जी हां, साथियों जिन्होंने श्रम कार्यालय में एरियर की डिमांड करते हुए रिकवरी लगा
रखी है उनके लिए वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की धारा 16A एक मजबूत सुरक्षा कवच है। हमने अपने पिछले
लेख 'बर्खास्तगी की
धमकी से ना डरे, ना दे जबरन इस्तीफा' में जानकारी दी थी कि जबरन इस्तीफा सौंपने
वाले साथी क्या खो रहे हैं और उन्हें आगे क्या करना चाहिए। इस लेख में हम बता
रहे हैं कि धारा 16a क्या है और संस्थान से वेजबोर्ड के लाभ की
मांग करने वाले या फिर रिकवरी लगाने वाले साथियों की कैसे रक्षा करता है।
[16A. Employer not
to dismiss, discharge, etc., newspaper employees.- No employer in relation to a
newspaper establishment shall, by reason of his liability for payment of wages
to newspaper employees at the rates specified in an order of the Central
Government under section 12, or under section 12 read with
section 13AA or section 13DD, dismiss, discharge or retrench any
newspaper employee.]
[धारा 16क. नियोजक द्वारा समाचारपत्र कर्मचारियों
को पदच्युत, सेवोन्मुक्त, आदि
न किया जाना- किसी समाचारपत्र स्थापन के संबंध में कोई नियोजक, धारा
12 के अधीन या धारा 13कक या धारा 13घ घ के साथ पठित धारा 12 के अधीन केंद्रीय
सरकार के किसी आदेश में विनिर्दिष्ट समाचारपत्र कर्मचारियों को मजदूरी के संदाय
के अपने दायित्व के कारण, किसी समाचारपत्र कर्मचारी को पदच्युत या सेवोन्मुक्त
नहीं करेगा या उसकी छंटनी नहीं करेगा।]
साथियों, उपरोक्त धारा पढ़ कर आपको समझ तो आ ही गया होगा कि कोई भी संस्थान वेजबोर्ड
के लाभों की मांग करने वाले किसी भी कर्मचारी की बर्खास्तगी या छंटनी आदि नहीं कर
सकता। यदि संस्थान ऐसा कदम उठता है तो उस पर सक्षम प्राधिकरण या अदालत स्टे लगा
सकती है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा 16 दिसंबर 2016 को प्रभात खबर के
मिथिलेश कुमार के स्थानांतरण पर रोक लगाना है। order- [The
petitioner need not join in his new assignment until the said date.]
दूसरा उदाहरण 3 फरवरी 2017 को मप्र की दिव्या सेंगर के मामले में भी सिविल
कोर्ट द्वारा उनके स्थानांतरण पर रोक लगाना। जिसमें अदालत ने दिव्या सेंगर के स्थानांतरण
के पीछे मजीठिया वेजबोर्ड की मांग को कारण माना है।
इस खबर का पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करें- http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/02/blog-post_36.html
तीसरा उदाहरण 4 मार्च 2016 को नई दिल्ली स्थित श्रम कार्यालय द्वारा धारा 16a के तहत दैनिक
जागरण कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर रोक लगाने और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
दिया जाना। order- (You are hereby directed to file reply
to the application by 08-03-2016 at 11.30 AM. and in the meantime services of the workmen be not
terminated and maintain status quo.)
चौथा सबसे बड़ा उदाहरण लोकमत के अस्थाई कर्मचारी महेश साकुरे का है, जिनकी सेवाएं
30 जून 2001 को समाप्त कर दी गई थी। अदालती लड़ाई के बाद वे आज स्थायी कर्मचारी
के रुप में लोकमत में ही काम कर रहे हैं और कंपनी से लाखों रुपये के एरियर का
मुकदमा भी जीत चुके हैं।
इस खबर का पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करें- http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/10/blog-post_10.html
वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की धारा 16a या आईडी एक्ट 1947 की धारा 33 ऐसे सभी कर्मचारियों की बर्खास्तगी आदि में
ढाल बनती है जिनका वेतन संबंधी विवाद कंपनी के साथ चल रहा होता है। वेतन विवाद के
चलते कंपनी यदि ऐसे कर्मचारियों को बर्खास्त या स्थानांतरण आदि कर भी देती है तो
वे इसको उपयुक्त प्राधिकरण या अदालत में उसको चुनौती दे सकते हैं। और इन धाराओं
के तहत बर्खास्तगी या स्थानांतरण आदि के मामलों में फैसला उनके पक्ष में आता है।
धमकी मिलने पर क्या करें-
कंपनी द्वारा नौकरी से निकालने जाने या स्थानांतरण की धमकी आदि मिलने पर
तुरंत श्रम कार्यालय में रिकवरी लगाएं, जिससे कंपनी आपके खिलाफ कोई एक्शन ले भी ले
तो धारा 16क की वजह से आप अपने केस में मजबूत स्थिति में होंगे।
अंत में, साथियों दो चार बड़े
समाचार पत्रों के अलावा अन्य छोटे-बड़े अखबारों में यूनियनों के ना होने का फायदा
अखबार मालिक उठा रहे हैं। यूनियनों के ना होने की वजह से ही हम में से 99 फीसदी
साथी अपने कानूनी अधिकारों से अनजान है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से प्रबंधन
का दमन चक्र तेज हो गया है और कानूनी जानकारी के अभाव में हमारे बहुत से साथी अपनी
नौकरियां गंवा रहे हैं। इसलिए हम आपकी मदद के लिए मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे कुछ
साथियों के संपर्क नंबर दे रहे हैं। आप इनसे बेहिचक बात कर मदद मांग सकते हैं। साथ
ही सोमवार को आने व़ाले ऐतिहासिक फैसले को पढ़ने और वकीलों से समझने के बाद ही इस
जानकारी देने के क्रम को हम आगे बढ़ाएंगे।
Vinod Kohli
ji – 09815551892
President,
Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists
Union
kohlichd@gmail.com
भूपेंद्र प्रतिबद्व जी (चंडीगढ़)
9417556066
रविंद्र अग्रवाल जी (हिमाचल प्रदेश)
9816103265
ravi76agg@gmail.com
राकेश वर्मा जी (राजस्थान)
9829266063
प्रदीप गौड़ जी (राजस्थान)
9928092537
शशिकांत सिंह जी (महाराष्ट्र)
पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट
9322411335
महेश साकुरे जी (महाराष्ट्र)
8275284645
महेश कुमार जी (दिल्ली)
9873029029
kmahesh0006@gmail.com
पुरुषोत्तम जी (दिल्ली)
9810718633
शारदा त्रिपाठी जी (कानपुर)
9452108610
मयंक जैन जी (भोपाल)
9300124476
इन्हें भी पढ़े-
मजीठिया: Miscellaneous
लिस्ट
में आई फैसले की घड़ी http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/miscellaneous.html
मजीठिया: बर्खास्तगी, तबादले की धमकी से ना डरे, ना दे जबरन इस्तीफा http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/05/blog-post_29.html
लोकमत प्रबंधन को मात देने
वाले महेश साकुरे के पक्ष में आए विभिन्न अदालतों के आदेशों को करें डाउनलोड http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post.html
हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-17D: सभी
ग्रेड के साथी एरियर बनाते हुए इन बातों का रखें ध्यान http://goo.gl/Npp9Hp
मुंबई में नवभारत के 400 मीडियाकर्मियो ने बनायी यूनियन
http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/05/400.html
लोकसभा में गूंजा मजीठिया
वेजबोर्ड
http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/03/blog-post_22.html
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