जयपुर लेबर कोर्ट नम्बर 2 में पत्रिका के कर्मचारियों ने अपने हक के लिए केस कर रखा है। इन केसों का जवाब देने में पत्रिका प्रबन्धन आनाकानी कर रहा था। एक पेशी पर कभी 2 कर्मचारियों का जवाब पेश करता था तो कभी 10 कर्मचारियों का। जवाब देने में इसी तरह हीलाहवाली कर केस को लम्बा खींचने की जुगत लगा रहा था पत्रिका प्रबन्धन।
यहां गौरतलब है कि जयपुर लेबर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 6 माह की समयसीमा को बढ़वाने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट को पत्र भी लिखा था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को आदेश दिया था कि हर हाल में मामलों को 6 माह में निपटाया जाय। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से पत्र लिखने वाले लेबर कोर्ट के जज पर 30 जून तक मामलों को निपटाने का दबाव आ गया और इसी वजह से कोर्ट ने पत्रिका पर 2 लाख 4 हजार का जुर्माना भरने के बाद बचे हुए 160 कर्मचारियों के जवाब को स्वीकार किया।
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यहां गौरतलब है कि जयपुर लेबर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 6 माह की समयसीमा को बढ़वाने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट को पत्र भी लिखा था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को आदेश दिया था कि हर हाल में मामलों को 6 माह में निपटाया जाय। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से पत्र लिखने वाले लेबर कोर्ट के जज पर 30 जून तक मामलों को निपटाने का दबाव आ गया और इसी वजह से कोर्ट ने पत्रिका पर 2 लाख 4 हजार का जुर्माना भरने के बाद बचे हुए 160 कर्मचारियों के जवाब को स्वीकार किया।
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