Monday, 31 August 2020

अब कौन लाएगा ग्रुप एडिटर शशि शेखर के घर सब्जी-राशन?


- हिन्दुस्तान से कई संपादक इधर-उधर, कई निकाले गये

- शशि शेखर जिस डाल पर बैठे, वही डाल सूख गयी

हिन्दी हिन्दुस्तान से मेरा गहरा लगाव है। दिल्ली में दिग्गज पत्रकार और हिन्दुस्तान के तत्कालीन संपादक आलोक मेहता और स्व. संतोष तिवारी जी से पत्रकारिता का ककहरा हिन्दुस्तान में ही सीखा। आज हिन्दुस्तान अखबार में डर का माहौल है। धड़ाघड़ लोग निकाले जा रहे हैं। पेजिनेटर, स्ट्रिंगर्स जैसे छोटे-छोटे कर्मचारियों पर गाज गिर रही है। देहरादून से ही तीन-चार लोगों को हटा दिया गया है। इस बीच राहत की बात यह है कि शशि शेखर के निकटस्थ को नौकरी से निकाला जा रहा है या उनका तबादला किया जा रहा है। बरेली के संपादक मनीष मिश्रा का कांट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया गया। मिश्रा के बारे में सब जानते हैं कि अमर उजाला के समय से ही वो ग्रुप एडिटर शशि शेखर के घरेलू काम भी करते थे। प्रताप सोमवंशी को भी दिल्ली से दूर कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि प्रबंधन की हिट लिस्ट में शशि शेखर के कई निकटस्थों के नाम हैं। सूत्रों का कहना है कि शशि शेखर मूक तमाशा देख रहे हैं और स्वयं उनकी कुर्सी डोल रही है। 


शशि शेखर जब अमर उजाला नोएडा में आए तो सबसे पहले उन्होंने अमर उजाला दिल्ली की मजबूत टीम को बाहर करने का काम किया। वरिष्ठ और नामी पत्रकारों को परेशान कर दिया ताकि एकछत्र राज कर सकें। यही काम उन्होंने आज समाचार पत्र में भी किया था। पहले आज का भट्ठा बिठाया और बाद में अमर उजाला का भट्ठा बिठा दिया जो कि उस चोट से अब तक नहीं उभर सका है। इसके बाद हिन्दुस्तान में चले गए। वहां सबसे पहले चुन-चुन कर ईमानदार पत्रकारों को ठिकाने लगाया। इनमें बहुत से पहाड़ी पत्रकार थे, जिन्हें वो मृणाल पांडे का आदमी समझते थे। इसके बाद उन्होंने अमर उजाला की सेकेंड लाइन यानी चाटुकार पत्रकारों को हिन्दुस्तान में भरा ताकि वो यहां एकछत्र राज कर सकें। शशि शेखर ने हिन्दुस्तान के पत्रकारों को पत्रकार नहीं रहने दिया। आम लोगों को पता नहीं होगा कि हिन्दुस्तान में कोई भी पत्रकार नहीं है बल्कि आउटसोर्स कर्मचारी हैं। इस बदहाली के लिए भी हिन्दी पत्रकारिता शशि शेखर को ही दोषी ठहराया जाएगा कि उन्होंने पत्रकारों को खत्म करने का काम किया। पिछले दस 12 साल में शशि शेखर ने खूब मनमानी की, लेकिन अब संभवतः उनकी नहीं चल रही है। ईमानदार पत्रकारों की हाय जरूर लगेगी, उनकी भी जिनका करियर इन्होंने तबाह किया है।


[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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