Friday 20 November 2020

देश के 269,556 अखबारों के टाइटल निरस्त, 804 के विज्ञापन बंद


नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 269,556 अखबारों के टाईटल निरस्त कर दिए हैं। साथ ही 804 अखबारों को डीएवीपी की सूची से बाहर कर दिया गया है। इतना ही नहीं पूर्व में गड़बड़ियां करके जिन अपात्र अखबारों और मैग्जीनों ने सरकारी विज्ञापन डकारे थे, उनकी जांच के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। जांच के बाद रिकवरी और कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। इस फैसले के चलते कुक्‍करमुत्‍ते की तरह फैल कर सरकारी विज्ञापनों को फर्जी तरीके से डकारने वाले अखबार माफिया में हड़कंप मच गया है। वहीं ऐसे अखबारों ने चैन की सांस ली है, जो इनके चलते विज्ञापनों की भारी भरकम राशि से महरुम हो गए थे।  


प्राप्‍त जानकारी के अनुसार मोदी सरकार के आदेशों के बाद समाचार पत्रों के पंजीयक के कार्यालय(आरएनआई) और विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय(डीएवीपी) इस संबंध में कड़ी कार्रवाई करने को सक्रिय हो गए हैं। इसके तहत समाचार पत्र के संचालन में नियमों के उल्लंघन पर आरएनआई समाचार पत्र के टाईटल पर रोक लगा रहा है, तो वहीं गड़बड़ियां मिलने पर डीएवीपी विज्ञापन देने पर प्रतिबंध लगा रहा है।


आरएनआई समाचार पत्रों के टाइटल की समीक्षा कर रहा है और विसंगतियां मिलने पर प्रथम चरण में प्रिवेंशन ऑफ प्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत देश के 269,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के 59703 अखबार-मैग्जीन के टाइटल निरस्‍त किए गए हैं। इसके बाद उत्‍तर प्रदेश का आंकड़ा है, यहां के 36822 अखबार-मैग्जीन के टाइटल निरस्‍त किए गए हैं। वहीं बिहार के 4796, उत्तराखंड के 1860, गुजरात के 11970, हरियाणा के 5613, हिमाचल प्रदेश के 1055, छत्तीसगढ़ के 2249, झारखंड के 478, कर्नाटक के 23931, केरल के 15754, गोआ के 655, मध्य प्रदेश के 21371, मणिपुर के 790, मेघालय के 173, मिजोरम के 872, नागालैंड के 49, उड़ीसा के 7649, पंजाब के 7457, चंडीगढ़ के 1560, राजस्थान के 12591, सिक्किम के 108, तमिलनाडु के 16001, त्रिपुरा के 230, पश्चिम बंगाल के 16579, अरुणाचल प्रदेश के 52, असम के 1854,  लक्षद्वीप के 6, दिल्ली के 3170 और पुडुचेरी के 523 टाइटिल निरस्त किए गए हैं।

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