Friday 13 May 2022

सीएम शिवराज के निर्देश पर श्रम मंत्री ने किया न्याय पालिका के अधिकारों पर अतिक्रमण



मजीठिया के मामले भोपाल लेबर कोर्ट से होशंगाबाद ट्रांसफर के लिए दिए थे आदेश

भोपाल। मप्र सरकार का असंवैधानिक और न्यायालय के अधिकारों में सीधे हस्तक्षेप देने वाले गैर कानूनी कृत्य का प्रमाण ये नोटशीट है। प्रकरण का बैकग्राउंड ये है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भोपाल श्रम न्यायालय क्रमांक 1 में पत्रकार और गैर पत्रकारों के वेतनमान संबंधी मजीठिया के प्रकरण समाचार पत्र संस्थान के खिलाफ चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हर हाल में 6 माह में इन केसों को निपटाने के आदेश किए हैं। इसी तारतम्य में लेबर कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई चल रही थी। लेकिन समाचार पत्र प्रबंधन ने माननीय न्यायाधीश पर बहुत सतही और असत्य आरोप लगाकर राज्य सरकार को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 33 बी धारा अंतर्गत् मामलों को भोपाल से अन्यत्र स्थानांतरित करने के लिए आवेदन दिया।

राज्य सरकार के श्रम मंत्री ब्रजेंद्र सिंह ने बिना कानूनी पक्ष जाने, यहां तक कि प्रभावित और पीडि़तों का पक्ष सुने बिना ही केस को स्थानांतरित करने का असंवैधानिक आदेश 7/04/2022 को निकाल दिया। हालांकि मप्र उच्च न्यायालय ने सरकार के असंवैधानिक आदेश पर रोक लगा दी है। लेकिन सूत्रों से पता लगा है कि इस असंवैधानिक अपराध को करने के निर्देश मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने श्रम मंत्री ब्रजेंद्र सिंह को दिए थे जिसके बाद श्रम मंत्री ने गैर कानूनी और असंवैधानिक आदेश निकाला है। लेकिन ये इस बात का प्रमाण है कि मप्र सरकार असंवैधानिक काम कर रही है और सरकार स्वयं ही अपराधी है। ऐसे में राज्य में न्याय का शासन कैसे रहेगा ये बड़ा सवाल है।


संविधान के मुताबिक लेबर कोर्ट उच्च न्यायालय के अधीन 

मामले के संवैधानिक पहलू की बात की जाए तो विधि विशेषज्ञ की राय है कि आर्टिकल 235 में न्यायालय को लेकर स्थिति अपने आप में स्पष्ट है। इसके मुताबिक देशभर के समस्त उच्च न्यायालय माननीय सुप्रीम कोर्ट के अधीन काम करेंगे। यानी इन पर प्रशासनिक कंट्रोल सुप्रीम कोर्ट का होगा। वहीं राज्य के अधीनस्थ न्यायालय जिनमें तमाम सिविल कोर्ट से लेबर कोर्ट श्रम न्यायालय तक शामिल है इनका कंट्रोल वहां के उच्च न्यायालय के पास होगा। यानी अधीनस्थ न्यायालय के जज के स्थानांतरण से लेकर पदोन्नति और अनुशासनात्मक कारवाई भी उच्च न्यायालय ही कर सकता है कोई राज्य सरकार नहीं। यदि राज्य सरकार ऐसा करती है तो वह लक्ष्मण रेखा तो लांघती ही है साथ ही ये कृत्य संविधान के खिलाफ भी है।

[मप्र के पत्रकार से प्राप्त जानकारी के आधार पर]

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