Monday 2 March 2020

एक पीड़ित पत्रकार की प्रधानमंत्री मोदी के नाम खुली पाती...


हम सबके आदरणीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी के बारे में एक बात बड़ी मशहूर है कि वह अपने किसी फैसले से कभी पीछे नहीं हटते... लेकिन चूंकि वह अभी सोशल मीडिया से दूरी बनाने की केवल सोच रहे हैं, इसलिए वह दूर हो ही जाएंगे, फिलहाल कह पाना आसान नहीं है!

वैसे मैं स्वागत करूंगा, बशर्ते वह सोशल मीडिया से हमेशा के लिए हट जाएं... कारण कि इस सोशल मीडिया की व्यस्तता के चलते उन्हें इस बात का पता करने का वक्त ही नहीं मिलता कि असल मीडिया में आखिर चल क्या रहा है ? अंदर के ही पन्नों पर सही, पर अखबार में अब भी कुछ ऐसी खबरें प्रमुखता पा जाती हैं, जो हमारी आत्मा को झिंझोड़ सकती हैं... लेकिन इसीलिए या फिर कारण कुछ और होगा, आईफोन से खेलने वाले हमारे मोदी जी को अखबार की सुर्खियों पर दृष्टि डालने के बजाय अखबार के मालिकों पर कृपादृष्टि बरसाने में ज्यादा रुचि जान पड़ती है !!

इसमें दो राय नहीं कि आपकी राष्ट्रवादी नीतियों के लिए भारतवर्ष सदैव आपका ऋणी रहेगा प्रधान मंत्री जी, पर इस बात के लिए आपको कोसा भी हमेशा जाएगा कि नए रोजगार का सृजन करने में आपकी सरकार जितनी विफल रही है, उससे कहीं ज्यादा उसे नौकरी से निकलवाने में सफलता मिली है... जी हां, आम नागरिक यदि लगी-लगाई नौकरियां गंवा रहे हैं तो इसीलिए, क्योंकि झटके में अपने कर्मचारियों को संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा रहे मालिकों के हाथ की कठपुतली बन गए हैं आप...

ऐसे में इमरान खान और बाजवा तो आपके नाम से खौफ खा रहे हैं, पर कोई अग्रवाल-गुप्ता-गोयल-कोठारी-गोयनका-भरतिया-माहेश्वरी-जैन-दर्डा-शिंगोटे वगैरह आपसे बिल्कुल नहीं डरता है ! आपकी सरकार को यह जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है कि भारत सरकार की अधिसूचना और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोहर लगाने के बावजूद अखबार के मालिकों ने अभी तक अपने कर्मचारियों को मजीठिया अवार्ड से लाभान्वित क्यों नहीं किया है ?

अगर सोशल मीडिया से हटने के बाद समय मिलने लगे तो इस बारे में पता कीजिएगा जरूर... सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मखौल उड़ा रहे अखबार मालिकों को भी आप कानून का पालन करने के लिए बाध्य नहीं कर पाए तो हम यही समझेंगे कि स्वयं को उपकृत करवाने की ही खातिर आपकी सरकार ने आंखें मूंद रखी हैं... ऐसे में प्रिंट मीडिया, खासकर हम पत्रकारों-गैर पत्रकारों का इतिहास कभी आपको माफ नहीं कर पाएगा... मैं तो बिल्कुल भी नहीं !

आपके फैसले की प्रतीक्षा में,

धर्मेन्द्र प्रताप सिंह
प्रिंसिपल करेस्पान्डेंट
दैनिक भास्कर, मुंबई
ई-मेल: dpsingh@journalist.com
मोबाइल: 9920371264

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