राजस्थान पत्रिका को एक और तगड़ा झटका लगा है। जितेंद्र जाट के बाद दीपक यदुवंशी को लेबर कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। लेबर कोर्ट ने दीपक के ट्रांसफर पर रोक लगा दी है। दीपक ने प्रबंधन से मजीठिया वेजबोर्ड के तहत अपने हक का वेतन मांगा था, लेकिन अपनी आदत के तहत पत्रिका प्रबंधन दमन पर उतर आया। लेकिन, इस बार भी ग्वालियर के वकील नवनिधि पढ़रया देवदूत बनकर आए। नवनिधि जितेंद्र जाट के वकील भी हैं।
दीपक यदुवंशी की नियुक्ति राजस्थान पत्रिका प्रा. लि. में हुई थी। कुछ समय बाद उसे बिना बताए फोर्ट फोलियो (यह कंपनी पत्रिका ने कर्मचारियों को वेतनमान से महरूम रखने के लिए बनाई हुई है) में डाल दिया। जब दीपक ने कोर्ट में मजीठिया के लिए आवेदन लगाया तो प्रबंधन बौखला गया। दीपक का यह कहते हुए नागौर (राजस्थान) ट्रांसफर किया गया कि ग्वालियर में पत्रिका को फोर्ट फोलियो कंपनी के कर्मचारी दीपक की जरूरत नहीं है। नागौर में जरूर काम है, वहां चले जाओ। यानी सीधे-सीधे दमन।
प्रबंधन के ट्रांसफर को दीपक ने वकील नवनिधि के माध्यम से लेबर कोर्ट में चैलेंज किया। माननीय न्यायाधीश ने दीपक के ट्रांसफर पर रोक लगा दी है। दीपक को पुनः ज्वाइन कराने के आदेश दिए हैं।
डेढ़ माह पहले जितेंद्र जाट को भी प्रबंधन को पुनः ज्वाइनिंग देनी पड़ी थी (जितेंद्र को बिना कारण डेढ़ साल पहले बर्खास्त कर दिया गया था, जबकि वो ग्वालियर में चीफ रिपोर्टर के पद पर कार्यरत थे और वो मजीठिया वेतनमान के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे)। हद तो यह है कि जितेंद्र को ज्वाइनिंग के बाद संपादकीय कार्यालय के बजाय मशीन में एक छोटे से कमरे में बैठाया गया है। पहले दिन उन्हें समीक्षा के लिए कंप्यूटर दिया गया, जब जितेंद्र ने अच्छी समीक्षा कर दी तो दूसरे दिन कंप्यूटर हटा लिया गया।
जितेंद्र के बाद दीपक को कोर्ट से राहत मजीठिया वेतनमान के लिए लड़ रहे पत्रकारों और गैर पत्रकारों की बड़ी जीत है। प्रबंधन का शोषण उनके लिए चेतावनी भी है, जो आज चुप हैं और सहन कर रहे हैं। हो सकता है अगला नंबर आपका हो। शोषण के खिलाफ आवाज उठाएं, आज शांत रह गए तो आगे आने वाली पीढ़ियां आपको माफ नहीं करेंगी।
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