Monday 25 February 2019

मजीठिया: उप्र के श्रम मंत्री ने दिए अधिकारियों को वेजबोर्ड की अनुशंसाओं को लागू करवाने के निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाचार पत्र कर्मियों का वेज निर्धारण हेतु गठित मजीठिया वेजबोर्ड की भारत सरकार द्वारा अधिसूचित सिफारिशों को पूर्णतः लागू कराने के लिए श्रम आयुक्त को निर्देश दिए कि वे अपने स्तर से समस्त क्षेत्रीय अपर व उप श्रमायुक्त की समीक्षा बैठक कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए आदेशों का पूर्णतः अनुपालन सेवायोजकों द्वारा सुनिश्चित कराएं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप ही कार्यवाही की जाए और श्रम अधिकारी इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसमें अनावश्यक विलम्ब न हो।

श्रम मंत्री शनिवार को लखनऊ में बापू भवन स्थित सभागार में मजीठिया वेजबोर्ड की त्रिपक्षीय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में त्रिपक्षीय समिति के समक्ष उपस्थित सदस्यों द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पूर्णतः अनुपालन सेवायोजक पक्ष से कराए जाने का अनुरोध किया गया।
बोर्ड बैठक में वरिष्ठ पत्रकार मुदित माथुर ने श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम के तहत परिभाषित समाचार पत्र अधिष्ठान की परिभाषा की व्याख्या करते हुए बताया कि बहु संस्करणीय समाचार पत्रों का वर्गीकरण उनके वर्ष 2007-2008, 2008-2009 व 2009-2010 सकल कुल राजस्व के औसत के आधार पर होना है भले ही अलग-अलग संस्करण का प्रकाशन व मुद्रण अलग-अलग कंपनियां करती हों, इन सभी को जोड़ कर जो भी राजस्व होगा श्रम विभाग को उसके अनुसार ही वेतनमान निर्धारित करने का आदेश सेवायोजकों को देना चाहिए। यदि श्रम विभाग के निर्धारण के बावजूद कोई भी पक्ष असहमत महसूस करता है तो असहमति के बिंदु को राज्य सरकार सक्षम विधि के अनुसार 17(2) में अभिनिर्णय हेतु श्रम न्यायालय को संदर्भित कर सकती है।

सेवायोजकों के प्रतिनिधि में हिन्दुस्तान टाइम्स के निदेशक कार्मिक का कहना था कि उनके 20 संस्करणों का राजस्व अलग-अलग निर्धारित होना चाहिए। इस पर वरिष्‍ठ पत्रकार माथुर ने बताया कि यह बिंदु बछावत प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय पहले ही तय कर चुका है और समस्त संस्करणों का सकल राजस्व ही वर्गीकरण का आधार माना जाता है। पत्रकारों की ओर से भी कहा गया कि मजीठिया वेजबोर्ड का अनुपालन वर्ष 2011 से नहीं हो पा रहा है जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी संदर्भित प्रकरणों का निर्णय छह माह के भीतर करने के निर्देश जारी किए हैं। पत्रकारों के मामले राज्य सरकार सीधे श्रम न्यायालयों को संदर्भित करे ताकि तकनीकी आधार पर अनावश्यक विवाद लम्बित न हो सकें।

बैठक में प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन सुरेश चन्द्रा, श्रम आयुक्त अनिल कुमार, श्रम विभाग के क्षेत्रीय अपर/उप श्रम आयुक्त व सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के अधिकारी तथा समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के सेवायोजक एवं पत्रकार एवं गैर पत्रकार संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

[मजीठिया क्रांतिकारी ग्रुप से]


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