साथियों हमारे हिमाचल प्रदेश से साथी रविंद्र अग्रवाल ने आपके लिए सुप्रीम
कोर्ट के 19 जुलाई 2017 के फैसले का हिंदी में अनुवाद है। उन्होंने अनुवाद जारी
करते हुए लिखा है कि इसका केवल एक ही मकसद है कि इसको पढ़ने के बाद आप प्रबंधन
द्वारा फैलाए भ्रम जाल को समझ सके। इस फैसले से मालिक भले ही अवमानना से बच
गए हों, परंतु वेजबोर्ड
की जिम्मेदारी से नहीं बच पाए हैं। फैसला लंबा है इसलिए उन्होंने आपके लिए इसका
पहला भाग जारी किया है।
जैसे-जैसे वे अनुवाद करते जाएंगे वे उसे जारी करते जाएंगे। साथियों, यहां एक बहुत
महत्वपूर्ण बात और कहना चाहेंगे कि फैसले का पहला भाग पढ़ कर या कुछ अंश पढ़कर नतीजे पर
ना पहुंचे। जब तक आपके समक्ष पूरा फैसला अनुवाद होकर नहीं आ जाता तब तक पूरी पिक्चर
क्लियर नहीं होगी। इसलिए आधी-अधूरी जानकारी फैलाने वालों से बचें।
[क्रमश:]
आप रविंद्र अग्रवाल से इस नंबर पर भी संपर्क कर सकते हैं-
9816103265
ravi76agg@gmail.com
ravi76agg@gmail.com
हिंदी में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले भाग को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/AEB3c1
अंग्रेजी में सुप्रीम कोर्ट के पूरे फैसले को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/69NLej
वीडियो- फैसले पर प्रशांत भूषण की बेबाक राय, ‘मीडिया मालिकों ने पत्रकारों को बंधुआ मजदूर बना रखा है’ http://thewirehindi.com/11541/prashant-bhushan-on-majithia-wage-board-and-supreme-court-judgement/
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