जागरण प्रबंधन के अड़ियल रुख से खफा
बर्खास्त व निबंलित जागरण कर्मी अब मजीठिया के बाद बछावत और मणिसाणा का जिन्न भी
बोतल से बाहर निकालने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने रिटायर कर्मियों
और जागरण छोड़कर दूसरे संस्थानों में जा चुके अपने साथियों से संपर्क साधना शुरु
कर दिया है। जल्द ही इन साथियों के एरियर निकालने के बाद इनके दावे संबंधित
डीएलसी कार्यालयों में पेश किए जाएंगे।
क्योंकि 1955 का जर्नलिस्ट एक्ट इस बात को
सुनिश्चित करता है कि वेजबोर्ड के अनुसार ही कर्मचारियों का वेतन हो। कोई भी संस्थान
उसकी सिफारिशों से कम वेतन नहीं दे सकता। यदि कोई संस्थान ऐसा करता है तो वह इस
एक्ट का उल्लंघन कर रहा है। इस दौरान ऐसा कोई भी समझौता जो वेजबोर्ड से कम वेतन
देने की बात कहता है, वह अमान्य और गलत है। जागरण प्रबंधन अभी तक आए सभी वेजबोर्ड का
बखूबी उल्लंघन करता आ रहा है। यह उसकी वेतन पर्ची दर्शाती है।
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