Sunday, 15 September 2019

अब लोकमत ने किया मजीठिया के बकाया का भुगतान, भोपाल श्रम न्यायालय में निपटा पहला मामला

भोपाल। हिमाचल प्रदेश के बाद अब मध्‍यप्रदेश से भी मजीठिया के रिकवरी मामले को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। यहां पर प्रबंधन ने लेबर कोर्ट में चल रहे रिकवरी केस के दौरान कर्मचारी से समझौता कर लिया। इस समझौते के तहत प्रबंधन ने अदालत में कर्मचारी को चैक सौंपा। चैक को बैंक एकाउंट में डाला जा चुका है। इस खबर ने मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे हजारों साथियों के बीच उत्‍साह का संचार पैदा कर दिया है।

मामला मजीठिया के बकाया को लेकर धारा17(2) के तहत मामला भोपाल लेबर कोर्ट में चल रहा था। लोकमत समाचारपत्र के पूर्व उप सम्पादक अशोक रोहले ने बकाया के लिए ये केस दायर किया था। रोहले साल 2015 में लोकमत से इस्तीफा देकर होशंगाबाद में नवदुनिया से जुड़े थे। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान लोकमत के वकील और अशोक के बीच समझौता हुआ। लोकमत प्रबंधन ने भोपाल श्रम न्यायालय में बीते 11 सितम्बर को इस समझौते के तहत मजीठिया के एरियर का भुगतान चैक से किया। लोकमत प्रबंधन ने लगाए गए क्‍लेम से एक लाख रुपये कम देने की पेशकश की थी, जिसे अशोक और उनके वकील ने मान लिया था। चेक की राशि अशोक के बैंक खाते में जमा हो चुकी है।

मालूम हो कि इससे पहले दिव्‍य हिमाचल ने भी धर्मशाला श्रम न्‍यायालय में चल रहे मजीठिया के बकाया मामले में अपने कर्मचारी से समझौता कर लिया था और चैक से भुगतान किया था।

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Saturday, 14 September 2019

निरंकुशता के खिलाफ आकाशवाणी महानिदेशालय और महिला आयोग के सामने जबरदस्‍त प्रदर्शन


नई दिल्‍ली। वर्षों से आकाशवाणी महानिदेशालय के निरंकुश अधिकारियों ने अपनी मनमानी से आकाशवाणी केन्द्रों के कैजुअल अनाऊंसर एंड कॉम्पीयर्स का शोषण करके और उन्हें केन्द्रों से बाहर करके उनकी आवाज को दबाया है।

इसी निरंकुशता के विरोध में ऑल इंडिया कैजुअल अनाउंसर एंड कॉम्पीयर्स यूनियन (रजिस्टर्ड) नई दिल्ली द्वारा 13 सितम्बर को आकाशवाणी महानिदेशालय और महिला आयोग के समक्ष पुरजोर धरना-प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में देश के सबसे बड़े भारतीय मजदूर संघ ने आल इंडिया रेडियो कैजुअल अनाऊंसर रजिस्टर्ड यूनियन का सहयोग किया। संघ के पदाधिकारी बृजेश मिश्र, प्रमोद कुमार एवं अन्य उपस्थिति रहे।

गौरतलब है कि प्रसार भारती और आकाशवाणी महानिदेशालय ने कैजुअल अनाऊंसर और कॉम्पीयर्स की आज तक कोई सुनवाई नहीं की है और अधिकारियों ने दिन प्रतिदिन पुराने कैजुअलकर्मिंयों का शोषण किया है।


यूनियन की महासचिव डॉ. शबनम खानम ने बताया कि आकाशवाणी के अधिकारियों द्वारा पीड़ित कैजुअल अनाउंसर/कॉम्पीयर्स महिलाओं ने महिला आयोग में कई बार लिखित पत्रों और महिला आयोग अध्यक्ष से मिलकर गुहार लगाई थी मगर आज तक आयोग ने आरोपी अधिकारियों के विरूद्ध कोई ठोस कार्यवाई नहीं की और ना ही अधिकारियों ने पीड़ित महिला कैजुअलकर्मिंयों की ड्यूटी शुरू की इसलिए देशभर की समस्त पीड़ित महिला कैजुअलकर्मिंयों ने महिला आयोग के सामने धरना-प्रदर्शन करके अपना रोष प्रकट किया और महिला आयोग को दोषी अधिकारियों के विरूद्ध ठोस कार्यवाही करने का आह्वान किया।

इसके बाद आयोग ने बातचीत के लिए यूनियन के एक प्रतिनिधि मण्डल को आमन्त्रित किया जिसमें यूनियन महासचिव शबनम खानम व उपाध्यक्ष संज्ञा टण्डन की अगुवाई में पीड़ित महिलाओं का एक प्रतिनिधि मण्डल महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा से मिला। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले महीने आकाशवाणी महानिदेशालय को तलब कर मुआमले की पुन: सुनवाई की जाएगी और पीड़ित महिलाओं के साथ-साथ आरोपी अधिकारियों को बाकायदा समन भेजकर बुलाया जाएगा और पीड़ित महिलाओं को यथासंभव राहत दिलाने के लिए महानिदेशालय को निर्देशित किया जाएगा।

यूनियन अध्यक्ष हरिकृष्ण शर्मा ने बताया कि महिला आयोग के साथ-साथ कैजुअलकर्मिंयों ने अपने नियमितिकरण, कोर्ट गए कैजुअलकर्मिंयों की बन्द ड्यूटीज समान रूप से शुरू करने और ड्यूटी की फीस बढ़ोतरी जैसी कई जायज मांगों को लेकर यूनियन द्वारा आकाशवाणी महानिदेशालय के सामने एकदिवसीय सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया गया।

इस दौरान महानिदेशालय एडीजी संगीता गोयल से मुलाकात करने का संदेश आया लेकिन यूनियन ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि महानिदेशालय डीजी व सीईओ प्रसार भारती ही सक्षम अधिकारी है जो हमारी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं अगर उनसे मुलाकात नहीं होती है तो अगले कुछ दिनों में महानिदेशालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना व क्रमिम भूख हड़ताल की जाएगी और इस तरह सांकेतिक धरना-प्रदर्शन सम्पन्न हुआ।

धरना-प्रदर्शन के दौरान रेडियो के मशहूर श्रोताओं सुखविन्द्र सिंह जौड़ा कृष्णा पार्क और पंखा रोड़ से पिन्टू दिवाना ने यूनियन के लिए चाय-नाश्ते का प्रबन्ध किया।

यूनियन के प्रेस सचिव नरेन्द्र कौशिक 'धरतीपकड़' हिसार ने बताया कि यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिकृष्ण शर्मा शिमला,महासचिव शबनम खानम दिल्ली, उपाध्यक्ष, संज्ञा टंडन बिलासपुर, रेशमा इन्दुरकर नागपुर, करताप ठाकुर शिमला, कोषाध्यक्ष अर्चना गोयल दिल्ली, सचिव नवीन भारद्वाज कुरूक्षेत्र, सुधीर मेश्राम बालाघाट, सहसचिव अतुल श्रीवास्तव सागर, श्रीपाल शर्मा सूरतगढ़, प्रवक्ता सुनील चिपड़े बिलासपुर, रविन्द्र एकान्त कुरूक्षेत्र, नीता अग्रवाल, राधा पाठक, नीलम, सहित देशभर के सैंकड़ों महिला और पुरूष कैजुअलकर्मिंयों और मजदूर संघ कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन में भाग लेकर अपनी जायज मांगों के लिए आवाज उठाई।

वाराणसी में जीता पत्रकार, 50 फीसदी वेतन तुरंत और शेष का भुगतान 2 माह के भीतर करने का आदेश

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी श्रम न्यायालय ने पीड़ित पत्रकार को 50 फीसदी वेतन तुरंत और शेष का भुगतान 2 माह के भीतर करने का आदेश का आदेश दिया है।

धर्म, संस्कृति, आध्यात्म की अति प्राचीन नगरी काशी के रहने वाले कर्तव्यपरायण, लगनशील पत्रकार काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे कलम के बेताज बादशाह विकास पाठक ने अपना सम्पूर्ण जीवन काशी से प्रकाशित होने वाले एक सान्ध्य दैनिक में वर्ष 1987 से पत्रकारिता शुरू करके नित नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए सहायक सम्पादक तक का सफर तय किया था।

खोजी पत्रकारिता के दौरान वाराणसी का चर्चित संवासिनी काण्ड रहा हो या अन्य समाजिक समरसता से जुड़ी खबरें सत्य व निर्भिक तथा अपने क्रांतिकारी लेखनी के द्वारा काशी ही नहीं अपितु अन्य जनपदों से लगायत प्रांतीय, राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी लेखनी की धार को कभी कुंद नहीं होने दिया।

वाराणसी के सान्ध्य दैनिक अखबार गाँड़ीव संस्थान के मलिकानों द्वारा इस कलम के जादूगर को काफी प्रताड़ित भी किया गया, लेकिन हार नहीं मानी और अपने कर्तव्य के पथ पर अडिग रहे। वर्ष 2011 मे सेवायोजन संस्थान द्वारा अचानक सेवा समाप्त कर दिया।

वर्ष 2016 मे कलम के इस जादूगर ने श्रम न्यायालय वाराणसी में वाद दाखिल किया। लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अभिनिर्णय शासानादेश संख्या 678 दिनांक 03 सितम्बर 2019 द्वारा प्राप्त हुआ और 12 सितम्बर 2019 को एबार्ड प्रकाशित हुआ।

निर्णय में कहा गया है कि सेवायोजक संस्थान द्वारा श्रमिक को 50 प्रतिशत वेतन का भुगतान तत्काल करे और शेष भुगतान 2 माह के अंदर किया जाए। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन उत्तर प्रदेश के उपाध्‍यक्ष जयराम पांडेय के अनुसार पीड़ित पत्रकारों व गैर पत्रकारों के हक में श्रम न्यायालय में कानूनी लड़ाई की मुख्य भूमिका यूनियन के वरिष्ठ विद्वान अधिवक्ता अजय मुखर्जी और आशीष टंडन ने निभाई। इस फैसले से पीड़ित पत्रकारों व गैर पत्रकारों में हर्ष का माहौल व्याप्त है।

Tuesday, 10 September 2019

उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग

लखनऊ। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं  इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने उत्‍तर प्रदेश सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है। उन्‍होंने  इस संदर्भ में एक पत्र उत्‍तर प्रदेश सरकार को लिखा है...

सेवा में                            10-09-19

श्री योगी आदित्यनाथ जी
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश

विषय—पत्रकारों के उत्पीड़न और बदले की भावना से की जा रही कार्यवाहियों के संदर्भ में


महोदय,

आपको अवगत कराना है कि विगत कुछ समय से प्रदेश भर में पत्रकारों को समाचार संकलन व प्रकाशन सहित संप्रेषण में प्रशासन की ओर से बाधाएं खड़ी की जा रही हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। मिर्जापुर में मिड डे मील में धांधली को उजागर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को उलटे पुलिस केस में फंसा दिया गया है। आजमगढ़ में बिना नंबर की स्कार्पियों रखने वाले पुलिस अधिकारी पर खबर दिखाने वाले पत्रकार संतोष जायसवाल पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है जबकि बिजनौर में दलित बिरादरी के लोगों का दंबगों के पानी बंद किए जाने की खबर लिखने पर दैनिक जागरण व न्यूज 18 सहित पांच पत्रकारों पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। राजधानी लखनऊ में पत्रकार असद रिजवी को मुहर्रम से संबंधित खबर लिखने पर पुलिस ने घर पहुंच कर धमकाया है।

उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति अध्यक्ष व इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन सहित सभी पत्रकार संगठन इन सभी प्रकरणों को लेकर न केवल विरोध दर्ज करा चुके हैं बल्कि सक्षम अधिकारियों से वार्ता कर पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने, उनके खिलाफ मुकदमे वापस लेने व दोषी अधिकारियों पर कारवाई करने की मांग कर चुके हैं। अब तक कोई कारवाई दोषियों के खिलाफ नहीं हो पाई है।

हम सभी पत्रकारगण इस ज्ञापन के माध्यम से निम्नलिखित मांग करते हुए मीडिया का आजादी पर मंडरा रहे संकट को लेकर सरकार से अविलंब कारवाई की अपेक्षा करते हैं।

1.     देश के कई अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए।

2.     पत्रकारों पर झूठे व बदले की भावना से दर्ज मुकदमें तत्काल वापस लिए जाएं।

3.     पत्रकारों पर उत्पीड़नात्मक कारवाई करने वाले अधिकारियों पर कारवाई की जाए।

4.    प्रदेश व जिला स्तर पर पत्रकारों की स्थाई समिति को पुनर्जीवित करते हुए उसमें मान्यता समिति व अन्य पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।

5.     पत्रकार के खिलाफ किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज करने से पहले उसे स्थाई  समिति के पास भेजा जाए व जांच की जाए।

6.     मिर्जापुर प्रकरण में दोषी जिलाधिकारी के खिलाफ अविलंब कारवाई करते हुए पत्रकार पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए। बिजनौर, आजमगढ़ सहित अन्य इस तरह के प्रकरणों में दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए व दोषियों पर कारवाई हो।

7.     प्रशासनिक अक्षमता व धांधली के मामले उजागर करने वाले पत्रकारों को खतरे की दशा में पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध करायी जाए।

महोदय निवेदन का इस ज्ञापन में उल्लिखित मांगों पर समुचित कारवाई सुनिश्चित की जाए।

भवदीय

हेमंत तिवारी
अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं
उपाध्यक्ष
इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट

Monday, 9 September 2019

वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट और वेजबोर्ड के खात्‍मे के खिलाफ ATEU ने निकाला मार्च, राज्‍यपाल को सौंपा ज्ञापन


गुवाहाटी। असम ट्रिब्यून कर्मचारी संघ (ATEU) ने 4 सितंबर को वेतन स‍ंहिता 2019 के द्वारा पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेजबोर्ड के खात्‍मे के खिलाफ जबरदस्‍त प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्‍य के राज्‍यपाल जगदीश मुखी के माध्‍यम से एक ज्ञापन भेजा। इस ज्ञापन के माध्‍यम से केंद्र सरकार से अपने फैसले को वापस लेने की मांग की गई।

ATEU के बैनर तले असम ट्रिब्यून ग्रुप ऑफ पब्लिकेशन्स के कर्मचारियों ने ट्रिब्यून बिल्डिंग परिसर से राजभवन तक एक लंबा विरोध मार्च निकाला। विरोध मार्च के दौरान अखबार के पत्रकार और गैर-पत्रकार कर्मचारियों के हित के लिए बनाए गए विशेष अधिनियमों को निरस्त करने के कदम के खिलाफ जबरदस्‍त नारेबाजी की गई। साथ ही ATEU ने देश के अखबार कर्मचारियों के लिए नए वेजबोर्ड के गठन की मांग की।


गौरतलब है कि केंद्र द्वारा विभिन्न श्रम कानूनों को रद्द कर एक कानून बनाया जा रहा है। जिसकी वजह से पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए बना वर्किंग जर्नलिस्ट एक्‍ट भी इससे अछूता नहीं है। इस एक्‍ट को पत्रकारों और गैर पत्रकारों के कार्य की प्रवृत्ति को देखते बनाया गया था, जो कि उन्‍हें अन्‍य क्षेत्रों में कार्यरत कर्मियों से अलग पहचान देता था और उनके लिए अलग से काम के घंटे और अन्‍य सुविधाएं आदि निर्धारित करता था। इन्‍हीं विशेष अधिनियमों के तहत ही पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए वेतन आयोग का गठन किया जाता है। अखबारकर्मियों के अंतिम वेतन आयोग का गठन 2008 में किया गया था। जिसकी सिफारिशों को 11 नवंबर 2011 को जारी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों की सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए फरवरी 2014 में मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को सही माना था। अखबार मालिकों ने कर्मियों के लिए बने वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट और वेजबोर्ड की समाप्ति के लिए वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।



समाचारपत्र कर्मचारी संघ ने ज्ञापन के माध्‍यम से केंद्र सरकार से विशेष तौर पर पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए बने इन अधिनियमों को रद्द करने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है। संघ ने प्रधानमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में कहा है कि इससे देश के लोकतांत्रिक लोकाचार और मूल्‍यों को बनाए रखने में अपना अथक योगदान देने वाले चौ‍थे स्‍तंभ की अनूठी पहचान खत्‍म हो जाएगी। इससे पत्रकारों और गैर पत्रकारों को मिले विशेषाधिकार खत्‍म होने के साथ वे वित्‍तीय और नौकरी की असुरक्षा से घिर जाएंगे,जोकि उनके निष्‍पक्ष कार्य को प्रभावित करेगी।

ATEU प्रतिनिधिमंडल ने अपने अध्यक्ष सिबा प्रसाद डेका के नेतृत्‍व में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। विस्तृत चर्चा के बाद राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री को उनकी चिंताओं और आशंकाओं के बारे में जानकारी देने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में महासचिव जितेन कलिता, उपाध्यक्ष पार्थ प्रतिम हजारिका, सहायक महासचिव गौतम काकती, आयोजन सचिव अनिमा दास और सदस्य ममता मिश्रा और दिगंत दास भी शामिल थे।

(साभार: http://www.assamtribune.com) 

दैनिक भास्कर चंडीगढ़ के आधा दर्जन कर्मचारियों ने मजीठिया वेज बोर्ड के लिए क्लेम लगाया



दैनिक भास्कर के चंडीगढ़ आफिस से खबर आ रही है कि आधा दर्जन मीडियाकर्मियों ने अपने वेतन और एरियर के लिए मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से पेमेंट की मांग करते हुए क्लेम लेबर आफिस में जमा कर दिया है। मनजीत सिंह समेत आधा दर्जन लोगों ने असिस्टेंट लेबर कमिश्नर कपूरथला को भेजे पत्र में अपने वेतन व एरियर की गणना कर इन्हें दिलाने की मांग की है। मनजीत सिंह ने कुल 35 लाख रुपये बकाया मांगा है।

[साभार: भड़ास4.कॉम] 

Sunday, 8 September 2019

ATEU march against move to scrap Wage Board


GUWAHATI. Registering strong protest against the Centre’s move to introduce the Code of Wages, 2019 that intends to scrap the wage board – the tripartite wage fixation machinery for journalists and non-journalist newspaper employees, the Assam Tribune Employees’ Union (ATEU) met Governor Jagdish Mukhi and submitted a memorandum to Prime Minister Narendra Modi through him, demanding rollback of the proposal.


The employees of the Assam Tribune Group of Publications under the banner of ATEU took out a protest march from the Tribune Buildings premises to the Raj Bhavan, shouting slogans against the move of repealing of legislations meant for journalists and non-journalist employees of newspaper houses.

ATEU demanded a new wage board to recommend wages and other perks and allowances for the employees working in different newspaper houses of India. It needs mention here that the Code of Wages, 2019 brought by the Union government besides subsuming various labour laws, would also lead to repealing of the Working Journalist and Other Newspaper Employees (Condition of Service and Miscellaneous Provisions) Act 1955 and the Working Journalist (Fixation of Rates of Wages) Act 1958, once the Occupational Safety, Health and Working Conditions Code 2019 (which is a part of the Code of Wages, 2019), comes into being.




The newspaper employees union, in particular, has been demanding of the government to hold back the proposal to scrap the two Acts, which are exclusively for journalists and other newspaper employees. The wage board for newspaper employees is statutory in nature unlike the wage boards meant for other category of employees and workers of the country.

“We consider this as a serious infringement on our rights and privileges as the employees of the newspaper industry. Further, this will invariably push us towards more financial and job insecurity. We are completely against such a move which will annihilate our identity, our job security, our wage fixation system and above all, our unique identity as the member of an industry that has been relentlessly trying to uphold the democratic ethos and values in this country,” the memorandum given to the Prime Minister mentioned.

The ATEU delegation, comprising its president Siba Prasad Deka, general secretary Jiten Kalita, vice president Partha Pratim Hazarika, assistant general secretary Gautam Kakati, organising secretary Anima Das and members Mamata Mishra and Diganta Das handed over the memorandum to the Governor. The Governor, after a detailed discussion, assured the ATEU members of forwarding its concerns and apprehensions to the Prime Minister.

(source: assamtribune.com)