वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी श्रम न्यायालय ने पीड़ित पत्रकार को 50 फीसदी वेतन तुरंत और शेष का भुगतान 2 माह के भीतर करने का आदेश का आदेश दिया है।
धर्म, संस्कृति, आध्यात्म की अति प्राचीन नगरी काशी के रहने वाले कर्तव्यपरायण, लगनशील पत्रकार काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे कलम के बेताज बादशाह विकास पाठक ने अपना सम्पूर्ण जीवन काशी से प्रकाशित होने वाले एक सान्ध्य दैनिक में वर्ष 1987 से पत्रकारिता शुरू करके नित नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए सहायक सम्पादक तक का सफर तय किया था।
खोजी पत्रकारिता के दौरान वाराणसी का चर्चित संवासिनी काण्ड रहा हो या अन्य समाजिक समरसता से जुड़ी खबरें सत्य व निर्भिक तथा अपने क्रांतिकारी लेखनी के द्वारा काशी ही नहीं अपितु अन्य जनपदों से लगायत प्रांतीय, राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी लेखनी की धार को कभी कुंद नहीं होने दिया।
वाराणसी के सान्ध्य दैनिक अखबार गाँड़ीव संस्थान के मलिकानों द्वारा इस कलम के जादूगर को काफी प्रताड़ित भी किया गया, लेकिन हार नहीं मानी और अपने कर्तव्य के पथ पर अडिग रहे। वर्ष 2011 मे सेवायोजन संस्थान द्वारा अचानक सेवा समाप्त कर दिया।
वर्ष 2016 मे कलम के इस जादूगर ने श्रम न्यायालय वाराणसी में वाद दाखिल किया। लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अभिनिर्णय शासानादेश संख्या 678 दिनांक 03 सितम्बर 2019 द्वारा प्राप्त हुआ और 12 सितम्बर 2019 को एबार्ड प्रकाशित हुआ।
निर्णय में कहा गया है कि सेवायोजक संस्थान द्वारा श्रमिक को 50 प्रतिशत वेतन का भुगतान तत्काल करे और शेष भुगतान 2 माह के अंदर किया जाए। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष जयराम पांडेय के अनुसार पीड़ित पत्रकारों व गैर पत्रकारों के हक में श्रम न्यायालय में कानूनी लड़ाई की मुख्य भूमिका यूनियन के वरिष्ठ विद्वान अधिवक्ता अजय मुखर्जी और आशीष टंडन ने निभाई। इस फैसले से पीड़ित पत्रकारों व गैर पत्रकारों में हर्ष का माहौल व्याप्त है।
धर्म, संस्कृति, आध्यात्म की अति प्राचीन नगरी काशी के रहने वाले कर्तव्यपरायण, लगनशील पत्रकार काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे कलम के बेताज बादशाह विकास पाठक ने अपना सम्पूर्ण जीवन काशी से प्रकाशित होने वाले एक सान्ध्य दैनिक में वर्ष 1987 से पत्रकारिता शुरू करके नित नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए सहायक सम्पादक तक का सफर तय किया था।
खोजी पत्रकारिता के दौरान वाराणसी का चर्चित संवासिनी काण्ड रहा हो या अन्य समाजिक समरसता से जुड़ी खबरें सत्य व निर्भिक तथा अपने क्रांतिकारी लेखनी के द्वारा काशी ही नहीं अपितु अन्य जनपदों से लगायत प्रांतीय, राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी लेखनी की धार को कभी कुंद नहीं होने दिया।
वाराणसी के सान्ध्य दैनिक अखबार गाँड़ीव संस्थान के मलिकानों द्वारा इस कलम के जादूगर को काफी प्रताड़ित भी किया गया, लेकिन हार नहीं मानी और अपने कर्तव्य के पथ पर अडिग रहे। वर्ष 2011 मे सेवायोजन संस्थान द्वारा अचानक सेवा समाप्त कर दिया।
वर्ष 2016 मे कलम के इस जादूगर ने श्रम न्यायालय वाराणसी में वाद दाखिल किया। लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अभिनिर्णय शासानादेश संख्या 678 दिनांक 03 सितम्बर 2019 द्वारा प्राप्त हुआ और 12 सितम्बर 2019 को एबार्ड प्रकाशित हुआ।
निर्णय में कहा गया है कि सेवायोजक संस्थान द्वारा श्रमिक को 50 प्रतिशत वेतन का भुगतान तत्काल करे और शेष भुगतान 2 माह के अंदर किया जाए। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष जयराम पांडेय के अनुसार पीड़ित पत्रकारों व गैर पत्रकारों के हक में श्रम न्यायालय में कानूनी लड़ाई की मुख्य भूमिका यूनियन के वरिष्ठ विद्वान अधिवक्ता अजय मुखर्जी और आशीष टंडन ने निभाई। इस फैसले से पीड़ित पत्रकारों व गैर पत्रकारों में हर्ष का माहौल व्याप्त है।
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