Saturday, 9 January 2016

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16G: जानिए कौन-कौन सी कंपनियां शामिल हैं जागरण प्रकाशन लिमिटेड में


साथियों, आज हम आपको जागरण प्रकाशन लिमिटेड में शामिल कंपनियों की जानकारी दे रहे हैं। जिससे कंपनी आपको मजीठिया वेजबोर्ड के लाभों से वंचित न कर सकें।






चार पेज में समाहित इस जानकारी को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/vnytOQ

ज्‍यादा जानकारी के लिए संपर्क करें - 

Advocate Parmanand Pandey ji  - 09868553507
parmanand.pandey@gmail.com
parmanandpandey@yahoo.com



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हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16F: 20जे की आड़ में अवमानना से नहीं बच सकते

अखबार मालिकान 20जे की आड़ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना से नहीं बच सकते हैं। एक बार को हम 20जे के मुद्दे को एक एकरतफ भी रख दें, तो भी अखबार मालिकानों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना तो की ही है।
मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार स्‍थायी के साथ-साथ ठेका और अंशकालिक कर्मचारियों को भी वेजबोर्ड के लाभ मिलने हैं। ऐसे में 1 दिसंबर 2011 के बाद किसी भी संस्‍थान एवं न्‍यूज एजेंसी में भर्ती सभी साथी चाहे वे स्‍थायी हो या ठेके पर या अंशकालिक सभी के सभी मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतनमान लेने के अधिकारी हैं। जबकि ज्‍यादातर समाचार-पत्रों ने 20जे की आड़ में इनको भी मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान से वंचित कर रखा है, जबकि यह सभी साथी 20जे की परिधि से बाहर हैं। जो कि सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
ऐसे वे सभी साथी जो कि अवमानना के केस में शामिल हैं और 20जे की परिधि से बाहर हैं उनसे अनुरोध है कि वे 11 जनवरी तक अपने वकील से संपर्क कर संस्‍थान में अपनी भर्ती होने की तिथि से उन्‍हें जरुर अवगत करवाएं।
अब हम आते हैं मूल मुद्दे 20जे पर जिसकी आड़ में मालिकान अपने को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। साथियों हम पहले भी आपको अवगत करवा चुके हैं कि 20जे की मूल अवधारणा आपके वेतनमान को कतई कम करने की नहीं है। बल्कि इसका उद्देश्‍य उन साथियों के हितों की रक्षा के लिए था जो मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के तहत मिलने वाले वेतनमान से अधिक वेतन ले रहे थे।
उदाहरण 1.
समाचार संपादक के पद पर कार्यरत संजय जोशी का वेतन मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने के समय 2 लाख रुपये था। वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने से उसका वेतन 1,05,445 रुपये हो जाता। ऐसे में 20जे में प्रदत्‍त अधिकार के तहत वह अपना पुराना वेतन (2लाख रुपये) कायम रख सकता है।
उदाहरण 2.
एक अन्‍य अखबार में समाचार संपादक के पद पर कार्यरत नवीन कोठारी का वेतन मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने के समय 50 हजार रुपये था। वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू होने से उसका वेतन 1,05,445 रुपये हो जाएगा। ऐसे में उसके ऊपर 20जे लागू नहीं हो सकता, क्‍योंकि यह केवल वेजबोर्ड से ऊपर वेतन पाने वालों के हितों की रक्षा के लिए हैं, नाकि उससे कम वेतन पाने वालों के लिए। यानि नवीन कोठारी को वेजबोर्ड के अनुसार 1,05,445 रुपये वेतन के रुप में मिलने ही है।
इसके अलावा हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट 1955 में भी स्‍पष्‍ट है कि कोई भी संस्‍थान आपको वेजबोर्ड की सिफारिशों से कम वेतन नहीं दे सकता।
[Sec. 13- Working journalists entitled to wages at rates not less than those specified in the order - On the coming into operation of an order of the Central Government under section 12, every working journalist shall be entitled to be paid by his employer wages at the rate which shall in no case be less than the rate of wages specified in the order.]



[धारा 13- धारा 12 के अधीन केंद्रीय सरकार के आदेश के प्रवर्तन में आने पर, प्रत्‍येक श्रमजीवी पत्रकार इस बात का हकदार होगा कि उसे उसके नियोजक द्वारा उस दर पर मजदूरी दी जाए जो आदेश में विनिर्दिष्‍ट मजदूरी की दर से किसी भी दशा में कम न होगी।]
साथियों इसके बाद भी आपको 20जे को लेकर कोई शंका हो तो आप बेहिचक इनसे संपर्क कर अपनी शंका का निकारण कर सकते हैं।
Advocate Parmanand Pandey ji  - 09868553507
parmanand.pandey@gmail.com
parmanandpandey@yahoo.com

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union
kohlichd@gmail.com

M S Yadav ji (PTI) - 09810263560


सुप्रीम कोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/x3aVK2


मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO


मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/8fOiVD



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Thursday, 10 December 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16E: दूर करें भ्रांतियां

साथियों, आपके मन में बहुत सारे प्रश्‍न उठते रहते होंगे जिनका समाधान अभी तक आपको नहीं मिल पाया होगा। इसलिए हम यहां कुछ प्रश्‍नों के उत्‍तर दे रहे हैं जो कि आपके माध्‍यम से हमारे पास पहुंच रहे हैं। आपके मन में यदि इसके अतिरिक्‍त अन्‍य कोई भी प्रश्‍न हो तो उसे हमें लिखें। आप की पहचान गुप्‍त रखी जाएगी।

प्र. मेरा स्‍थानांतरण ग्रुप की दूसरी कंपनी में कर दिया गया है। मैं जिस कंपनी में था वह ए ग्रुप की कंपनी थी। मेरा विभाग और पद भी बदल दिया गया है, ऐसे में वेजबोर्ड लागू होने पर मेरे वेतन का आधार क्‍या होगा।
. आपके या इसी तरह के किसी अन्‍य केस में कंपनी आपको ए ग्रेड के हिसाब से मिलने वाले लाभ से वंचित नहीं कर सकती है। आपका तबादला जिस तिथि में हुआ उस तिथि में मजीठिया के अनुसार आपका जो वेतनमान होना चाहिए उससे एक भी नया पैसा आपको संस्‍थान कम नहीं दे सकती है। आपका एरियर भी ए ग्रेड के वेतनमान के अनुसार ही कंपनी को देना होगा। दूसरी कंपनी में रहते भी हुए आप ए ग्रेड की कंपनी के वेतनमान के अनुसार ही वेतन पाने के अधिकारी हैं। ग्रुप ए के वेतनमान से कंपनी आपको वंचित नहीं कर सकती।


प्र. जिस संस्‍थान में मैं कार्य कर रहा हूं वेजबोर्ड में उसका ग्रेड सी है। ऐसी अफवाह है कि संस्‍थान पूरी तरह से वेजबोर्ड के लाभ नहीं देने के मकसद से कंपनी को दो तीन भागों में बांट कर अपने मुनाफे का बंटवारा करना चाहता है। जिससे वे सी ग्रेड के वेतनमान देने से बच सकें।
. कंपनी को कई भागों में बांटने के बावजूद आपका संस्‍थान आपको सी ग्रेड के लाभ से वंचित नहीं कर सकता।

प्र. मैं पिछले पांच साल से बी ग्रेड की कंपनी में अनुबंध कर्मी के रुप में कार्य कर रहा हूं। क्‍या मैं भी वेजबोर्ड का लाभ पाने का हकदार हूं।
. जी हां। आप वेजबोर्ड के अनुसार वेतनमान पाने के हकदार हैं।

प्र. मेरे एक सहयोगी जोकि मेरे बहुत अच्‍छे मित्र भी हैं प्रबंधन से वेजबोर्ड मांगने वालों में सबसे आगे थे। संस्‍थान में एक दिन शराब पीकर आने पर उनका कुछ लोगों के साथ विवाद हो गया। बाद में इस वजह से उन्‍हें नौकरी छोड़नी पड़ी। क्‍या वो दोबारा नौकरी ज्‍वाइन कर सकते हैं या उनको वेजबोर्ड के लाभ मिल पाएंगे।
उ- यहां आपको एक बात स्‍पष्‍ट कर देना चाहते हैं कि कोई भी कानून आपको इस तरह की हरकतों के लिए संरक्षण नहीं दे सकता है। यदि उन्‍होंने इस्‍तीफा खुद दिया है तो अब कानूनी रुप से उनके नौकरी पर वापस आने के रास्‍ते बंद हो चुके हैं। यहां एक संभावना तब बन सकती थी, जब उन्‍होंने खुद इस्‍तीफा नहीं दिया होता और कंपनी अपनी तरफ से कोई कार्रवाई करती।
फि‍र भी आपको एक बार दोबारा स्‍पष्‍ट करना चाहेंगे कि आप नौकरी के दौरान अपनी एवं कार्यालय की मर्यादाओं का ध्‍यान रखें और कोई ऐसा गैर कानूनी कार्य न करें जिसका बचाव न हो सकें। रहा वेजबोर्ड का लाभ, तो वे 11 नवंबर 2011 से नौकरी छोड़ने के परियड तक सभी लाभ प्राप्‍त करने के कानूनी रुप से हकदार हैं। यहां तो उन्‍होंने खुद नौकरी छोड़ी है इसकी जगह इसी तरह के किसी आरोप में उनको कंपनी से बाहर निकाला गया होता तो भी वह उस परियड के सभी लाभ पाने के कानूनी हकदार होते। एक बात और यदि जनवरी 2008 को भी वे उसी कंपनी में कार्यरत थे और उनको अंतरिम राहत नहीं दी गई थी तो वे उसके भी हकदार होंगे।  


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जागरण की कथनी और करनी में अंतर!


यह है स्‍वच्‍छ भारत अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेने का दावा करने वाले दैनिक जागरण के नोएडा से-62 स्थित कार्यालय के मेन गेट के बाहर का नजारा। मालूम हो कि आजकल खाली पड़ी इस 12-13 मंजिला इमारत में लगभग 200 निलंबित कर्मचारियों की हाजिरी और घरेलू जांच चल रही है। इस दौरान जागरण के निदेशक श्री सतीश मिश्रा, सीजीएम श्री नीतेंद्र श्रीवास्‍तव, एचआर हेड श्री मनोज दुबे और कार्मिक विभाग के अधिकारियों का लगातार आनाजाना लगा रहता है। अपने निलंबित कर्मचारियों को सेक्‍टर 63 स्थित कार्यालय के आगे शांति पूर्ण प्रदर्शन करने से रोकने के लिए अपनी ताकत का प्रयोग करने वाला दैनिक जागरण यहां पड़ी गंदगी पर आंख मूंदे बैठा है।
चलते-चलते एक और बात, इस इमारत के बाहर रोज शाम को रेहड़ी-पटरी बाजार लगता था, जिससे लगभग 200-250 परिवारों का पेट पल रहा था। परंतु पिछले एक सप्‍ताह से यह बाजार बंद है। बताया जा रहा है कि इस बाजार पर जागरण की नजर टेढ़ी हो गई थी। इस बाजार के अचानक बंद हो जाने से इन परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट तो बन ही पड़ा है, वहीं खोड़ा और आसपास की कालोनियों में रहने वाले हजारों निवासी एक सस्‍ते बाजार से वंचित हो गए हैं। 

Friday, 4 December 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16D: जानिए जागरण कर्मियों ने कैसे पेश किया 1 करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर का दावा

साथियों, जैसा कि हम पहले भी आपको बता चुके हैं कि दैनिक जागरण के तीन कर्मचारियों ने मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार दिल्‍ली में डीएलसी के यहां 1 करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर का दावा पेश किया है। उनका यह दावा अब तक के पेश दावों में सबसे बेहतर बताया जा रहा है। उनके द्वारा कुल 1,10,76,593 रुपये का दावा पेश किया गया है। इन दावों में पीएफ की राशि शामिल नहीं हैं। दावों का भुगतान होने के बाद पीएफ की यह राशि कंपनी को खुद-ब-खुद ब्‍याज समेत पीएफ कार्यालय में जमा करवानी पड़ेगी।

ये दावे इस प्रकार हैं- ये दावे इस प्रकार हैं-
1. फोटोग्राफर
Annexure - I
एरियर राशि - 22,72,162
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 34,22,806
एलटीए - 1,19,306
कुल - 35,42,112
PF amount - 3,43,492


(Annexure - I डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/rJFUOo)

Annexure - II
अं‍तरिम राहत - 1,75,932
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 5,18,192
अंतरिम राहत समेत कुल एरियर राशि - 5,18,192 + 35,42,112 = 40,60,304



(Annexure - II डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/dyVOAc)


2. फोटोग्राफर
Annexure - II
एरियर राशि - 18,72,361
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 28,35,673
एलटीए - 1,01,982
कुल - 29,37,655
PF amount - 2,66,864

Annexure - II
अं‍तरिम राहत - 2,02,517
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 6,02,980
अंतरिम राहत समेत कुल एरियर राशि - 6,02,980 + 29,37,655 = 35,40,635


3. सिस्‍टम इंजीनियर
Annexure - I
एरियर राशि - 19,03,591
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 28,94,159
एलटीए - 1,09,502
कुल - 30,03,661
PF amount - 2,84,268
Annexure - II
अं‍तरिम राहत - 1,61,644
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 4,71,993
अंतरिम राहत समेत कुल एरियर राशि - 4,71,993 + 30,03,661 = 34,75,654

इन साथियों ने सितंबर 2015 माह की सैलरी स्लिप नहीं मिलने के कारण अगस्‍त 2015 तक के एरियर का ही दावा डीएलसी में दावा पेश किया है। आगे भी दावा पेश करने का विकल्‍प खुला रखते हुए उन्‍होंने कवरिंग लैटर में क्‍लॉज डाल दी है। यह क्‍लॉज उनके द्वारा किसी भी तरह की हुई भूल को सुधारने के लिए है। इसके द्वारा व़े अगस्‍त 2015 के बाद की एरियर राशि अथवा इसके अलावा यदि कोई और भी दावा निकल रहा हो तो उसके लिए दोबारा डीएलसी के पास जा सकते हैं।
(कवरिंग लैटर का पहला पेज डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें अथवा निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/EcJAgT)


(कवरिंग लैटर का दूसरा पेज डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें अथवा निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/pd8af0) 




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Saturday, 28 November 2015

जागरण कर्मी बोतल से बाहर निकालेंगे बछावत और मणिसाणा का जिन्‍न

जागरण प्रबंधन के अड़ियल रुख से खफा बर्खास्‍त व निबंलित जागरण कर्मी अब मजीठिया के बाद बछावत और मणिसाणा का जिन्‍न भी बोतल से बाहर निकालने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्‍होंने रिटायर कर्मियों और जागरण छोड़कर दूसरे संस्‍थानों में जा चुके अपने साथियों से संपर्क साधना शुरु कर दिया है। जल्‍द ही इन साथियों के एरियर निकालने के बाद इनके दावे संबंधित डीएलसी कार्यालयों में पेश किए जाएंगे।

क्‍योंकि 1955 का जर्नलिस्‍ट एक्‍ट इस बात को सुनिश्‍चित करता है कि वेजबोर्ड के अनुसार ही कर्मचारियों का वेतन हो। कोई भी संस्‍थान उसकी सिफारिशों से कम वेतन नहीं दे सकता। यदि कोई संस्‍थान ऐसा करता है तो वह इस एक्‍ट का उल्‍लंघन कर रहा है। इस दौरान ऐसा कोई भी समझौता जो वेजबोर्ड से कम वेतन देने की बात कहता है, वह अमान्‍य और गलत है। जागरण प्रबंधन अभी तक आए सभी वेजबोर्ड का बखूबी उल्‍लंघन करता आ रहा है। यह उसकी वेतन पर्ची दर्शाती है।

Saturday, 21 November 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16C: दैनिक जागरण के तीन कर्मियों ने किया 1 करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर का दावा

हाल ही में दैनिक जागरण के तीन कर्मचारियों ने मजीठिया के हिसाब से दिल्‍ली में एक करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर की रिकवरी फाइल की है। इसमें 1 जनवरी 2008 से 10 नवंबर 2011 तक के कार्यकाल की अंतरिम राहत भी शामिल है। उनकी रिकवरी फाइल को डीएलसी ने आगे बढ़ा दिया है। इस बात से जागरण कर्मी खुश और उत्‍साहित हैं। वे सब भी जल्‍द रिकवरी फाइल करने वाले हैं। इनमें से दो फोटोग्राफर और एक सिस्‍टम इंजीनियर है। जिनमें से एक ने लगभग 40 लाख रुपये से ऊपर का दावा पेश किया है।
इससे पहले,  जागरण से ही संबंधित नई दुनिया के दिल्‍ली कार्यकाल में मुख्‍य उप संपादक पद पर कार्यरत एक साथी ने भी लगभग 12 लाख रुपये की रिकवरी फाइल की थी। जोकि अब निर्णायक प्रक्रिया पर है। 
इधर, पिछले दिनों एक खबर नागपुर स्थित लोकमत अखबार से आई जिससे भी बर्खास्‍त और निलंबित जागरण कर्मियों का मनोबल और ऊंचा उठा है। लोकमत के बर्खाख्‍त एक कर्मचारी के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला देते हुए पालेकर, बछावत, मणिसाणा और मजीठिया के अनुसार 50 लाख रुपये एरियर देने का आदेश दिया है। साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उसकी नौकरी भी बहाल रखने का आदेश दिया है।



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