Tuesday 26 March 2019

मजीठिया: केस की सुनवाई के दौरान ट्रांसफर और द्वेषपूर्ण कार्रवाई पर रोक

रतलाम। कर्मचारियों से दबावपूर्वक लिया समझौता कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस कारण रतलाम में दैनिक भास्कर को दोहरा झटका लगा है। रिपोर्टर, सब एडिटर, मार्केटिंग, एचआर, एडमिन, अकाउंट, विज्ञापन, प्रिंटिंग प्लांट/मशीनरी सब ने केस लगाया है। मजीठिया वेजबोर्ड के मामले में लंबे समय बाद रतलाम दैनिक भास्कर से बड़ी खबर आई है। यह खबर बेहद खास और बड़ी इस मायने में है कि यहां से मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई लड़ रहे 7 कर्मचारियों के मामले में लेबर कोर्ट रतलाम ने मजीठिया वेजबोर्ड केस की समाप्ति तक ट्रांसफर और द्वेषपूर्ण कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मप्र पत्रकार संगठन के इन सभी सदस्यों द्वारा लंबे समय से अपने हक की लड़ाई लड़ी जा रही थी। इस दौरान मैनेजमेंट ने इन कर्मचारियों पर हर तरह का दबाव डाला लेकिन एक भी कर्मचारी ने हार नहीं मानी बल्कि और मजबूती से डटकर मैनेजमेंट का सामना किया।

तब तक कुछ नहीं कर सकेगा प्रबंधन
संगठन के अधिवक्ता केतन विश्नार द्वारा औद्योगिक विवाद अधिनियम धारा 33 के तहत प्रस्तुत आवेदन और दलीलों से सहमति जताते हुए पीठासीन अधिकारी महोदय ने सीनियर सब एडिटर बलवीर सिंह बैलिया, सीनियर रिपोर्टर जितेंद्र श्रीवास्तव, अकाउंटेंट राकेश पांचाल, रिसेप्शनिस्ट नाजमा खान, मशीनमैन जितेंद्र मालवीय, कम्प्यूटर ऑपरेटर दिनेश व्यास, और ऑफिस ब्वॉय उमेश चौहान कर्मचारियों को राहत देते हुए आदेश दिया है कि जब तक मजीठिया केस रतलाम लेबर कोर्ट में चल रहा है कोर्ट की अनुमति बिना मैनेजमेंट इन सातों कर्मचारियों की सेवा शर्तों में न तो कोई परिवर्तन कर सकेगा और न ही ट्रांसफर या दुर्भावनापूर्ण अन्य कोई कार्यवाही कर सकेगा।

झांसा दिया, धमकी दी इन्हें
इस लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण जीत यह रही कि पिछले साल दैनिक भास्कर प्रबंधन ने दो अन्य कर्मचारियों न्यूज एडिटर नीरज शुक्ला और पेजमेकर अब्दुल शगीर को इन्क्रीमेंट और प्रमोशन का झांसा दिया और लेबर कोर्ट से मजीठिया का केस वापस नहीं लेने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी देते हुए जबर्दस्त दबाव बनाया था। मैनेजमेंट के दबाव में आकर दोनों ने समझौता-पत्र साइन कर दिए थे। भास्कर ने उक्त समझौते कोर्ट में दाखिल किए लेकिन जज साहब ने कर्मचारी के कोर्ट में पेश होकर स्वयं स्वतंत्र सहमति दिए बिना समझौता स्वीकारने से मना कर दिया। अगली तारीख पर ये दोनों कर्मचारी कोर्ट में पेश हुए तो अधिवक्ता प्रदीप बंधवारजी ने उनका पक्ष मजबूती से रखा और दोनों कर्मचारियों ने समझौता पत्र दबाव में साइन होना बताते हुए मजीठिया का केस लड़ने का निवेदन किया।

पीठासीन अधिकारी आशीष प्रताप सिंह ने कर्मचारियों का आवेदन स्वीकार करते हुए समझौता-पत्र खारिज कर दिया। इस तरह एक ही दिन दैनिक भास्कर को दोहरे झटके लगे जिससे मैनेजमेंट सकते में है। खास बात यह है कि केस करनेवालों में रिपोर्टर, सब एडिटर, मार्केटिंग, एचआर, एडमिन, अकाउंट, विज्ञापन, प्रिंटिंग प्लांट/मशीनरी यानी हर विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। जज साहब ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय छह माह की समय सीमा में केस का फैसला किए जाने का भी उल्लेख किया है।

बन जाता है हरेक का खास
इस सम्पूर्ण घटनाक्रम के दौरान मैनेजमेंट का एक खास चमचा कोर्ट पहुंचा और मजीठिया का केस लगाने के लिए जरूरी जानकारी पता करने की आड़ लेकर कोर्ट की पलपल की जानकारी ऑफिस में बैठे संपादक तक बेशर्मी से पहुंचाता रहा। ऑफिस में भी यह इसी तरह की ओछी हरकतें करता है। इस कर्मचारी की खासियत यही है। इसी कारण “पत्रकारिता का प” ठीक से मालूम नहीं होने के बावजूद रतलाम में पदस्थ होने वाले हर संपादक का यह खास बन जाता है और “जेल में सुरंग” की खबर पहुंचाने वाला भी यही है।

हौंसला सातवें आसमान पर
बहरहाल कोर्ट से स्टे मिलने से एक ओर जहां इन कर्मचारियों का हौंसला सातवें आसमान पर है वहीं अन्य कर्मचारी भी केस लगाने के लिए जरूरी जानकारी और दस्तावेज जुटा रहे हैं। जब से उन्हें पता चला है कि दबावपूर्वक लिखे समझौते को कोर्ट नहीं मान रही तो बड़ी संख्या में कर्मचारी केस लगाने की तैयारियों में जुट गए हैं।

[साभार: harmudda.com]

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