Friday 1 July 2022

अभी लागू नहीं होगा नया लेबर कोड, मंथन जारी


नई दिल्ली, 1 जुलाई। केंद्र सरकार 1 जुलाई से नए लेबर कोड लागू नहीं करेगी। श्रम और रोजगार मंत्री जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के सम्मेलन के दौरान किया वादा निभाने और लेबर कोड लागू करने से पहले एक बार सभी पक्षों से वार्ता अवश्य करेंगे। चारों लेबर कोड में कुछ अच्छा है और कुछ विषयों को लेकर जबरदस्त आशंकाएं हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानूनों को 4 कोड में समाहित कर दिया है।

श्रम मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार अभी चारों लेबर कोडों पर राज्यों, उद्योगों और अन्य हितधारकों से बातचीत जारी है। ये वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है। हालांकि, माना जा रहा है कि नजदीकी भविष्य में नए लेबर कोड के लागू होने की संभावना कम है।

अधिकारियों के अनुसार नए कानूनों के 4 कोड, औद्योगिक विवाद, सामाजिक सुरक्षा, वेतन और पेशेवर सुरक्षा पर अभी मंथन चल रहा है। 

अधिकारियों के अनुसार यह ढांचागत बदलाव है और मंत्रालय श्रम कल्याण व व्यापार की सुगमता में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय राज्यों, उद्योगों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है और अभी तक की वार्ता अच्छी रही है। बकौल अधिकारी, लेकिन 1 जुलाई को कोड नहीं लागू होने वाले हैं।

अधिकारियों ने कहा है कि एक बार सारी चीजें तय होने के बाद मंत्रालय औपचारिक घोषणा करेगा, लेकिन निकट भविष्य में इससे आसार कम हैं। बता दें कि संसद ने वेतन संबंधी कोड को 2019 में और अन्य 3 कोड को 2020 में पारित कर दिया था, लेकिन अभी इनमें से किसी को भी लागू नहीं किया है।

इनका नियोक्ता और कर्मचारी दोनों पर बड़ा प्रभाव होगा। कंपनियों के लिए कर्मचारियों को भर्ती करना और निकालना और आसान हो जाएगा। इसके अलावा औद्योगिक हड़तालें करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। नया राष्ट्रीय वेतन नियम लागू होगा, जिससे कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी के घेरे में लाया जाएगा। साथ ही वेतन की परिभाषा बदलेगी और संभवतः कर्मचारियों के हाथ में आने वाला वेतन घट जाएगा, जबकि रिटारयमेंट के लिए बचाई जाने वाली बचत बढ़ जाएगी। इस बिंदु का उद्यमी व नियोक्ता विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे उन पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है।

इसके अलावा नए कोड में साप्ताहिक काम के घंटों में कोई बदलाव नहीं है, लेकिन दैनिक कार्य समय में बदलाव हो सकता है। अगर कर्मचारी और नियोक्ता चाहें तो एक दिन में 12 घंटे काम के साथ हफ्ते में 4 कार्यदिवस रख सकते हैं और 3 दिन का साप्ताहिक अवकाश दे सकते हैं।

एक सर्वे के अनुसार, 64 फीसदी कंपनियां मान रही हैं कि इन बदलावों से उनके मुनाफे-घाटे पर सीधा असर होगा। एडवाइजरी फर्म विलिस टावर्स वॉट्सन के इस सर्वे के मुताबिक, कम से कम 71 फीसदी कंपनियों ने इसके प्रभावों का आकलन करने के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि, 34 फीसदी कंपनियां नए वेतन कोड के संदर्भ में किसी तरह के बदलाव को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। 53 फीसदी कंपनियां रिटायरमेंट की आयु और लंबी अवधि में दिए जाने वाले बेनेफिट्स की समीक्षा पर विचार कर रही हैं।

वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट समाप्त हो जाएगा

लेबर कोड में से एक वेज कोड लागू होने पर वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट भी इसमें ही समाहित हो जाएगा। वर्किंग जर्नलिस्ट शब्द देश के इसी एक्ट में है। ऐसा होने पर प्रिंट मीडिया के लिए आगे से वेज बोर्ड का भी गठन किया जाएगा। दरअसल, वेजबोर्ड में तीनों श्रेणी प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल के पत्रकारों को एकसाथ शामिल किया गया है। 

(साभारः राष्ट्रीय सहारा/न्यूज18.com)


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