पीटीआई में भारी भरकम छंटनी की खबर है। 312 मीडियाकर्मियों की नौकरी गई। इनमें अधिकतर गैर-पत्रकार कर्मी हैं। मीडिया में यह आईबीएन7 और सीएनएन-आईबीएन से भी बड़ी छंटनी है। एक झटके में देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी पीटीआई से 312 लोगों को निकाल बाहर किया गया है। छंटनी का शिकार संपादकीय विभाग से इतर काम करने वाले हुए हैं।
शनिवार को पीटीआई बोर्ड की बैठक में यह फैसला किया गया और कुछ ही देर में इस आशय की सूचना देश भर में भेज दी गई। देश भर के सारे कार्यालयों में लिस्ट लग गई है। चेन्नई से दो को छोड़कर बाकी सारा गैर-पत्रकार स्टाफ बाहर कर दिया गया है। छंटनी की कुछ लिस्ट भड़ास के हाथ भी लगी है जिसे नीचे दिया गया है।
पीटीआई के संपादकीय विभाग में कार्यरत पत्रकारों को ठेके पर किए जाने के संकेत दे दिए गए हैं। घटना की जानकारी होते ही पीटीआई के कर्मचारी नेता जाने माने वकील कोलिन गोंजाल्विस के पास पहुंच गए हैं और केस दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि लंबे समय तक पीटीआई इंपलाइज फेडरेशन के महासचिव एम.एस. यादव बीते दिनों यूनियन का चुनाव हार गए थे। उनके उपर कई तरह के आरोप भी थे। इसके बाद यादव को नए पदाधिकारियों ने यूनियन से निकाल दिया था। बताया जाता है कि यादव ने पीटीआई में दूसरी पुरानी यूनियन का पुनर्गठन कर दिया जिसे प्रबंधन ने हाल ही में मान्यता भी दे दी।
पीटीआई फेडरेशन के पदाधिकारियों ने हाल ही में भाजपा सरकार की नजदीकी हासिल करने के लिए लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर मीडिया सम्मेलन के आयोजन का फैसला किया था जिसकी तैयारी चल रही है। पीटीआई फेडरेशन के इस सम्मेलन का सह आयोजन संघ से जुड़ा एनजीओ कर रहा है जिसके कर्त्ताधर्त्ता पीटीआई के ही लोग हैं।
इधर पीटीआई फेडरेशन अटल बिहारी वाजपेयी के नाम सम्मेलन करा भाजपा के बड़े नेताओं मंत्रियों और योगी आदित्यनाथ वगैरा को साध रहा है, उधर उसके 312 सदस्य मीडिया संस्थान से ही बाहर कर दिए गए हैं।
आईएफडब्ल्यूजे के प्रधान महासचिव परमानंद पांडे ने पीटीआई में हुई बड़े पैमाने पर छंटनी का पुरजोर विरोध करते हुए इसके लिए आंदोलन करने की चेतावनी दी है। आईएफडब्ल्यूजे महासचिव ने पीटीआई कर्मचारियों की हरसंभव कानूनी मदद करने की भी बात कही है।
निकाले गए लोगों की लिस्ट इस प्रकार है…
[साभार भड़ास4मीडिया.कॉम]
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