो समझौते का उल्लंघन है के बावजूद जांच की नौटंकी रोकी नहीं गई। इसके बावजूद कर्मचारी शांतिपूर्वक काम रहे थे। लेकिन सभी नियम-कानून को धता बता कर लगातार मनमानी करते रहने का आदी हो चुका मैनेजमेंट इतनी शांति बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। शायद इसीलिए सोमवार को मार्केटिंग विभाग की दो महिला कर्मचारियों की पंचिंग रोक दी गई। पहले तो उन्हें गेट पर पंचिंग ही नहीं करने दिया गया और जब वे अपना सामान छूटे होने के बहाने अंदर गईं तो उनके विभाग के इंचार्ज ने गेट से सिक्यूरिटी गार्ड बुलाकर उन्हें बाहर करने को कहा। आप अंदाजा लगा सकते है कि संस्कारशाला के नाम पर साल भर से ज्यादा समय तक बाकायदा कालम चलाने और इस बहाने अपनी ब्रांडिंग करने वाले दैनिक जागरण के मैनेजमेंट में खुद कितना संस्कार है। जहां महिला कर्मचारियों के साथ गुंडों जैसा बर्ताव किया जा रहा हो, उनसे किस संस्कार की आशा की जाय?

महिलाओं का जोर-जोर से चीखना सुनकर सारे कर्मचारी जुट गए। इतनी देर में कई प्रतिनिधि भी आ गए। सब सीजीएम से मिलने गए। सीजीएम ने पहले तो इतने लोगों से मिलने से मना कर दिया, लेकिन बाद में जब लगा कि लोग मिले बिना नहीं जाने वाले हैं तो उन्होंने कहा कि वे केवल उन्हीं दो महिला कर्मचारियों से मिलेंगे। बाकी लोगों से नहीं मिलेंगे। उन महिला कर्मचारियो ने अकेले मिलने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हम तो पहले ही आप से मिलने आए थे, लेकिन तब आपने हमें मिलने से इंकार कर दिया। आपने भीतर से कह्लवा दिया कि जो मुन्ना जी कह रहे हैं, वह करो। आपने हमसे मिलना भी जरूरी नहीं समझा। अगर तब आप मिल लिए होते तो आज नौबत नहीं आती। आज आप हमसे मिलने की बात इसीलिए कर रहे हैं कि इतने सारे लोग हमारे साथ आ गए। अब इन्हें छोड़कर हम अकेले में आपसे कोई बात नहीं करेंगे।

सारे कर्मचारियों ने एक स्वर में कहा कि पहले पंचिंग कराइए और इनकी इंट्री पर लगा बैन हटवाइए, फिर हम भी अपने-अपने काम पर चले जाएंगे। लेकिन अगर आप यह बात नहीं मांते हैं तो हम भी ऐसे ही यहीं बैठे रहेंगे। आज कोई काम नहीं होगा। मुन्ना जी से जब उनकी नो इंट्री और पंचिंग रोकने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह कानपुर के आदेश पर हुआ है। जब पूछा गया कि क्या ऐसे ही आप किसी की पंचिंग रोक देंगे तो मालूम हुआ कि इन लड़कियों से पहले इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो उन्हें टर्मिनेट कर दिया गया। टर्मिनेशन का लेटर इनको भेज दिया गया है। तो यह है दैनिक जागरण में इस्तीफे और टर्मिनेशन का तरीका। बहरहाल, सीजीएम ने जब यह देखा कि यह तो आज फिर 7 फरवरी जैसी स्थिति बन सकती है तो उन्होंने बहुत अफसोस जताते हुए आखिरकार अपनी जिद छोड़ी और उन महिला कर्मचारियों की पंचिंग चालू करवाई। साथ उनकी नो इंट्री भी हटा दी गई। यह सब इसीलिए हो सका क्योंकि  आज वहां सारे कर्मचारी एकजुट हैं।
स्रोत- जनसत्‍ता एक्‍सप्रेस
http://jansattaexpress.in/print/11969.html

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