मुंबई के एक भी अखबारों ने नहीं किया विशाखा समिति का गठन!
आरटीआई से हुआ खुलासा
देश भर के अखबार मालिक माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश को भी ताक पर रखते हैं और जिदकर के बैठे हैं कि सुप्रीमकोर्ट का आदेश नहीं मानेंगे। पहले जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड का आदेश अखबार मालिकों ने नहीं माना और अब माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा निजी और सरकारी संस्थानों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के सम्मान से जुड़े विशाखा समिति की स्थापना के लिये दिये गये आदेश को भी मानने से मुंबई के अखबार मालिको ने मना कर दिया है और साफ कहें तो सुप्रीमकोर्ट के आदेश को एक बार फिर से ठेंगा दिखा दिया है। ये खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये। मुंबई की जानी महिला पत्रकार और एनयूजे की महाराष्ट्र की महासचिव शीतल करंदेकर ने जिलाधिकारी कार्यालय, मुंबई शहर की जनमाहिती अधिकारी से आरटीआई के जरिये 18 जनवरी 2017 को जानकारी मांगी थी कि माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार मुंबई शहर के कितने अखबार मालिकों ने अपने यहां विशाखा समिति की सिफारिश लागू किया है उसकी पूरी जानकारी उपलब्ध कराईये।
अगर इन अखबार मालिकों ने अपने यहां ये सिफारिश नहीं लागू किया तो उनके खिलाफ क्या क्या कारवाई की गयी उसका पूरा विवरण दिजिये। शीतल करंदेकर की इस आरटीआई को जिलाधिकारी और जिलादंडाधिकारी कार्यालय मुंबई शहर ने 9 फरवरी 2017 को जिला महिला व बाल विकास अधिकारी कार्यालय को भेज दिया। जिला महिला व बाल विकास अधिकारी कार्यालय मुंबई की जनमाहिती अधिकारी तथा जिला महिला व बाल विकास अधिकारी एन.एम. मस्के ने 29 मार्च 2017 को भेजे गये जबाव में शीतल करंदेकर को जानकारी दी है कि उनके कार्यालय में यह जानकारी उपलब्ध नहीं है। यानि साफ तौर पर कहें तो जिला महिला व बाल विकास अधिकारी कार्यालय में भी ये जानकारी नहीं है कि कितने अखबारों ने विशाखा समिति की सिफारिश लागू किया है। आपको बता दें कि यह रोजगार प्रदाता का दायित्व है कि व यौन उत्पीड़न से निवारण के लिए कंपनी की आचार संहिता में एक नियम शामिल करें।
संगठनों को अनिवार्य रूप से शिकायत समितियों की स्थापना करनी चाहिए, जिसकी प्रमुख महिलाओं को बनाया जाना चाहिए ।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
9322411335
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