रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के के एन के प्रेमचंद्रन बताया पत्रकारों का दर्द
देश भर के प्रिंट मीडियाकर्मियों का दर्द अब संसद सदस्यों को भी समझ में आने
लगा है। गुरुवार को एक बार फिर लोकसभा में पत्रकारों के वेतन, एरियर और
प्रमोशन से जुड़ा जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड का मामला उठा। इससे पहले झारखंड के
कोडरमा से सांसद डॉ रविन्द्र कुमार राय ने पत्रकारों को मिलने वाले वेतन व
सुविधाओं का मामला उठाते हुए मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग
मंगलवार को लोकसभा में उठाई थी और गुरुवार को लोकसभा में सभी पत्रकार और गैर
पत्रकार समाचार-पत्र कर्मियों के लिए मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें तत्काल
प्रभाव से लागू किए जाने तथा मीडिया संस्थानों में बड़े पैमाने पर पत्रकारों की हो
रही छंटनी को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग उठाई गई।
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी केके एन के प्रेमचंद्रन ने शून्यकाल के दौरान
सदन में यह मामला उठाते हुए कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है लेकिन आज
उसकी ही हालत खराब होती जा रही है। एक साल होने को आया है लेकिन फिर भी कई समाचार
पत्र और मीडिया संस्थान मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करने को तैयार नहीं हो रहे
हैं।
उन्होंने कहा कि 1955 में बने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के तहत पत्रकारों के
वेतनमान की हर पांच साल में एक बार समीक्षा करने का प्रावधान किया गया था, लेकिन उसे धता
बता दिया गया और अब मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करने से भी मीडिया संस्थान
गुरेज कर रहे हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम कर रहे लोगों का जिक्र
करते हुए कहा कि वर्किंग जर्नलिस्ट कानून जब बना था तब देश में इलेक्ट्रानिक
मीडिया नहीं था, ऐसे में इस क्षेत्र के लोगों को भी इस कानून में दायरे में लाने की व्यवस्था
होनी चाहिए। प्रेमचंद्रन ने मीडिया कंपनियों में मनमानी तरीके से पत्रकारों की
छंटनी का मामला भी उठाया और कहा कि इसके कारण पत्रकारों के लिए नौकरी की सुरक्षा
खत्म होने लगी है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस चलन को
रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाए और पत्रकारों की नौकरी सुरक्षित की जाए। आपको
बता दें कि बुधवार को राज्यसभा में भी जदयू नेता शरद यादव ने मजीठिया वेतन आयोग को
लागू ना करना तथा मालिकों की मनमानी का मुद्दा उठाया था। जिसके बाद देश भर के
पत्रकारों में खुशी की लहर है वहीं मालिकों के खेमें में जमकर बेचैनी है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
9322411335
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