Sunday 4 September 2022

मुजफ्फरपुर के कुणाल बने ‘मजीठिया’ का ब्याज समेत पूरा एरियर पाने वाले पहले क्रांतिकारी


कुणाल प्रियदर्शी का फोटो उनके फेसबुक वॉल से साभार

-    57 महीने की लंबी लड़ाई के बाद हासिल की उपलब्धि

-    सिविल कोर्ट के आदेश पर बैंक ने कंपनी के खाते से काटी राशि, कुणाल के खाते में किया   स्थानांतरित

-    30 अगस्त से न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड का बैंक अकाउंट था अटैच

-     आठ प्रतिशत ब्याज के साथ हुआ बकाया राशि का भुगतान

मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे क्रांतिकारियों के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा।

देश में पहली बार एक क्रांतिकारी को न सिर्फ वेजबोर्ड के अनुसार बकाया वेतन का पूरा भुगतान हुआ, बल्कि उस राशि पर आठ प्रतिशत की दर से ब्याज भी मिला।मामला ‘गणतंत्र की जननी’ बिहार की धरती से जुड़ा है। यह उपलब्धि हासिल की है मुजफ्फरपुर जिला निवासी कुणाल प्रियदर्शी ने.। वे बीते 57 महीने से प्रभात खबर अखबार प्रबंधन (न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड) के खिलाफ मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई लड़ रहे थे।

शनिवार को सिविल कोर्ट मुजफ्फरपुर के आदेश पर आइसीआइसीआइ बैंक प्रबंधन ने कंपनी के खाते से लगभग 24 लाख रुपये की राशि काट कर न सिर्फ कुणाल के बैंक अकाउंट में स्थानांतरित किया, बल्कि इसकी सूचना लिखित रूप से कोर्ट को भी दी है।बीते 30 अगस्त को ही कोर्ट के आदेश से बैंक प्रबंधन ने न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड के बैंक अकाउंट को अटैच कर दिया था।

प्रभात खबर मुजफ्फरपुर यूनिट में न्यूज राइटर के रूप में काम करने वाले कुणाल ने 3 दिसंबर 2017 को मजीठिया वेजबोर्ड की आधिकारिक लड़ाई शुरू की थी। जून 2019 में मामला मुजफ्फरपुर लेबर कोर्ट में स्थानांतरित हुआ। कुणाल ने शुरूआत से ही अपने केस की पैरवी खुद करने का फैसला लिया। करीब एक साल तक चली लंबी लड़ाई के बाद लेबर कोर्ट मुजफ्फरपुर ने जून 2020 में कुणाल के पक्ष में अवार्ड पारित किया। इसमें कंपनी को बकाया वेतन के साथ-साथ उस पर 3 दिसंबर 2017 से अंतिम भुगतान की तिथि तक आठ प्रतिशत ब्याज देने का आदेश भी दिया गया।कंपनी की ओर से जब भुगतान नहीं किया गया तो कुणाल ने आइडी एक्ट के सेक्शन 11(10) के तहत लेबर कोर्ट में अवार्ड एग्जीक्यूशन के लिए आवेदन दिया। मामला सिविल कोर्ट मुजफ्फरपुर रेफर हुआ, जहां सब जज-1 पूर्वी, मुजफ्फरपुर में 7 फरवरी 2021 से सुनवाई शुरू हुई।यहां भी कुणाल ने खुद अपने केस की पैरवी करने का फैसला लिया। सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से एग्जीक्यूशन की प्रक्रिया पर सवाल उठाये गये. पर, कोर्ट ने कुणाल की दलील को सही मानते हुए 23 जुलाई, 2022 को एग्जीक्यूशन के आवेदन को स्वीकार करते हुए अवार्ड की राशि की वसूली प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया। 30 अगस्त 2022 को कोर्ट ने बैंक प्रबंधन को कंपनी का अकाउंट अटैच कर अवार्ड की राशि कुणाल के खाते में ब्याज सहित भुगतान का लिखित आदेश दिया था।

एग्जीक्यूशन केस में कई ऐतिहासिक क्षण भी आये।देश में पहली बार कोर्ट ने स्वीकार किया कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के सेक्शन 17(2) के तहत पारित अवार्ड का एग्जीक्यूशन कोर्ट के माध्यम से हो सकता है।शुरुआत में कोर्ट नोटिस के बावजूद जब अखबार प्रबंधन हाजिर नहीं हुआ, तो कोर्ट के आदेश पर हिन्दुस्तान अखबार के रांची संस्करण में उन्हें हाजिर होने का नोटिस छपा। यह पहला मौका था, जब मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई में एक अखबार के प्रबंधन के खिलाफ दूसरे अखबार में इस तरह का नोटिस छपा।वेजबोर्ड के अनुसार बकाया राशि की वसूली के लिए दूसरी बार कोर्ट के आदेश पर किसी अखबार का बैंक अकाउंट अटैच हुआ। 


शशिकान्त सिंह

पत्रकार,मजीठिया क्रांतिकारी और उपाध्यक्ष न्यूज़ पेपर एम्प्लॉयज यूनियन ऑफ इंडिया (एन इ यू)j

9322411335

गौरतलब है इससे पहले स्टेटसमैन के साथी मजीठिया के अनुसार एरियर की आधी राशि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद पा चुके हैं।

गौरतलब है कुणाल ने अदालत में खुद अपनी पैरवरी की थी और इस दौरान कुणाल मजदूरों के मसीहा वकील स्वर्गीय हरीश शर्मा जी से भी संपर्क में आए थे और उनसे समय-समय पर कानूनी राय भी लेते रहे थे। 

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