इंदौर के अखबार
मालिकों में मजीठिया का डर इतना खौफ पैदा कर रहा है कि उन्होंने अपने प्रेस परिसर
से एचआर विभाग ही गायब कर दिए हैं। इतना नहीं कई अखबारों में न तो कर्मचारियों को
नियुक्ति पत्र दिया गया और न सैलेरी स्लीप दी जाती है। सूत्रों से मिली जानकारी के
अनुसार मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा संध्या दैनिक कहलाने वाले अग्निबाण्ड से पिछले 3-4 माह से अपने यहां के एचआर विभाग ही बंद कर
दिया है। एचआर विभाग में जितने भी कम्प्यूटर से उन्हें हटा दिया गया है और अन्य
किसी स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है। इतना ही नहीं एचआर विभाग में काम करने
वालों को भी अन्य स्थान पर अपनी नौकरी बजाने जाना पड़ रहा है। सूत्र तो यह तक
बताते हैं कि कई इस संध्या दैनिक में मात्र रजिस्टर में हस्ताक्षर करवाएं जा रहे
हैं और वह रजिस्टर छुपाकर रखा जाता है। इसके अलावा इस अखबार के बारे में यह तक कहा
जा रहा है कि यहां भविष्यनिधि और एसआईसीई में एक भी कर्मचारी कवरेज नहीं है।
मजीठिया के इस दौर में जहां पत्रकार भाचावत, माणिसाना और मजीठिया की लड़ाई लड़ने लगे हैं,
वहां कई पत्रकारों
तो भविष्यनिधि और एसआईसीई में कवरेज न होना सीधे-सीधे श्रम कानून की धज्जियां
उठाने जैसा है, लेकिन
जब शोषित स्वयं कर्मचारी होना चाहता है तो आला अधिकारी भी क्या करें। क्योंकि जब
स्वयं को बुद्धिजीवी कहने वाला पत्रकार ही का नींद में सो रहा है क्या किससे हम
उम्मीद कर सकते हैं। इस अखबार में किसी भी
कई कर्मचारी के पास नियुक्त पत्र नहीं
है।
इधर दबंग दुनिया से भी गायब एचआर
इधर मजीठिया और
ब्लैक कमाई में धराए दबंग दुनिया से भी एचआर विभाग के सारे कम्प्यूटर हटा दिए गए
हैं। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि इस
अखबार मालिक और एक अन्य अखबार मालिक की चोर-डकेत लड़ाई के बाद अखबार प्रबंधन ने
अपने यहां के पुराने सारे दस्तावेज आग के हवाले कर दिए हैं। वैसे दोनों अखबार मालिकों ने चोर-चोर मोसेरे
भाई फिर क्यों करें हम आपस में लड़ाई की कहावत को चरितार्थ करते हुए समझौता कर
लिया है। वैसे दबंग के चेयरमैन के बारे में यह कहा जाता है कि वे पहले पंगा लेते
हैं और जब सामने वाला भारी पड़ जाता है तो दुम दबाकर उसके सामने घुटने टेक देते
हैं। ऐसा ही प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल के साथ लड़ाई में
उन्होंने किया था।
इधर सूत्र यह भी
बताते हैं कि दबंग प्रबंधन ने इंदौर ही नई भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर सहित अपने 13 स्थानों से निकलने वाले एडिशनों से भी सारे
दस्तावेजों को हटाकर आग के हवाले करने के साथ सारे कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क निकाल
दी। इंदौर में तो कर्मचारियों के लगाई गई पंच मशीन को तक निकालकर फेंक दिया है।
सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि एक दो-दिन में इनकम टैक्स का छापा अखबारों के
दफ्तरों में पड़ सकता है और इसी दौरान श्रमायुक्त भी दबिश देकर एक पंथ दो काज
करेंगे। वैसे सूत्र बताते हैं कि यहां भी अधिकांश कर्मचारियों के पास नियुक्ति
पत्र नहीं है।
हैलों से भी गायब हुआ रजिस्टर
इधर एक संध्या
दैनिक अखबार और मासिक पत्रिका संध्या दैनिक से रजिस्टर गायब हो गया है। यहां भी एक
भी कर्मचारी न तो भविष्यनिधि में कवरेज और न ही ईएसआईसी में।
6 पीएम में कैसा छापा
संध्या दैनिक 6 पीएम में भविष्यनिधि आयुक्त व्दारा छापा मारा
गया था, लेकिन
सूत्र बताते हैं कि मालिक ने उन्हें नीचे से हकाल दिया। भविष्यनिधि के कर्मचारी
जाते हैं यहां से कर्मचारियों को यह कहकर बाहर कर दिया गया है कि हम भविष्यनिधि
नहीं दे सकते हैं। पिछले पांच वर्ष से
प्रकाशित इस अखबार में एक भी कर्मचारी को नियुक्त पत्र नहीं दिया और न ही सैलेरी
स्लिप दी जाती है।
प्रभात किरण के हाल
इधर अपने आपको
नम्बर दो कहने वाला सांध्य दैनिक में भी
वर्षों से कार्यरत कई कर्मचारियों को भविष्यनिधि और ईएसआईसी में कवरेज नहीं
किया गया है। इस अखबार में भी किसी भी कर्मचारी के पास नियुक्ति पत्र नहीं है और न
ही सेलेरी स्लिप मिलती है। ऐसे में मजीठिया की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारियों के
लिए यह लड़ाई और मुश्किल हो सकती है।
जागरण में काम का बोझ से कर्मचारी हो रहे
बीमार
इधर सूत्र बताते
हैं कि नई दुनिया को जब से जागरण ग्रुप ने खरीदी है कर्मचारियों का टेंशन काम के
बोझ तले बढ़ गया है। पिछले दिनों ग्राफिक्स डिजाइनर पांचाल का निधन हो गया,
इसके बाद प्रथम
पृष्ठ के चीफ दिनेश जोशी ने दम तोड़ दिया। सूत्र बताते हैं कि अभी भी अधिकांश
कर्मचारियों का काम के बोझ तले बीपी बढ़ रहा है और हर माह कोई न कोई बीमार हो रहा
है।
लोकमत
प्रबंधन को मात देने वाले महेश साकुरे के पक्ष में आए विभिन्न अदालतों के आदेशों
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