Wednesday 10 June 2020

दैनिक जागरण, गया संस्करण के डेढ़ दर्जन कर्मियो से प्रबंधन ने इस्तीफा लिया, फूट-फूट कर रोने लगे कई कर्मी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाॅकडाउन में नौकरी से नहीं निकालने का निर्देश की धज्जियां दैनिक जागरण, बिहार का प्रबंधन उड़ा रहा है।

महाप्रबंधक एस एन पाठक, जीएम,वित्त बिनोद कुमार शुक्ला और आईटी इंजिनियर राजेश वर्मा मंगलवार को डेढ़ दर्जन कर्मियो के लिए अमंगलकारी साबित हुए। दैनिक जागरण, पटना के  प्रबंधन से जुड़े तीनों अधिकारियों ने एडिटोरियल के मंगलानंद मिश्रा, अखिलेश यादव,पंकज कुमार और मनीष कुमार से इस्तीफा ले लिया।

टीपीसी के आईटी इंजिनियर संजय कुमार सिंह से इस्तीफा देने को कहा गया।संजय सिंह ने इस्तीफा दे दिया। वहीं, टीपीसी के तीन अन्य कर्मियों क्रमशः धर्मेन्द्र,रंजीत सिंह और एक अन्य कर्मी को पटना ट्रांसफर कर दिया गया।

गया यूनिट के मशीन मैन चंदन,पप्पू, विनोद भारती, देवेंद्र और गुंजन को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सभी से इस्तीफा ले लिया गया।प्रसार शाखा के योगेश प्रसाद यादव उर्फ मुंशी जी और स्टोर के इंद्रदेव को भी इस्तीफा देने को कहा गया। दोनों ने इस्तीफा दे दिया। वहीं, बिजली शाखा के संजय सिंह सहित करीब आधा दर्जन कर्मियों की तलाश हो रही थी। लेकिन वो सभी ड्यूटी पर नहीं मिले। चर्चा है कि जिन्हें खोजा जा रहा था। उनमें कई ऐसे थे।जो पटना से आए अधिकारियों की मंशा जानकर कार्यालय से गायब हो गए।

वहीं, इस्तीफा देने वाले कई कर्मियों ने बताया कि एक ओर इस्तीफा लिखवाया जा रहा था। वहीं, दूसरी ओर प्रबंधन के द्वारा 15 से 30 हजार रुपए का चेक पीड़ित कर्मियों को दिया गया।पीएफ, ग्रेच्यूटी और अन्य सेवा लाभ की राशि का कोई उल्लेख प्रबंधन द्वारा नहीं किया गया।
कई कर्मियों ने प्रबंधन के तुगलकी फरमान के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा के आलोक में अदालत का शरण लेने का मन बना लिया है।


फूट-फूट कर रोने लगे कई कर्मी

जबरन इस्तीफा लेने से परेशान कई कर्मी फूट-फूटकर रोने लगे। अधिकारियों के समक्ष अपनी बेबसी का हवाला देते हुए कहा कि जवानी तो नौकरी के खुमार में निकल गया।अब परिवार और बाल-बच्चों की जिंदगी को संवारने का समय आया तो सड़क   पर फेंक दिया।

वहीं,कई कर्मचारियों ने अधिकारियों को यह भी कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।जिस तरह से हम लोगों के साथ नाइंसाफी किए हों एक न एक दिन हम सब का हाय तुम्हें और मालिकों को भी ले डूबेगा।
कभी बिहार में नंबर वन की रेस में रहा दैनिक जागरण अब चौथे पायदान पर ऐसे ही नहीं पहुंच गया। इसके पीछे भी दैनिक जागरण को नंबर एक की रेस में पहुंचाने वाले कर्मचारियों का हाय कंपनी को लगा है। ‌जिन्हें कंपनी ने हटाया था।

(Source: social media)

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