लखनऊ। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है। उन्होंने इस संदर्भ में एक पत्र उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा है...
सेवा में 10-09-19
श्री योगी आदित्यनाथ जी
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश
विषय—पत्रकारों के उत्पीड़न और बदले की भावना से की जा रही कार्यवाहियों के संदर्भ में
महोदय,
आपको अवगत कराना है कि विगत कुछ समय से प्रदेश भर में पत्रकारों को समाचार संकलन व प्रकाशन सहित संप्रेषण में प्रशासन की ओर से बाधाएं खड़ी की जा रही हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। मिर्जापुर में मिड डे मील में धांधली को उजागर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को उलटे पुलिस केस में फंसा दिया गया है। आजमगढ़ में बिना नंबर की स्कार्पियों रखने वाले पुलिस अधिकारी पर खबर दिखाने वाले पत्रकार संतोष जायसवाल पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है जबकि बिजनौर में दलित बिरादरी के लोगों का दंबगों के पानी बंद किए जाने की खबर लिखने पर दैनिक जागरण व न्यूज 18 सहित पांच पत्रकारों पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। राजधानी लखनऊ में पत्रकार असद रिजवी को मुहर्रम से संबंधित खबर लिखने पर पुलिस ने घर पहुंच कर धमकाया है।
उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति अध्यक्ष व इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन सहित सभी पत्रकार संगठन इन सभी प्रकरणों को लेकर न केवल विरोध दर्ज करा चुके हैं बल्कि सक्षम अधिकारियों से वार्ता कर पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने, उनके खिलाफ मुकदमे वापस लेने व दोषी अधिकारियों पर कारवाई करने की मांग कर चुके हैं। अब तक कोई कारवाई दोषियों के खिलाफ नहीं हो पाई है।
हम सभी पत्रकारगण इस ज्ञापन के माध्यम से निम्नलिखित मांग करते हुए मीडिया का आजादी पर मंडरा रहे संकट को लेकर सरकार से अविलंब कारवाई की अपेक्षा करते हैं।
1. देश के कई अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए।
2. पत्रकारों पर झूठे व बदले की भावना से दर्ज मुकदमें तत्काल वापस लिए जाएं।
3. पत्रकारों पर उत्पीड़नात्मक कारवाई करने वाले अधिकारियों पर कारवाई की जाए।
4. प्रदेश व जिला स्तर पर पत्रकारों की स्थाई समिति को पुनर्जीवित करते हुए उसमें मान्यता समिति व अन्य पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
5. पत्रकार के खिलाफ किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज करने से पहले उसे स्थाई समिति के पास भेजा जाए व जांच की जाए।
6. मिर्जापुर प्रकरण में दोषी जिलाधिकारी के खिलाफ अविलंब कारवाई करते हुए पत्रकार पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए। बिजनौर, आजमगढ़ सहित अन्य इस तरह के प्रकरणों में दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए व दोषियों पर कारवाई हो।
7. प्रशासनिक अक्षमता व धांधली के मामले उजागर करने वाले पत्रकारों को खतरे की दशा में पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध करायी जाए।
महोदय निवेदन का इस ज्ञापन में उल्लिखित मांगों पर समुचित कारवाई सुनिश्चित की जाए।
भवदीय
हेमंत तिवारी
अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं
उपाध्यक्ष
इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट
सेवा में 10-09-19
श्री योगी आदित्यनाथ जी
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश
विषय—पत्रकारों के उत्पीड़न और बदले की भावना से की जा रही कार्यवाहियों के संदर्भ में
महोदय,
आपको अवगत कराना है कि विगत कुछ समय से प्रदेश भर में पत्रकारों को समाचार संकलन व प्रकाशन सहित संप्रेषण में प्रशासन की ओर से बाधाएं खड़ी की जा रही हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। मिर्जापुर में मिड डे मील में धांधली को उजागर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को उलटे पुलिस केस में फंसा दिया गया है। आजमगढ़ में बिना नंबर की स्कार्पियों रखने वाले पुलिस अधिकारी पर खबर दिखाने वाले पत्रकार संतोष जायसवाल पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है जबकि बिजनौर में दलित बिरादरी के लोगों का दंबगों के पानी बंद किए जाने की खबर लिखने पर दैनिक जागरण व न्यूज 18 सहित पांच पत्रकारों पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। राजधानी लखनऊ में पत्रकार असद रिजवी को मुहर्रम से संबंधित खबर लिखने पर पुलिस ने घर पहुंच कर धमकाया है।
उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति अध्यक्ष व इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन सहित सभी पत्रकार संगठन इन सभी प्रकरणों को लेकर न केवल विरोध दर्ज करा चुके हैं बल्कि सक्षम अधिकारियों से वार्ता कर पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने, उनके खिलाफ मुकदमे वापस लेने व दोषी अधिकारियों पर कारवाई करने की मांग कर चुके हैं। अब तक कोई कारवाई दोषियों के खिलाफ नहीं हो पाई है।
हम सभी पत्रकारगण इस ज्ञापन के माध्यम से निम्नलिखित मांग करते हुए मीडिया का आजादी पर मंडरा रहे संकट को लेकर सरकार से अविलंब कारवाई की अपेक्षा करते हैं।
1. देश के कई अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए।
2. पत्रकारों पर झूठे व बदले की भावना से दर्ज मुकदमें तत्काल वापस लिए जाएं।
3. पत्रकारों पर उत्पीड़नात्मक कारवाई करने वाले अधिकारियों पर कारवाई की जाए।
4. प्रदेश व जिला स्तर पर पत्रकारों की स्थाई समिति को पुनर्जीवित करते हुए उसमें मान्यता समिति व अन्य पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
5. पत्रकार के खिलाफ किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज करने से पहले उसे स्थाई समिति के पास भेजा जाए व जांच की जाए।
6. मिर्जापुर प्रकरण में दोषी जिलाधिकारी के खिलाफ अविलंब कारवाई करते हुए पत्रकार पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए। बिजनौर, आजमगढ़ सहित अन्य इस तरह के प्रकरणों में दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए व दोषियों पर कारवाई हो।
7. प्रशासनिक अक्षमता व धांधली के मामले उजागर करने वाले पत्रकारों को खतरे की दशा में पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध करायी जाए।
महोदय निवेदन का इस ज्ञापन में उल्लिखित मांगों पर समुचित कारवाई सुनिश्चित की जाए।
भवदीय
हेमंत तिवारी
अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं
उपाध्यक्ष
इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट
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