इंडियन
एक्सप्रेस जैसे बड़े ग्रुप में छंटनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुपके-चुपके चोरी
से एक-एक कर निकला जा रहा है। HR से कॉल किया जाता है और ऑफिस आने को बोला जाता
है। गेट पर आई कार्ड और लैपटॉप लेकर टर्मिनेशन के बारे मे मुंह से बोल कर निकाल
दिया जा रहा है। कोई मेल या लेटर ऑफ़ टर्मिनेशन नहीं दिया जा रहा।
बहुत
ही गुप्त तरीके से यह सब एक हफ्ते से चल रहा है। प्रिंट – इंडियन एक्सप्रेस, फाइनेंसियल एक्सप्रेस और जनसत्ता से
छंटनी कर दी गई है।
अब
ऑनलाइन की लिस्ट तैयार है। कुछ को बुधवार 15 जुलाई को ऑफिस में लैपटॉप के साथ
बुलाया गया है। ऐसे में कर्मचारी घबराए हुए हैं और समझ नहीं पा रहे कि क्या करें।
कर्मचारियों के साथ कोई नहीं खड़ा है – ना सरकार, ना सुप्रीम कोर्ट।
स्थिति
बहुत ख़राब है
अगर
कोई एक्सप्रेस ग्रुप का स्टाफ कठिन कदम जैसे की आत्महत्या इत्यादि करता है, तो
सिर्फ और सिर्फ एक्सप्रेस ग्रुप का प्रबंधन जिम्मेदार होगा। छोटे-छोटे कर्मचारियों
को निकाला जा रहा है, लेकिन जो लोग बॉस हैं, जिनकी मोटी सैलरी है, वो आराम से घर पर रह रहे हैं। आखिर
उनको क्यों नहीं निकाला जा रहा?
एक
मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
[साभार:
bhadas4media.com]
No comments:
Post a Comment