यह जानने के लिए कि मजीठिया मामले की
सुनवाई, जो 17 जनवरी को तय की गई थी, के तय तिथि पर ना हो पाने को लेकर इंडियन फैडरेशन आफ वर्किंग
जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) के कार्यालय में असंख्य टेलीफोन कॉल और ईमेल की बाढ़ सी
आ गई गई है। सुनवाई की पिछली तारीख यानि 10 जनवरी को यह मामला कानूनी मुद्दों पर बहस के लिए 17 जनवरी को सूचीबद्ध किया गया था। इस दौरान बहस निष्कर्षहीन रही थी। इसके बाद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की बेंच ने सुनवाई को 17 जनवरी तक बढ़ा दिया था।
हमने रजिस्ट्री की लिस्टिंग शाखा से
मामले को तारीख से हटाने के कारण का पता लगाने के लिए संपर्क किया, तो हमें बताया गया कि
मामलों को सूचीबद्ध करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के साथ विचार-विमर्श
करके माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा कुछ बदलाव किए गए हैं। यद्यपि अगर तारीख
खंडपीठ द्वारा ही तय की गई हो तो इसे सूची से हटाया जाने का मामला बहुत ही दुर्लभ
होता है, हालांकि कुछ निश्चित परिस्थितियों में
ऐसा होता है, जो इस मामले में हुआ है।
गुरुवार से मंगलवार तक सूचीबद्ध किए
जाने वाले मामलों को लेकर बनाई गई नीति के अनुसार बहुत ही सीमित संख्या में मामले
सुने जाएंगे। आने वाले समय में इस दौरान केवल कुछ समय लेने वाले मामलों को ही इन तीन दिनों में सुना जाएगा। जो
भी हो, रजिस्ट्री ने आश्वासन दिया है कि
मजीठिया मामले को इसकी अति अवश्यकता की वजह से प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध
किया जाएगा।
परमानंद पांडे
महासचिव
आईएफडब्ल्यूजे
(हिंदी अनुवाद - रविंद्र अग्रवाल संपर्क : ravi76agg@gmail.com)
लोकमत
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