मजीठिया अवमानना मामले में कानूनी
मुद्दों पर सुनवाई 10 जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई। सुनवाई अभी पूरी नहीं हुई है और
यह आगे भी जारी रहेगी। कर्मचारी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री कॉलिन
गोंजाल्विस ने दलील दी कि अखबार मालिकों द्वारा वेज बोर्ड अवार्ड की धारा 20जे का गलत तरीके से इस्तेमाल करके कर्मचारियों को वेजबोर्ड अवार्ड
का लाभ देने से इनकार किया जा रहा है।
वास्तव में, यह धारा उन कर्मचारियों की मदद करने के लिए गठित की गई थी, जिन्हें वेतन बोर्ड की सिफारिश से ज्यादा राशि का भुगतान किया जा
रहा था। इसलिए, धारा 20जे की प्रकृति अधिकतर कर्मचारियों के लाभ में कटौती की रक्षा करने
में निहित है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 20जे के जरिये मालिक वार्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 13 व 16 के तहत स्थापित वेजबोर्ड की
सिफारिशों के अनुरुप वेतन और भत्ते देने से इनकार करने का रास्ता अपना रहे हैं।
श्री गोंजाल्विस ने विभिन्न उदाहरणों
के माध्यम से आगे दलील देते हुए कहा कि कि प्रोपराइटर्स किस प्रकार से वेतन बोर्ड
की सिफारिशों को लागू करने से इनकार कर रहे हैं। उन्होंने माननीय न्यायालय को
बताया कि धारा 20जे के तहत, कर्मचारियों से हस्ताक्षर अधिसूचना के तीन सप्ताह के भीतर प्राप्त
किया जाना चाहिए था, लेकिन मालिकों ने अधिसूचना के कई
महीनों के बाद भी कर्मचारियों के जबरन हस्ताक्षर प्राप्त किए हैं। उन्होंने अनुबंध
रोजगार और परिवर्तनशील महंगाई भत्ता/वीडीए से संबंधित मुद्दों पर भी प्रकाश डाला।
प्रोपराइटर्स की ओर से उपस्थित वरिष्ठ
अधिवक्ता श्री अनिल दीवान ने जोरदार तरीके से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि
न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत, न्यायालय का क्षेत्र और आगे बढऩे की गुंजाइश बहुत सीमित होती है, लेकिन इन अवमानना याचिकाओं में उन मुद्दों को उठाया गया है जो रिट
पेटिशन का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सुने गए मामलों
की एक सूची प्रस्तुत की, जो अदालत की अवमानना के दायरे को लेकर
सुने गए थे। श्री दीवान ने अपनी दलीलों के जाल में मामले के निष्कर्ष को उलझाने की
पूरी कोशिश की।
फिर न्यायमूर्ति गोगोई ने अन्य
प्रबंधनों के अधिवक्ताओं को पूछा कि श्री दीवान द्वारा पहले दी जा चुकी दलीलों के
इतर अगर वे कुछ और बात जोडऩा चाहते हैं या नया जोडऩा चाहते हैं, तो वे अपनी दलीलें प्रस्तुत कर सकते हैं। इस प्रकार प्रबंधकों की
ओर से उपस्थित अन्य सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने केवल श्री अनिल दीवान के तर्कों को
अपनाया और कोई नई बात नहीं रखी। अगली तारीख पर कर्मचारियों के अधिवक्ताओं को अपना
पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा कि कहा और कैसे मालिकों ने अदालत की अवमानना की है।
परमानंद पांडे
महासचिव
आईएफडब्ल्यूजे
(हिंदी अनुवाद - रविंद्र अग्रवाल
संपर्क : ravi76agg@gmail.com)
लोकमत
प्रबंधन को मात देने वाले महेश साकुरे के पक्ष में आए विभिन्न अदालतों के आदेशों
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