पत्रकारों और अखबार कर्मियों से जुड़ी देश की सभी यूनियनें और अन्य संगठन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेशों का लाभ उठाने के लिए सक्रिय हो जाएं। अब यूनियन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के 19.06.2017 के निर्णय सहित टाइम बाउंड के 13 और 27 अक्टूबर को आए आर्डर की कापी लगाकर प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री, मुख्य सचिव, श्रम सचिव और श्रमायुक्त को पत्र लिखकर मांग करें की वे वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट के तहत रिकवरी, ट्रांसफर और टर्मिनेशन के मामलों की सुनवाई श्रम विभाग और लेबर कोर्ट में 6 माह में पूरी करने के शासनादेश जारी करें। इससे मालिकों के दबाव में चल रही सरकारी मशीनरी सक्रिय होगी।
मेरे द्वारा भेजे गए ऐसे पत्र की प्रति संलग्न है।
सेवा में,
सचिव,
श्रम विभाग,
हिमाचल प्रदेश सरकार।
विषय: माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू करवाने के लिए निवेदन।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट,1955 के तहत भारत सरकार द्वारा पत्रकारों और अन्य अखबार कर्मचारियों के लिए गठित मजीठिया वेजबोर्ड को 11 नवंबर, 2011 से लागू करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल रिट पेटिशन नंबर 246 आफ 2011 पर 07 फरवरी, 2014 को निर्णय सुनाया था। इस निर्णय को लागू न किए जाने पर अवमानना याचिका नंबर 411 आफ 2014 के साथ संबद्ध अन्य अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 19 जून, 2017 को दिए गए फैसले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम दिशानिर्देश दिए थे। इस कांटेम्पट पेटिशन (सिविल) नंबर 411 आफ 2014 सहित देशभर से दायर की गई अन्य अवमानना याचिकाओं की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के श्रम सविचों सहित श्रमायुक्तों को मजीठिया वेजबोर्ड लागू करवाने के लिए विभिन्न आदेशों के जरिए आवश्यक दिशानिर्देश भी जारी किए थे।
इसके बावजूद प्रदेश में मौजूद समाचारपत्र स्थापनाओं में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है। मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर कई कर्मचारी उत्पीडऩ का शिकार हुए हैं। इनकी ट्रांस्फर या टर्मिनेशन से जुड़े मामलों सहित एक्ट की धारा 17(2) के तहत रिकवरी के मामले या तो लेबर विभाग के समक्ष लंबित हैं या फिर इन्हें लेबर कोर्ट में रेफर कर दिया गया है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 19 जून, 2017 को अपने निर्णय के संबंध में 13 अक्तूबर, 2017 को एक्ट की धारा 17(2) के तहत लेबर कोर्ट में रेफर किए गए रिकवरी के मामलों की सुनवाई 6 माह में पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं 27 अक्तूबर, 2017 को ट्रांस्फर व टर्मिनेशन के मामलों की सुनवाई को भी समयबद्ध करते हुए इनकी सुनवाई संबंधित अथॉरिटी द्वारा भी 6 माह में पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों की प्रतियां ससंलग्र की गई हैं।
निवेदन है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के तहत श्रम विभाग के संबंधित प्राधिकारियों सहित प्रदेश के श्रम न्यायालयों को मजीठिया वेजबोर्ड के तहत रिकवरी और इसे मांगने पर विभिन्न तरीकों से उत्पीडऩ का शिकार हुए अखबार कर्मियों के मामलों की सुनवाई को श्रम विभाग के संबंधित प्राधिकारियों सहित श्रम न्यायालयों में छह माह के भीतर निपटाने के निर्देश जारी करने का कष्ट कीजिएगा।
सधन्यवाद
दिनांक: 30 अक्तूबर,2017 भवदीय
रविंद्र अग्रवाल
संपर्क: 9816103265, 9736003265
मेल:ravi76agg@gmail.com ............................................................
संलग्र: आदेश दिनांक 19 जून, 2017, 13 अक्तूबर, 2017 और 27 अक्तूबर, 2017 की प्रति।
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मेरे द्वारा भेजे गए ऐसे पत्र की प्रति संलग्न है।
सेवा में,
सचिव,
श्रम विभाग,
हिमाचल प्रदेश सरकार।
विषय: माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू करवाने के लिए निवेदन।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट,1955 के तहत भारत सरकार द्वारा पत्रकारों और अन्य अखबार कर्मचारियों के लिए गठित मजीठिया वेजबोर्ड को 11 नवंबर, 2011 से लागू करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल रिट पेटिशन नंबर 246 आफ 2011 पर 07 फरवरी, 2014 को निर्णय सुनाया था। इस निर्णय को लागू न किए जाने पर अवमानना याचिका नंबर 411 आफ 2014 के साथ संबद्ध अन्य अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 19 जून, 2017 को दिए गए फैसले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम दिशानिर्देश दिए थे। इस कांटेम्पट पेटिशन (सिविल) नंबर 411 आफ 2014 सहित देशभर से दायर की गई अन्य अवमानना याचिकाओं की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के श्रम सविचों सहित श्रमायुक्तों को मजीठिया वेजबोर्ड लागू करवाने के लिए विभिन्न आदेशों के जरिए आवश्यक दिशानिर्देश भी जारी किए थे।
इसके बावजूद प्रदेश में मौजूद समाचारपत्र स्थापनाओं में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है। मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर कई कर्मचारी उत्पीडऩ का शिकार हुए हैं। इनकी ट्रांस्फर या टर्मिनेशन से जुड़े मामलों सहित एक्ट की धारा 17(2) के तहत रिकवरी के मामले या तो लेबर विभाग के समक्ष लंबित हैं या फिर इन्हें लेबर कोर्ट में रेफर कर दिया गया है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 19 जून, 2017 को अपने निर्णय के संबंध में 13 अक्तूबर, 2017 को एक्ट की धारा 17(2) के तहत लेबर कोर्ट में रेफर किए गए रिकवरी के मामलों की सुनवाई 6 माह में पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं 27 अक्तूबर, 2017 को ट्रांस्फर व टर्मिनेशन के मामलों की सुनवाई को भी समयबद्ध करते हुए इनकी सुनवाई संबंधित अथॉरिटी द्वारा भी 6 माह में पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों की प्रतियां ससंलग्र की गई हैं।
निवेदन है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के तहत श्रम विभाग के संबंधित प्राधिकारियों सहित प्रदेश के श्रम न्यायालयों को मजीठिया वेजबोर्ड के तहत रिकवरी और इसे मांगने पर विभिन्न तरीकों से उत्पीडऩ का शिकार हुए अखबार कर्मियों के मामलों की सुनवाई को श्रम विभाग के संबंधित प्राधिकारियों सहित श्रम न्यायालयों में छह माह के भीतर निपटाने के निर्देश जारी करने का कष्ट कीजिएगा।
सधन्यवाद
दिनांक: 30 अक्तूबर,2017 भवदीय
रविंद्र अग्रवाल
संपर्क: 9816103265, 9736003265
मेल:ravi76agg@gmail.com ............................................................
संलग्र: आदेश दिनांक 19 जून, 2017, 13 अक्तूबर, 2017 और 27 अक्तूबर, 2017 की प्रति।
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