Friday 7 August 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-9A: बाजू में काली पट्टी… मौन व्रत… रंग लाया जागरण कर्मियों का संघर्ष, बढ़ा वेतन

बाजू में काली पट्टी मौन व्रत आखिरकार रंग ले ही आया जागरण कर्मियों का संघर्ष। साथियों पिछले महीने दैनिक जागरण नोएडा के कर्मी अपनी जायज मांगों को लेकर प्रतीतात्‍मक आंदोलन पर थे। इसके साथ ही उन्‍होंने 16 जुलाई को हड़ताल का नोटिस प्रबंधन का थमाया हुआ था। जिसके बाद जागरण कर्मियों की एकता से घबराये हुए प्रबंधन ने वार्ता का लंबा दौर चलाया। इस दौरान प्रबंधन अपनी कुटिलता से बाज नहीं आया और हड़ताल रुकवाने के लिए अदालतों में याचिका दायर करता रहा। परंतु जागरणकर्मियों ने भी जैसे दृढ़ निश्‍चय कर रखा था कि अब संस्‍थान में पुरानी परिपाटी नहीं चलने देंगे। अब और अत्‍याचार सहन नहीं करेंगे। अपना जायज हक लेकर रहेंगे। प्रबंधन की कुटिल चालों से वार्ता को पटरी पर आते न देखे जागरण कर्मियों ने मौन व्रत पर जाने का निर्णय लिया।

जागरण कर्मियों के काली पट्टी आंदोलन और मौन व्रत से हिले प्रबंधन को जब अदालत से भी तुरंत राहत नहीं मिली तो उसने हारकर डीएलसी के समक्ष जागरणकर्मियों के प्रतिनिधियों के साथ लिखित समझौता किया। इस लिखित समझौते में सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए साथियों की सालाना वार्षिक वृद्वि भी शामिल थी जिसे प्रबंधन ने रोक रखा था। यह जागरण कर्मियों के ही संघर्ष का परिणाम है कि इस बार उनका जुलाई का वेतन बढ़ कर आया है वो भी अप्रैल से जून महीने तक के एरियर के साथ। ऐसा शायद जागरण के इतिहास में पहली बार हुआ है कि प्रबंधन कर्मियों की जायज मांगों के आगे झुका है। वरना जागरण में वेतन काटने की प्रथा तो है, लेकिन देने की नहीं। 


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