मध्यप्रदेश में श्रम न्यायालयों मे चल रहे मजीठिया के मामलों में
नईदुनिया जागरण प्रबंधन की हर चाल उलटी पड़ रही है। दरअसल बीते दिनों ग्वालियर श्रम न्यायालय में चल रहे मामलों में कूट परीक्षण होना था, लेकिन बार-बार प्रबंधन के वकील लेबर कोर्ट में बहाना बनाकर भाग रहे थे। इसके
बाद आखिरकार श्रम न्यायालय की विद्वान न्यायाधीश ने नईदुनिया का कूट परीक्षण का अधिकार ही समाप्त कर दिया। इससे तिलमिलाया प्रबंधन मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गया।
प्रबंधन ने सोचा था कि हाईकोर्ट में मामले को लटका कर रखा जाएगा। इससे कर्मचारियो का हौसला ठंडा होगा लेकिन कर्मचारी भी कहां हार मानने वाले थे। उन्होंने भी हाईकोर्ट में पूरे मामले में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखा और प्रबंधन की मामले को लटकाने की नियत को कोर्ट के समक्ष रखा। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में प्रबंधन को श्रम
न्यायालय में निर्धारित तारीख को कूट परीक्षण का अवसर तो प्रदान किया। साथ ही अपने आदेश में प्रबंधन को फटकार लगाकर प्रत्येक कर्मचारी को पांच-पाच हजार रुपए प्रदान करने के आदेश भी दे दिए। अब प्रबंधन को पहले कर्मचारियों को पहले पांच- पांच हजार रुपए देने होंगे। इसके बाद ही श्रम
न्यायालय में कूट परीक्षण हो सकेगा।
इस निर्णय के बाद प्रबंधन के वे लोग जो कर्मचारियों के सामने बड़ी-बड़ी बातें करते थे, उन्हें सांप सूंघ गया है। इसके पहले प्रारंभिक आपत्तियों के मामले में भी कर्मचारियों ने सभी प्रकरणों में प्रबंधन की एक भी चाल को कामयाब नहीं होने दी थी।
श्रम न्यायालय ने सभी प्रकरणों में प्रबंधन की प्रारंभिक आपत्तियों को निरस्त कर दिया था। इसके अलावा कई प्रकरणों मे तय समय में जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर श्रम न्यायालय ने प्रबंधन पर जुर्माना भी ठोंक दिया है। ऐसे
में प्रबंधन की हर चालाकी कोर्ट में उलटी पड़ती जा रही है।
#MajithiaWageBoardsSalary, MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary
नईदुनिया जागरण प्रबंधन की हर चाल उलटी पड़ रही है। दरअसल बीते दिनों ग्वालियर श्रम न्यायालय में चल रहे मामलों में कूट परीक्षण होना था, लेकिन बार-बार प्रबंधन के वकील लेबर कोर्ट में बहाना बनाकर भाग रहे थे। इसके
बाद आखिरकार श्रम न्यायालय की विद्वान न्यायाधीश ने नईदुनिया का कूट परीक्षण का अधिकार ही समाप्त कर दिया। इससे तिलमिलाया प्रबंधन मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गया।
प्रबंधन ने सोचा था कि हाईकोर्ट में मामले को लटका कर रखा जाएगा। इससे कर्मचारियो का हौसला ठंडा होगा लेकिन कर्मचारी भी कहां हार मानने वाले थे। उन्होंने भी हाईकोर्ट में पूरे मामले में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखा और प्रबंधन की मामले को लटकाने की नियत को कोर्ट के समक्ष रखा। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में प्रबंधन को श्रम
न्यायालय में निर्धारित तारीख को कूट परीक्षण का अवसर तो प्रदान किया। साथ ही अपने आदेश में प्रबंधन को फटकार लगाकर प्रत्येक कर्मचारी को पांच-पाच हजार रुपए प्रदान करने के आदेश भी दे दिए। अब प्रबंधन को पहले कर्मचारियों को पहले पांच- पांच हजार रुपए देने होंगे। इसके बाद ही श्रम
न्यायालय में कूट परीक्षण हो सकेगा।
इस निर्णय के बाद प्रबंधन के वे लोग जो कर्मचारियों के सामने बड़ी-बड़ी बातें करते थे, उन्हें सांप सूंघ गया है। इसके पहले प्रारंभिक आपत्तियों के मामले में भी कर्मचारियों ने सभी प्रकरणों में प्रबंधन की एक भी चाल को कामयाब नहीं होने दी थी।
श्रम न्यायालय ने सभी प्रकरणों में प्रबंधन की प्रारंभिक आपत्तियों को निरस्त कर दिया था। इसके अलावा कई प्रकरणों मे तय समय में जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर श्रम न्यायालय ने प्रबंधन पर जुर्माना भी ठोंक दिया है। ऐसे
में प्रबंधन की हर चालाकी कोर्ट में उलटी पड़ती जा रही है।
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