Tuesday, 28 March 2017

शुक्रिया शरद यादव जी… मीडिया की बात करने के लिए

(रवीश कुमार)

राज्यसभा में शरद यादव जी का भाषण मीडिया की उस सच्चाई के बारे में है जिसके बारे में हम सब जानते हैं। मगर पाठक से लेकर दर्शक तक को काठ मार गया है। किसी को इन खतरों की आहट से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। एक और बार शरद यादव ने मीडिया की हकीकत सदन में उठाकर लोगों को सुनने समझने का मौका दिया है। इनके भाषण को लाखों करोड़ों लोगों तक पहुंचा देना चाहिए और इनकी एक एक बात के आलोक में अखबार और टीवी को देखना होगा। मैंने उनके भाषण के बड़े हिस्से को टाइप किया है, ताकि आप पढ़ सकें। मेरा यकीन है कि एक दिन लोग उठेंगे। अख़बारों और चैनलों के ख़िलाफ़ बोलेंगे। वे मीडिया की स्वतंत्रता, उसके काम और सरकार की तरफदारी में फर्क करेंगे। वो लोग भी उठेंगे तो जो अपनी पसंद की सरकार चुनते हैं। वो एक दिन कहेंगे, हमने अपनी पसंद की सरकार चुनी है। मीडिया का चुनाव नहीं किया है। मीडिया का काम है कि हमारी पसंद और हमारी चुनी हुई सरकार से आज़ाद होकर काम करे। हम भले वो दिन न देख सकें, पत्रकार भले ही मजबूर किये जाएं उसी मीडिया में काम करने के लिए लेकिन एक दिन जनता यह सब देख लेगी। बोलते रहिए। लिखते रहिए। शुक्रिया शरद दी। यहां से शरद यादव के भाषण का हिस्सा पढ़िये-

हम सब लोगों की बात का हिंदुस्तान के लोगों के पास पहुंचाने का रास्ता एक ही है औऱ वह मीडिया है। आज हालत ऐसी है, एक नया मीडिया, विजुअल मीडिया आया है, सोशल मीडिया आया है। मैंने एक दो बात सच्ची कही है, उपसभापति जी, मैं आपसे कह नहीं सकता कि सोशल मीडिया किस तरह से बढ़ा है, उसमें कई तरह की अफवाह चल रही है, लेकिन किस तरह से गाली गलौज चल रही है, उसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है। मजीठिया कमीशन कब से मीडिया के लिए बना हुआ है। आज ये सारा मीडिया-हम लोकतंत्र में चुनाव सुधार की बात कह रहे है कि चुनाव सुधार कैसे हो। इस चुनाव सुधार की सबसे बड़ी बात है- हमारी लोकशाही और लोकतंत्र कहां जा रहा है, इसको वहां पहुंचाने वाले कौन लोग है, वह तो मीडिया ही है। जिसे चौथा स्तंभ कहते हैं, वही है न? उसकी ये हालत है? पत्रकार के लिए मजीठिया कमीशन बना हुआ है। याद रखना मीडिया का मतलब है, पत्रकारिता का मतलब है पत्रकार और वही उसकी आत्मा है। यह लोकशाही या लोकतंत्र जो खतरे में है, उसका एक कारण यह है कि हमने पत्रकार को ठेके में डाल दिया है। ठेके में नहीं डाल दिया है, बल्कि उससे ज़्यादा हायर एंड फायर एक नई चीज़ यूरोप से आई है यानी सबसे ज़्यादा हायर एंड फायर यदि कहीं है तो वह पत्रकार है। मैं बड़े बड़े पत्रकारों के साथ रहा हूं। मैं बड़े बड़े लोगों के साथ रहा हूं। हमने पहले भी मीडिया देखा है, आज का मीडिया भी देखा है। उसकी सबसे बड़ी आत्मा कौन है? सच्ची खबर आये कहां से? राम गोपाल जी, जब पिछला चुनाव विधान सभा का हो रहा था तो मैंने खुद जाकर चुनाव आयोग को कहा था कि यह पेड न्यूज है। आज जो पत्रकार है, वे बहुत बेचैन और परेशान हैं। पत्रकार के पास ईमान भी है। लेकिन वह लिख नहीं सकता है। मालिक के सामने उसे कह दिया जाता है कि इस लाइन पर लिखो। इस तरह से लिखो। उसका अपना परिवार है। वह कहां पर जाए?
वह सच्चाई के लिए कुछ लिखना चाहता है।

हमारे लोकतंत्र में बाजार आ गया है, खूब आये लेकिन यह जो मीडिया है, इसको हमने किनके हाथों में सौंप दिया है? यह किन-किन लोगों के पास चला गया है? इस देश का क्या होगा। अब हिंदुस्तान टाइम्स भी बिकने वाला है। कैसे चलेगा यह देश? यह चुनाव सुधार, यह बहस, ये सारी चीज़ कहां से आएगी? कोई यहां पर बोलने के लिए तैयार नहीं है? निश्चित तौर पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जो मीड़िया है, लोकशाही में, लोकतंत्र में यह आपके हाथ में है, इस पार्लियामेंट के हाथ में है। कोई रास्ता निकलेगा या नहीं निकलेगा? ये जो पत्रकार हैं, ये चौथा खंभा है, उसके मालिक नहीं हैं और हिंदुस्तान में जब से बाजार आया है तब से तो लोगों की पूंजी इतने बड़े पैमाने पर बढ़ी है। मैं आज बोल रहा हूं तो यह मीडिया मेरे ख़िलाफ़ तंज कसेगा, वह बुरा लिखेगा। लेकिन मेरे जैसा आदमी जब चार साढ़े चार साल जेल में बंद रहकर आज़ाद भारत में आया तो अगर अब मैं जाऊंगा तो मैं समझता हूं कि मैं हिन्दुस्तान की जनता के साथ विश्वासघात करके जाऊंगा। सर, आज सब से ज़्यादा ठेके पर लोग रखे जा रहे हैं और पूरे हिंदुस्तान में लोगों के लिए कोई नौकरी या रोज़गार पैदा नहीं हो रहा है। सब जगह पूंजीपति और सारे प्राइवेट सेक्टर के लोग हैं। अख़बार में सबसे ज़्यादा लोगों को ठेके पर रखा जाता है। इस तरह मजीठिया कमीशन कौन लागू करेगा? इनके कर्मचारियों का कोई यूनियन नहीं बनने देता है। आप किसी पत्रकार से सच्ची बात कहो, तो वह दहशत में आ जाएगा क्योंकि उसका मालिक दूसरे दिन उसे निकाल बाहर करेगा। तो यह मीडिया कैसे सुधरेगा। अगर वही नहीं सुधरेगा तो चुनाव सुधार की यह सारी बहस मर जायेगी। ये भी उसे छांटकांट कर देंगे। उसका मालिक बोलेगा कि किस किस का देना है, किस किस का नहीं देना है। हम रोज यहां बोलते हैं और ये रोज बोलता है कि हमारे जैसे आदमी को मत छापो। क्योंकि यह सच बोल रहा है और यह सच ही इस बैलेट पेपर का ईमान है। इस ईमान को चारों तरफ से पूंजी ने घेर लिया है। बड़े पैसे वालों ने घेर लिया है और अब सब से बड़ी मुश्किल यह है कि बहस करें तो कैसे करें। सर, यह देश बहुत बड़ा है। एक कंटिनेंट है, लेकिन हमारी बहस और हमारी बात कहीं जाने को तैयार नहीं है। कहीं पहुंचने को तैयार नहीं है।

ये अखबार के पूंजीपति मालिक कई धंधे कर रहे हैं। इन्होंने बड़ी बड़ी जमीन ले ली है और कई तरह के धंधे कर रहे हैं। ये यहां भी घुस आते हैं। इनको सब लोग टिकट दे देते हैं। मैं आप से कह रहा हूं कि इस तरह यह लोकतंत्र नहीं कभी नहीं बचेगा। सर, इसके लिए एक कानून बनना चाहिए कि अगर कोई मीडिया हाउस चलाता है या अखबार चलाता है वह दूसरा धंधा नहीं कर सकता है। सर, इस देश में क्रास होल्डिंग बंद होनी चाहिए। यह कानून पास करो, फिर देखेंगे कि हिंदुस्तान कैसे नहीं सुधरता है। हमारे जैसे कई लोग हिन्दुस्तान में हैं, जिसने सच को बहुत बगावत के साथ बोला है। पहले भी हिन्दुस्तान को बनाने में ऐसे लोगों ने काम किया है। मैं नहीं मानता कि आज ऐसे लोग नहीं है। ऐसे बहुत लोग हैं। जो सच को जमीन पर उतारना चाहते हैं। लेकिन कैसे उतारें? यानी इस चौथे खंभे पर आपातकाल लग गया है। हिन्दुस्तान में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है। यह जो पत्रकार ऊपर बैठा हुआ है, वह कुछ नहीं लिख सकता क्योंकि उसके हाथ में कुछ नहीं है। यही जब सूबे में जाता है तो मीडिया वहां की सरकार की मुट्ठी में चला जाता है। कुछ पत्रकार सच लिखते हैं तो गाली ही नहीं देते हैं, उसे निकाल बाहर किया जाता है। फिर यह देश कैसे बनेगा। आप कैसे सुधार कर लोगों। मैं आप से नहीं, सबसे पूछना चाहता हूं कि सुधार कैसे होगा। सर, इस देश में मीडिया के बारे में बहस क्यों नहीं होती? इस देश में ऐसा कानून क्यों नहीं बनता कि कोई भी ब्यापारी या किसी तरह की क्रौस होल्डिंग नहीं कर सकता है। तब हिंदुस्तान बनेगा। सर हिन्दुस्तान जिस दिन आजाद हुआ था, तो इसी तरह हुआ था।

गणेश शंकर विद्यार्थी थे जिन्होंने हिन्दुस्तान के लिए जान दे दी थी। मैं इस पार्लियांमेंट में रविशंकर प्रसाद जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आज वहां हैं, हम यहां हैं। कल चले जायेंगे लेकिन आने वाले हिन्दुस्तान के गरीब, मजदूर, किसान से लोकतंत्र दूर हट गया है। आप कितने ही तरीके से स्टैंड अप करिए, आप कितनी भी तरह की योजनाएं बनाइये लेकिन वह दूर हटता जाएगा। हम सभी ने बहुत ताकत लगायी लेकिन वह गरीब तक नहीं पहुंच पाता है। सब, जब इनके यहां चुनाव हो रहा था, तो मैं तीन-तीन अखबार के पास गया था। उन अखबारों में मेरा कहीं नहीं छप रहा था। मैं महीने भर से शिकायत कर रहा था, लेकिन उनमें मेरे बारे में एक लाइन नहीं आयी। वे आज भी नहीं छापेंगे क्योंकि वह मालिक बैठा हुआ है। सारे पत्रकार मेरी बात को ह्रदय से जब्त करेंगे लेकिन उसका मालिक उसकी तबाही करेगा।

(रवीश कुमार की वॉल से)



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मजीठिया: दिव्या सेंगर मामले में नयी दुनिया को राहत देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

इंदौर से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां नई दुनिया अखबार में एक्जीक्यूटिव विपणन पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर के रायपुर में हुये ट्रांसफर पर सिवील कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद हाईकोर्ट गए जागरण प्रबंधन के सहयोगी अखबार नयी दुनिया को मुंह की खानी पड़ी। हाईकोर्ट ने साफ़ कह दिया कि निचली अदालत द्वारा ट्रांसफर पर लगाई गई रोक पूरी तरह सही है।

दिनांक 27 मार्च को मध्य प्रदेश जबलपुर की खंडपीठ इंदौर में एक याचिका की सुनवाई में मजीठिया वेतन प्राप्त करने के आवेदन पर दिव्या सेंगर नामक एक्जक्यूटिव विपणन का दुर्भावनापूर्वक ट्रांसफर किए जाने पर अधीनस्थ न्यायलय के द्वारा स्थगन दिए जाने से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट की शरण में रिट की बैसाखी का सहारा ले कर पहुँची नईदुनिया और उसके उच्च अधिकारीगण को उस समय मुँह की कहानी पड़ी जब उनके द्वारा इंदौर के सबसे मंहगे वकीलों की फौज खड़ा करने के बावजूद हाईकोर्ट ने स्टे खारिज करने से मना कर दिया। दिव्या सेंगर नामक नईदुनिया कर्मचारी की ओर से मनीष पाल एडवोकेट इंदौर के तर्कों से सहमत होकर उक्त याचिका की पहली सुनवाई पर ही स्थगन आदेश पर स्थगन नहीं देते हुए डिस्पोस्ड कर दी गयी। खुद एडवोकेट मनीष पाल ने इस खबर की पुष्टि की है। नयी दुनिया अखबार प्रबंधन की ओर से मानद वरिष्ठ एडवोकेट एस सी बगड़िया और वरिष्ठ एडवोकेट गिरीश पटवर्धन ने कंपनी का पक्ष रखा। आपको
बता दें कि मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन-बकाया मांगने के कारण नयी दुनिया की इंदौर कार्यालय की दिव्या सिंह सेंगर का स्थानांतरण इंदौर से 14 जनवरी को छत्तीसगढ़ के रायपुर कर दिया गया और रिलीविंग आदेश 18 जनवरी को जारी कर दिया गया।

दिव्या सिंह सेंगर के अधिवक्ता मनीष पाल के द्वारा माननीय सिविल न्यायालय की शरण में जाकर स्थगन व स्थायी निषेधाज्ञा हेतु एक वाद प्रस्तुत किया गया और अदालत को बताया गया कि वादिनी दिव्या सेंगर को मजीठिया वेतन बोर्ड के लाभों के लिए श्रम आयुक्त के समक्ष 30 दिसंबर 2016 की शिकायत प्रस्तुत करने के बाद दुर्भावना के कारण उसका ट्रांसफर किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा वादी अधिवक्ता मनीष पाल के तर्कों से सहमत होते हुए वाद का संतुलन प्रथम दृष्टया वादी के पक्ष में होना मानते हुए दिव्या के विरुद्ध स्थान्तरण और रिलीविंग आदेश पर अंतिम आदेश होने तक स्थगन दे दिया गया। इसके संबंध में आदेश दिनांक तीन फरवरी 2017 को पारित किया, लेकिन अखबार प्रबंधन दिव्या को अदालती आदेश के बाद भी अखबार में ज्वाईन कराने के मूड में नहीं दिख्रा।

बार-बार दिव्या अखबार के दफ्तर गयी मगर अदालती आदेश के बाद भी उन्हें पुराने स्थान पर ज्वाईन नहीं कराया गया और बहाना बनाया गया कि मुख्यालय से आपके बारे में आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। इसके बाद दिव्या सेंगर के अधिवक्ता मनीष पाल ने इंदौर में नयी दुनिया अखबार के प्रबंधन और प्रधान संपादक के खिलाफ अदालत की अवमानना की शिकायत की जिसके बाद अदालत ने अखबार प्रबंधन और प्रधान संपादक को नोटिस भेजा। इसी बीच नयी दुनिया प्रबंधन इस स्टे पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट पहुंचा मगर वहां भी उसको राहत नहीं मिली और अखबार प्रबंधन को मुंह की खानी पड़ी।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
9322411335


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मजीठिया: हिंदुस्तान प्रबंधन को और समय देने से दो टूक इंकार

बरेली के श्रम न्यायालय में मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान और एरियर के दाखिल हिंदुस्तान के तीन कर्मचारियों के क्लेम पर शनिवार को उपश्रमायुक्त ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया है। उपश्रमायुक्त ने हिंदुस्तान प्रबंधन को अब और समय देने से दो टूक इंकार कर दिया।

क्लेमकर्ता निर्मल कान्त शुक्ला, पंकज मिश्रा व् मनोज शर्मा ने डीएलसी से कहा कि प्रबंधन का हर तिथि पर जवाब में डेढ़ किलो रद्दी का टोकरा लेकर खड़ा हो जाना और सुनवाई के लिए 15 दिन बाद की डेट मांगना, अब बंद होना चाहिए। प्रबंधन अपना जवाब पिछली तिथि पर दे चुका है। उसने हमको वर्किंग जर्नलिस्ट न मानकर मैनेजर बताया है। इसलिए मजीठिया का पात्र न होना बता चुका है। उसका क्लेमकर्ता दस्तावेजीय साक्ष्य दाखिल कर चुका है। अब हर तिथि को प्रबंधन जवाब का पुलिंदा लेकर आता रहेगा और क्लेमकर्ता से उस पर प्रतिजवाब चाहता रहेगा, तो ये सिर्फ मामले को लंबा खीचने और उपश्रमायुक्त का समय बर्बाद करने का कुत्सित प्रयास है। ये सिलसिला आज और यही रुकना चाहिए। दोनों पक्षों का जवाब आ चुका है। अब हिंदुस्तान बरेली के यूनिट हेड के विरुद्ध आरसी जारी कर क्लेम का भुगतान दिया जाय।

डीएलसी रोशन लाल ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुये प्रबंधन की ओर से आये बरेली हिन्दुस्तान के एचआर हेड सतेंद्र अवस्थी से दो टूक कहा कि वह आरसी काटने जा रहे है, पांच मिनट में केस फाइल पर अपना कथन लिखा दो। प्रबंधन को और सुनवाई का मौका ना देते हुए डीएलसी ने शनिवार को मामले की सुनवाई पूरी घोषित कर आदेश सुरक्षित कर लिया।

बता दें कि 7 सितंबर को यूपी के श्रमायुक्त को मजीठिया के अनुसार वेतन न मिलने की बरेली हिंदुस्तान से चीफ कॉपी एडिटर सुनील कुमार मिश्रा की अगुवाई में सीनियर सब एडिटर रवि श्रीवास्तव, सीनियर सब एडिटर निर्मल कान्त शुक्ला, चीफ रिपोर्टर पंकज मिश्रा, पेजिनेटर अजय कौशिक ने शिकायत भेजी थी।

श्रमायुक्त ने बरेली डीएलसी को प्रकरण निस्तारित करने का आदेश दिया, जिस पर डीएलसी बरेली सुनवाई कर रहे हैं। 17 मार्च को सीनियर कॉपी एडिटर मनोज शर्मा के 33,35,623 रुपये, सीनियर सब एडिटर निर्मल कान्त शुक्ला के 32,51,135 रुपये, चीफ रिपोर्टर डॉ. पंकज मिश्रा के 25,64,976 रुपये के मजीठिया वेज बोर्ड के वेतनमान के अनुसार एरियर का क्लेम दाखिल किया था। सुनवाई के दौरान मौजूद हिंदुस्तान के राजेश्वर विश्वकर्मा के मामले में डीएलसी ने सोमवार 27 मार्च को हिंदुस्तान प्रबंधन को नोटिस जारी करने की बात कही है।

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Saturday, 25 March 2017

हिन्दुस्तान टाइम्स के बिकने की खबर राज्यसभा में भी गूंजी

शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के रिलायंस के मुकेश अंबानी द्वारा खरीदे जाने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में भी गूंजा। हालांकि अभी तक हिन्दुस्तान टाइम्स के बिकने की खबर पर ना ही हिन्दुस्तान टाइम्स प्रबंधन अपना पक्ष रख रहा है और ना ही रिलायंस की ओर से आधिकारिक बयान अब तक इस डील पर आया है।

बुधवार को राज्यसभा में जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि हिन्दुस्तान टाइम्स बिक गया और ये उद्योगपति पत्रकारिता को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। इस देश का क्या होगा? अब हिंदुस्तान टाइम्स भी बिक गया? कैसे चलेगा यह देश? यह चुनाव सुधार, यह बहस, ये सारी चीजें कहां आएंगी? कोई यहां पर बोलने के लिए तैयार नहीं है। निश्चित तौर पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जो मीडिया है, लोकशाही में, लोकतंत्र में, यह आपके हाथ में है, इस पार्लियामेंट के हाथ में है। कोई रास्ता निकलेगा या नहीं निकलेगा? ये जो पत्रकार है, ये चौथा खंभा है, उसके मालिक नहीं हैं और हिंदुस्तान में जब से बाजार आया है, तब से तो लोगों की पूंजी इतने बड़े पैमाने पर बढ़ी है।

मैं आज बोल रहा हूं, तो यह मीडिया मेरे खिलाफ तंज कसेगा, वह बुरा लिखेगा। लेकिन मेरे जैसा आदमी, जब चार-साढ़े चार साल जेल में बंद रहकर आजाद भारत में आया, तो अगर अब मैं रुक जाऊंगा तो मैं समझता हूं कि मैं हिंदुस्तान की जनता के साथ विश्वासघात करके जाऊंगा।

शरद यादव ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि हिन्दुस्तान टाइम्स बिकने वाला है, लेकिन राज्यसभा के दूसरे सदस्यों ने शरद यादव का ध्यान इस ओर दिलाया कि हिन्दुस्तान टाइम्स बिक गया है। और इसे मुकेश अंबानी ने खरीदा है। जिसके बाद शरद यादव ने भी राज्यसभा में कहा कि हिन्दुस्तान टाइम्स बिक गया।

यादव ने कहा कि हमारे लोकतंत्र में बाजार आया, खूब आए लेकिन यह जो मीडिया है, इसको हमने किनके हाथों में सौंप दिया है? यह किन-किन लोगों के पास चला गया है? एक पूंजीपति है इस देश का, उसने 40 से 60 फीसदी मीडिया खरीद लिया है। ये अखबार के पूंजीपति मालिक कई धंधे कर रहे हैं। इन्होंने बड़ी-बड़ी जमीनें ले ली हैं और कई तरह के धंधे कर रहे हैं। वे यहां भी घुस आते हैं। इनको सब लोग टिकट दे देते हैं। मैं आपसे कह रहा हूं इस तरह यह लोकतंत्र कभी नहीं बचेगा। शरद यादव ने कहा कि इसके लिए एक कानून बनना चाहिए कि अगर कोई मीडिया हाउस चलाता है या अखबार चलाता है, तो वह कोई दूसरा धंधा नहीं कर सकता है।

हिंदुस्तान में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है। यह जो पत्रकार ऊपर बैठा हुआ है, वह कुछ नहीं लिख सकता है क्योंकि उसके हाथ में कुछ नहीं है। यही जब सूबे में जाता है तो मीडिया वहां की सरकार की मुठ्ठी में चला जाता है। जो पत्रकार सच लिखते हैं उसे निकालकर बाहर कर दिया जाता है। फिर यह देश कैसे बनेगा, आप कैसे सुधार कर लोगे।

जदयू नेता ने कहा कि मैं सब से पूछना चाहता हूं कि सुधार कैसे होगा। इस देश में मीडिया के बारे में बहस क्यों नहीं होती। इस देश में ऐसा कानून क्यों नहीं बनता कि कोई भी व्यापार या किसी तरह की क्रास होल्डिंग नहीं कर सकता? तब हिंदुस्तान बनेगा। 
 
शरद यादव का पूरा बयान देखने के लिये इस विडियो लिंक पर क्लिक करें



शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
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