नई दिल्ली। साथियों, सुप्रीम कोर्ट के लेबर कोर्टों को मजीठिया से संबंधित रिकवरी और बर्खास्तगी, तबादले आदि के केस 6 महीने में निपटाने के आदेश के बाद भी अभी तक कोई निर्णय नहीं आना चिंता का विषय है।
प्रबंधन किसी ना किसी तरह की तिकड़मबाजी से सुप्रीम कोर्ट के 6 महीने में केस निपटने के फैसले को प्रभावित कर रहा है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट की नाक के नीचे दिल्ली में ही नहीं पूरे देश में हो रहा है। दिल्ली में प्रबंधन ने चार केसों में हाईकोर्ट पहुंच कर लेबर कोर्ट की कार्रवाई को बाधित कर दिया है।
वहीं, जयपुर लेबर कोर्ट-2 जिसको सुप्रीम कोर्ट ने सीधे-सीधे जून में निर्णय देने को कहा था, उसमें भी प्रबंधन ने जयपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करके उसके फैसले को बाधित कर दिया है। ऐसे पता नहीं कितने केस हैं जिनकी कार्रवाई पर विभिन्न राज्यों की हाईकोर्टों ने स्टे लगा रखा है।
सुप्रीम कोर्ट के 6 महीने के आदेश का भी कई लेबर कोर्ट पालन नहीं कर रहे हैं। वहीं, कई राज्यों के श्रम विभागों का भी बुरा हाल है। हमारे कई साथी ऐेसे हैं जिनको केस लगाए हुए साल-साल भर होने जा रहा है। परंतु उनके केसों को लेबर कोर्ट के लिए रेफर नहीं किया जा रहा है। उत्तराखंड में तो श्रम विभाग ने एक कदम आगे बढ़ कर सुप्रीम कोर्ट के 19 जून के आदेश का उल्लंघन करते हुए केस ही खारिज कर दिए थे। ऐसे में हमें एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने के अलावा कोई और चारा नजर नहीं आ रहा है।
हमें यहां उन साथियों के केसों की जानकारी चाहिए, जिनके रिकवरी, बर्खास्तगी, तबादले आदि के मामले लंबे समय से श्रम विभाग, लेबर कोर्ट या हाईकोर्ट के स्टे में फंसे हुए हैं। इसके लिए बस आपको ये जानकारी हमें उपलब्ध करवानी होगी।
-आपका केस किस श्रम विभाग कार्यालय यानि उप श्रमायुक्त कार्यालय/लेबर कोर्ट में चल रहा है।
-केस नंबर और उसको दायर करने की तिथि
-लेबर कोर्ट में है तो श्रम विभाग से जारी रेफेरेंस की तिथि
-आपके केस पर हाईकोर्ट का स्टे है तो उसकी जानकारी
-क्या प्रबंधन 20जे पर कोई आपत्ति उठा रहा है।
-केस की ताजा स्थिति या अभी तक लंबित पड़े होने का कारण
आप ये जानकारी निम्न साथियों तक जल्द से जल्द पहुंचाने की कृपया करें।
रविंद्र अग्रवाल- 9816103265
राकेश वर्मा- 9829266063
शशिकांत सिंह- 9322411335
Alkshendra Negi- 8383080835
महेश कुमार- 9873029029
तरुण भागवत- 9893295135
मयंक जैन- 9300124476
प्रबंधन किसी ना किसी तरह की तिकड़मबाजी से सुप्रीम कोर्ट के 6 महीने में केस निपटने के फैसले को प्रभावित कर रहा है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट की नाक के नीचे दिल्ली में ही नहीं पूरे देश में हो रहा है। दिल्ली में प्रबंधन ने चार केसों में हाईकोर्ट पहुंच कर लेबर कोर्ट की कार्रवाई को बाधित कर दिया है।
वहीं, जयपुर लेबर कोर्ट-2 जिसको सुप्रीम कोर्ट ने सीधे-सीधे जून में निर्णय देने को कहा था, उसमें भी प्रबंधन ने जयपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करके उसके फैसले को बाधित कर दिया है। ऐसे पता नहीं कितने केस हैं जिनकी कार्रवाई पर विभिन्न राज्यों की हाईकोर्टों ने स्टे लगा रखा है।
सुप्रीम कोर्ट के 6 महीने के आदेश का भी कई लेबर कोर्ट पालन नहीं कर रहे हैं। वहीं, कई राज्यों के श्रम विभागों का भी बुरा हाल है। हमारे कई साथी ऐेसे हैं जिनको केस लगाए हुए साल-साल भर होने जा रहा है। परंतु उनके केसों को लेबर कोर्ट के लिए रेफर नहीं किया जा रहा है। उत्तराखंड में तो श्रम विभाग ने एक कदम आगे बढ़ कर सुप्रीम कोर्ट के 19 जून के आदेश का उल्लंघन करते हुए केस ही खारिज कर दिए थे। ऐसे में हमें एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने के अलावा कोई और चारा नजर नहीं आ रहा है।
हमें यहां उन साथियों के केसों की जानकारी चाहिए, जिनके रिकवरी, बर्खास्तगी, तबादले आदि के मामले लंबे समय से श्रम विभाग, लेबर कोर्ट या हाईकोर्ट के स्टे में फंसे हुए हैं। इसके लिए बस आपको ये जानकारी हमें उपलब्ध करवानी होगी।
-आपका केस किस श्रम विभाग कार्यालय यानि उप श्रमायुक्त कार्यालय/लेबर कोर्ट में चल रहा है।
-केस नंबर और उसको दायर करने की तिथि
-लेबर कोर्ट में है तो श्रम विभाग से जारी रेफेरेंस की तिथि
-आपके केस पर हाईकोर्ट का स्टे है तो उसकी जानकारी
-क्या प्रबंधन 20जे पर कोई आपत्ति उठा रहा है।
-केस की ताजा स्थिति या अभी तक लंबित पड़े होने का कारण
आप ये जानकारी निम्न साथियों तक जल्द से जल्द पहुंचाने की कृपया करें।
रविंद्र अग्रवाल- 9816103265
राकेश वर्मा- 9829266063
शशिकांत सिंह- 9322411335
Alkshendra Negi- 8383080835
महेश कुमार- 9873029029
तरुण भागवत- 9893295135
मयंक जैन- 9300124476
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