पंकज कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज
सुनाया उत्साहजनक आदेश
ट्रांस्फर/टर्मिनेशन के मामले भी छह माह में
निपटाने होंगे: सुप्रीम कोर्ट
अखबार मालिकों के सताए अखबार कर्मियों को
सुप्रीम कोर्ट से एक और बड़ी राहत भरी खबर मिली है। माननीय सुप्रीम कोर्ट की
जस्टिस गोगोई और जस्टिस सिन्हा की बैंच ने आज मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर की गई
टर्मिनेशन और ट्रांस्फर के मामलों को भी छह माह में निपटाने के आदेश जारी किए हैं।
आज दैनिक जागरण गया के कर्मचारी पंकज की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट
ने अखबार मालिकों के खिलाफ लगाई गई अवमानना याचिाकाओं पर 19 जून को दिए गए आने
निर्णय के पैरा नंबर 28 में बर्खास्तगी और तबादलों को लेकर दिए गए निर्देशों को भी
वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17(2) के तहत रेफर किए गए रिकवरी के मामलों में 13
अक्तूबर को दिए गए टाइम बाउंड के आर्डर के साथ अटैच करते हुए इन मामलों की सुनवाई
भी छह माह के भीतर ही पूरी करने के निर्देश जारी किए हैं।
ज्ञात रहे कि गया के मजीठिया क्रांतिकारी
पंकज कुमार मजीठिया वेजबोर्ड मांगने के चलते तबादले का शिकार हुए थे और उन्होंने
पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश रह चुके सेवानिवृत्त जस्टिस
नागेंद्र राय के सहयोग से दैनिक जागरण की इस तनाशाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में
याचिका दायर की थी। हालांकि इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कार्यवाही
करने से पल्ला झाड़ लिया था कि ट्रांस्फर व टर्मिनेशन के मामलों को अनुच्छेद 32 के
तहत इतने उच्च स्तर की रिट याचिका में उठाना उचित नहीं है, क्योंकि ये मामले कर्मचारी की सेवा शर्तों से जुड़े होते हैं और इन्हें उचित
प्राधिकारी के समक्ष ही उठाया जाना उचित रहेगा।
19 जून की जजमेंट के पैरा 28 का अनुवाद इस
प्रकार से है-
"28. जहां तक कि तबादलों/ बर्खास्तगी के
मामलों में हस्तक्षेप की मांग करने वाली रिट याचिकाओं के रूप में, जैसा कि मामला हो सकता है, से संबंध है, ऐसा लगता है कि ये संबंधित रिट याचिकाकर्ताओं की सेवा शर्तों से संबंधित है।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अत्याधिक विशेषाधिकार रिट
क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल इस तरह के सवाल के अधिनिर्णय के लिए करना न केवल अनुचित
होगा परंतु ऐसे सवालों को अधिनियम के तहत या कानूनसंगत प्रावधानों(औद्योगिक विवाद
अधिनियमए 1947 इत्यादि), जैसा कि मामला
हो सकता है, के तहत उपयुक्त प्राधिकारी के समक्ष समाधान
के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।"
उधर, माननीय सुप्रीम
कोर्ट द्वारा पहले 13 अक्तूबर, 2017 को 17(2)
के तहत मजीठिया वेजबोर्ड के रिकवरी के मामलों की सुनवाई को श्रम न्यायालयों में
रेफ्रेंस प्राप्त होने के छह माह के भीतर प्राथमिकता के तौर पर निपटाने के आदेशों
के बाद आज यानि 27 अक्तूबर को अवमानना याचिकाओं पर दिए गए निर्णय के पैरा 28 में
उदृत्त ट्रांस्फर और टर्मिनेशन के मामलों को भी इन्हीं आदेशों से जोड़ कर छह माह
में ही निपटाने के आदेश जारी करके अखबार मालिकों की लेटलतीफी की रणनीति से परेशान
मजीठिया क्रांतिकारियों का उत्साह दोगुना कर दिया है। उनकी पिछले छह वर्षों से चली
आ रही यह जंग अब निर्णयक दौर में है।
आज के इस निर्णय के लिए पंकज कुमार को इस
मुकाम तक पहुंचने में निशुल्क मदद करने वाले पूर्व जस्टिस एवं अधिवक्ता नागेंद्र
राय जी और उनकी टीम बधाई और आभार की पात्र है। उनकी टीम के सह अधिवक्ता मदन तिवारी
और शशि शेखर ने पंकज कुमार को काफी हौसला दिया था। पंकज कुमार ने इस निर्णय के बाद
खुशी जाहिर करते हुए बताया कि वे अपने अधिवक्ता पूर्व जस्टिस नागेंद्र राय के
आभारी हैं, जिन्होंने उन्हें बिना किसी फीस के इस मुकाम
तक पहुंचने में मदद की। वहीं उनके सह अधिवक्ताओं ने हमेशा उनकी हौसला अफजाई की और
दिलासा देते रहे कि यकीन रखें जीत हमेशा सत्य की ही होती है।
उधर, 13 अक्तूबर के
निर्णय के लिए मुख्य अवमानना याचिका संख्या 411/2014 के अभिषेक राजा और उनके
वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंज़ाल्विस भी उतने ही बधाई और आभार के पात्र हैं, जिन्होंने 19 जून और 13 अक्तूबर के निर्णयों में अहम भूमिका निभाई थी।
-रविंद्र अग्रवाल, वरिष्ठ संवाददाता धर्मशाला, हिमाचल
प्रदेश
9816103265
वीडियो- फैसले पर प्रशांत भूषण की बेबाक राय, ‘मीडिया मालिकों ने पत्रकारों को बंधुआ मजदूर बना रखा है’http://thewirehindi.com/11541/prashant-bhushan-on-majithia-wage-board-and-supreme-court-judgement/
इन्हें भी पढ़े-
मजीठिया: जागरण प्रबंधन के
वकील ने कहा, 'फैसले में कर्मचारियों की चिंताओं को दूर किया गया है' http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/blog-post_13.html
मजीठिया: रिकवरी लगाने
वालों के लिए सुरक्षा कवच है 16A http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/16a.html
मजीठिया: बर्खास्तगी, तबादले की धमकी से ना डरे, ना दे जबरन इस्तीफा http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/05/blog-post_29.html
लोकमत प्रबंधन को मात देने
वाले महेश साकुरे के पक्ष में आए विभिन्न अदालतों के आदेशों को करें डाउनलोड http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post.html
मजीठिया: ठेका कर्मियों को
निकालने से बचेंगे अखबार मालिक http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/blog-post_22.html
मजीठिया: दैनिक जागरण के
दो पत्रकारों के तबादले पर रोक
http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/blog-post_2.html
#MajithiaWageBoardsSalary,
MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary
No comments:
Post a Comment