जस्टिस मजीठिया
वेज बोर्ड मामले में 16
नवंबर को माननीय सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुयी। मैनेजमेंट ने अपने भारी भरकम
वकीलों की टीम खड़ी कर दी। दैनिक जागरण ने इस बार सिनीयर एडवोकेट अनिल दिवान की
सेवा ली। क्या हुआ सुनवाई में बता रहे हैं मीडियाकर्मियों की तरफ से जस्टिस
मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट परमानंद पांडे। परमानंद पांडे बताते हैं
16 नवंबर की सुनवाई में एडवोकेट अनिल दिवान ने कहा कि कंटेम्प्ट आफ कोर्ट में काफी
छोटा दायरा है। इस दायरे में आपने लीगल इश्यू फ्रेम करने के लिये कह दिया।
कंटेम्प्ट में सिर्फ इतना होता है कि आपने कंटेम्प्ट किया या नहीं किया। कंटेम्प्ट
में आप लीगल इश्यू लेकर कहां से चले आये। आपने जो लीगल इश्यू उठाया है उसकी कापी
आपको देनी पड़ेगी। और आप इस पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं। फिर जज ने कहा कि इसको मुझे
देखने दिजीये मैं ऐसा कर सकता हूं कि नहीं। उसके बाद इनायडू की तरफ से गोपाल
सुब्रमण्यम खड़े हो गये। गोपाल सुब्रमण्यम का व्यवहार काफी बेहतर था। उन्होने कहा
कि देखिये हम इनायडू के अपने क्लाईंट से एक बार फिर बात करना चाहते हैं। हम नहीं
चाहते हैं कि ये सिर्फ दिखावा हो इंम्पलीमेंटेशन का। बल्की इसे पूरी तरह लागू
कराया जाये। इसके लिये मुझे चार सप्ताह का समय दिया जाये। इस पर जज साहब ने उन्हे
समय दिया और कहा कि आप अपने क्लाईंट से पूछ कर आईये कि कितना लागू हुआ कितना नहीं।
जहां तक अनिल दिवान के तर्क की बात है उनके तर्क में कोई दम नहीं है। क्योकि
मजिठिया वेज बोर्ड मामले में अनिल दिवान पहले भी बहस कर चुके हैं । उन्होने दो दिन
बहस किया। तीन जजों की बेंंच के सामने यह सुनवाई हुयी थी जिसमें गोगोई साहब भी थे।
जस्टिस शिवाशिवम और जस्टिस शिवकिर्ती सिंह भी इस बेंच में थे। जो आज मुद्दे वे उठा
रहे थे वे पुरी तरह गलत थे। सुनवाई होती तो पुरी तरह खारिज हो जाती। हमारे पास
पूरा प्रमाण था । 10
जनवरी को इस मामले की अगली डेट रखी गयी है।
आपको बता दूं कि मैनेजमेंट के वकील जिस
इश्यू को नया बता रहे हैं वह नया नहीं है । आप सुप्रीमकोर्ट का आर्डर पढ़िये उसमें
मैनेजमेंट ने पांच इश्यू उठाये थे। जिनमें से एक इश्यू 20 जे भी था। मैनेजमेंट के वकील बोल रहे हैं ये
नया इश्यू लेकर आये हैं जो पूरी तरह गलत है। आपको बतादें कि जागरण के मैनजमेंट ने
पहले तो पी.पी. राव को लाया। फिर वे चले गये। फिर उनके बाद कपिल सिब्बल को लाया।
कपिल सिब्बल भी चले गये। फिर जागरण वाले आर्यमान सुंदरम को लेकर आये। आर्यमन जी
काफी अच्छे और बड़े एडवोकेट हैं। उसके बाद उसके बाद फिर पिछली तारिख पर पी. पी. राव
आये थे। अबकी बार फिर तारिख पड़ी तो उन्होने अनिल दिवान को खड़ा कर दिया। अब अनिल
दिवान जी ने केस को देखा नहीं है शायद। जब ये भी जागरण का केस देख लेंगे तो वे भी
दैनिक जागरण को अच्छी सलाह देंगे। 10 जनवरी को क्या होगा?
इस
पर परमानंद पांडे कहते हैं ये लोग अपना आब्जेक्शन रखेंगे और हम उसका जवाब देंगे।
हमारा साफ कहना है कि हमारा कहना है कि आपने कंटेम्प्ट किया और आपका कहना है कि
आपने कंटेम्प्ट नहीं किया। अब हमारा एक ही तर्क है कि आप प्रूफ करों कि आपने
कंटेम्प्ट नहीं किया। इस मुद्दे में थोड़ा भटकाव हुआ है। लीगल प्वाईंट में हम भटकाव
के रास्ते पर गये हैं। दैनिक जागरण, दैनिक भाष्कर, प्रभातखबर और राजस्थान पत्रिका सहित कई अखबारों
ने 20 जे
का सहारा लिया और कह रहे हैं इन्होने अपने से 20 जे का आप्शन चुना है। इसलिये कंटेम्प्ट नहीं
बनता है। ये बचने का तरीका भी मालिकों ने खोजा है। हमें इधर उधर की बातें शुरु में
ही ना करके सीधे मुद्दे पर आना चाहिये था कि इन्होने कंटेम्प्ट किया है और इसी पर
जोर भी देना चाहिये था। हमारा सीधा कंटेम्प्ट का सवाल था और यही मुद्दा भी था। अब
बिना लीगल इश्यू तय हुये मामला आगे नहीं बढ़ेगा।
[शशिकांत सिंह]
9322411335
लोकमत
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