Wednesday 30 November 2016

कोई भी मर्जी से कम वेतन नही चाहता: सुप्रीम कोर्ट

पंजाब सरकार के अस्थाई कर्मचारियों ने नियमित कर्मियों के समान वेतन पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसे पंजाब हाईकोर्ट ने पहले खारिज कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एेतिहासिक फैसला दे ये कहा कि कोई भी अपनी मर्जी से कम वेतन पर काम नही करना चाहेगा। वह एेसा केवल अपने परिवार को भोजन और आश्रय मुहैया कराने के लिए करता है। इसके लिए वह अपने आत्मसम्मान गरिमा और स्वाभिमान की कीमत चुकाता है।

बचने का कोई रास्ता नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि आथिॅक सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार -1966 के अंतरराष्टृीय समझौते के सैक्शन -7 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे बचने का कोई रास्ता नही है। यह प्रत्येक नागरिक का अधिकार है।

अखबार मालिकों पर चले 420 का मुकद्दमा: यदि हम सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त फैसले को देखे तो जिस प्रकार दैनिक जागरण सहित अन्य सभी अखबारों ने वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 13 व 16 की धज्जियां उड़ाते हुए कर्मचारियों के लिए गए हस्ताक्षर को 20 जे में दिखाते रहे चाहे कर्मचारी का वेतन मजीठिया वेज बोर्ड से कम ही क्यो न हो। अखबार मालिक अदालत का समय बर्बाद करते चले आ रहे हैं व कानून का मखौल उड़ाते आ रहे हैं। इन पर 420 का केस चलना चाहिए क्योकि इतने बड़े अखबार को जर्नलिस्ट एक्ट की जानकारी न हो एेसा संभव नही।
(Oct 2016 SC order)





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