Friday 28 July 2023

नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया


वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया नहीं रहे। टिल्लन जी का पूरा नाम शिव शंकर दयाल रिछारिया है। टिल्लन रिछारिया अपने पीछे पत्नी पुष्पा, पुत्र रवि, बहू और नाती को छोड़ गए हैं। टिल्लन रिछारिया ने धर्मयुग, महान एशिया, ज्ञानयुग प्रभात, करंट, बोरीबंदर, हिंदी एक्सप्रेस, वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, हरिभूमि, कुबेर टाइम्स आदि में काम किया था।


राजू मिश्र-

टिल्लन रिछारिया नहीं रहे। सुनकर बड़ा अजीब सा लगा। वह उज्जैन जा रहे थे। बचपन से ही उनका सान्निध्य रहा। चित्रकूट से जब भी वापसी होती, भाभी के बनाये पराठे और आचार खिलाकर ही कुतुब एक्सप्रेस में बैठने देते। हम दोनों ने बहुत यात्राएं भी की। वह जिन-जिन अखबार या पत्रिकाओं में रहे, हमको बराबर स्थान दिलवाते रहे।

परसों सुनील दुबे पर केंद्रित पुस्तक में लेख छपा देख फोन किया तो बहुत खुश हुए थे। ‘मेरे आसपास के लोग’ किताब में उन्होंने लंबी संगत का जिक्र भी किया है। अभी मुकुंद के फोन से यह मनहूस जानकारी मिली तो सहसा विश्वास नहीं हुआ। परमात्मा शिव शंभु दयाल रिछारिया उपाख्य टिल्लन रिछारिया को अपने श्रीचरणों में सबसे निकट स्थान प्रदान करें। विनम्र श्रद्धांजलि।

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PANKAJ SWAMY

सातवें-आठवें दशक में जबलपुर के चर्चित अखबार ज्ञानयुग (पूर्व में हितवाद) के सह संपादक टिल्लन रिछारिया (पूरा नाम श‍िवशंकर दयाल रिछारिया) का गत दिवस निधन हो गया। वे मूलतः चित्रकूट के रहने वाले थे लेकिन यायावरी तबियत के होने के कारण उनका जबलपुर आना हुआ था। उनकी किसी भी किस्म की रचनात्मकता में समय, समाज और सभ्यता का स्पष्ट वेग रहा।

टिल्लन रिछारिया हिन्दी पत्रकारिता में उन चुनिंदा पत्रकारों में से एक रहे जिन्होंने संभवतः सर्वाधि‍क अखबारों व मैग्जीन में काम किया। हिन्दी पत्रकारिता में टिल्लन रिछारिया कांसेप्ट, प्लानिंग, लेआउट और प्रेजेंटेशन अवधारणा को शुरु करने वालों में से रहे। इसका भरपूर प्रवाह राष्ट्रीय सहारा के ‘उमंग‘ और ‘खुला पन्ना‘ में 1991 से 1995 तक देखने को मिला। भाषा की रवानी, कथ्य की कहानी, आकर्षक फोटो और ग्राफिक्स से सजे धर्मयुग, करंट, राष्ट्रीय सहारा के उमंग और खुला पन्ना के वे पन्ने हालांकि इतिहास के झरोखे से उन लोगों के जेहन में अभी भी झांकते हैं जो उस दौर के हिन्दी-प्रवाह के साथ आँख खोल कर चले और आज भी अतीत की उस श्रेष्ठता को सराहने में झेंपते नहीं।

टिल्लन रिछारिया इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप मुम्बई के हिन्दी एक्सप्रेस, करंट, धर्मयुग, पूर्वांचल प्रहरी (गुवाहाटी) वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, हरिभूमि (नई दिल्ली) में स्थानीय सम्पादक, दैनिक भास्कर (नई दिल्ली) में वरिष्ठ सम्पादक, आईटीएन टेली मीडिया मुम्बई, एन सी आर टुडे के एसोसिएट एडिटर व प्रबंध सम्पादक रहे। फिलहाल आयुर्वेदम पत्रिका के प्रधान संपादक थे।

टिल्लन रिछारिया जबलपुर से बहुत प्यार करते थे। वे कहते थे कि जबलपुर प्रेम व आनंद का सिद्ध तीर्थ है। उनको भी इस रस राग और तिलिस्मात से भरे शहर ने अपनी छांव में कुछ समय रहने का मौका दिया। टिल्लन पूरी दुनिया घूम लिए लेकिन उनका कहना था कि गहन आत्मीयता से भरा जबलपुर शहर पल भर में ही अपना दीवाना बना लेता है। उन्होंने कभी लिखा था-‘’ हमें आये अभी एक दो दिन ही हुए थे कि दफ्तर के पास की चाय पान की दुकान में देखिए दिलफरेब स्वागत होता है।

साथियों से नाम सुनते ही पान वाले बोले... अरे टिल्लन जी आप आ गये। बम्बई से पूनम ढिल्लन जी का फोन था कि भाई साहब का ख्याल रखना। इस शहर में आपका स्वागत है, हम हैं न।.... अरे हां, राखी भेजी है आप के लिए, अभी लाकर देता हूँ।.... जबलपुर ज्यादा देर आपको अजाना नहीं रहने देता।‘’ जबलपुर में टिल्लन रिछारिया के यारों के यार में राजेश नायक, चैतन्य भट्ट, राकेश दीक्ष‍ित, ब्रजभूषण शकरगाए, अशोक दुबे थे। टिल्लन रिछारिया को श्रद्धांजलि।

9425188742

pankajswamy@gmail.com

(Source: Bhadas4media.com)

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