दोस्तों गुड न्यूज
अपने एक साथी और मजीठिया क्रांतिकारी प्रभात खबर अर्थात न्यूट्रल पब्लिसिग हाउस प्राईवेट लिमिटेड से केस जितने के बाद कंपनी ने मजीठिया मामले में एरियर का बकाया बड़ा एमाउंट (23 लाख 75 हजार रुपए) कल शनिवार (3 सितंबर 2022) को उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया। इस तरह हम सबका एक साथी बना मजीठिया का पहला विजेता जिसके खाते में पैसा आगया है।इस साथी ने खुद इस बात की जानकारी दी।इस साथी का नाम कुणाल प्रियदर्शी है जो मुजफ्फरपुर के प्रभात खबर यूनिट में कार्यरत थे।
कुणाल प्रियदर्शी ने अपने दावे के लिए राज्य सरकार के समक्ष आवेदन दिया था। जो राज्य सरकार के प्रतिनिधि संयुक्त श्रमायुक्त के समक्ष वाद संख्या 76/2017 के नाम से दर्ज था। जिसमें उन्होंने 37,32,137 रुपया का दावा व नौकरी पुनः बहाली की मांग की थी।
राज्य सरकार ने संयुक्त के रिपोर्टर पर अपने आदेश से मामले को 18/06/2019 को न्याय निर्णयारथ श्रम न्यायालय को भेज दिया।
जहां वाद संख्या 01/2019 के तहत श्रम न्यायालय ने दिनांक 8 फरबरी 2020 को कामगार के पक्ष में अपना आदेश पारित किया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कुणाल प्रियदर्शी को 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से दावे की राशि को भुगतान की वास्तविक तारीख तक के सूद के साथ अदा करने को कहा।
प्रबंधन ने जब इसका भुगतान नहीं किया तो कामगार ने पुनः श्रम न्यायालय मुजफ्फरपुर को इस सूचना से अवगत कराते हुए आदेश के पालन कराने को वाद को व्यवहार न्यायालय मुजफ्फरपुर को हस्तांतरित करने का आग्रह किया। जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए आदेश के अनुपालन कराने को भेज दिया गया। श्रम न्यायालय मुजफ्फरपुर से पीठासीन पादाधिकारी के आदेश से जारी पत्रांक 162/2020 दिनांक 8 फरबरी 2020 को सब जज प्रथम (पूर्वी) मुजफ्फरपुर के न्यायालय में भेज दिया। जो Execution Case No. 10/2020 (Arising Out of 01/2019) के नाम से दर्ज हुआ।
प्रबंधन ने इसके विरोध में पटना उच्च न्यायालय में CWJC 3584/2019 दर्ज किया लेकिन न्यायालय से कोई राहत नहीं मिला जो अभी भी पेंडिंग हैं। जिसका कोई मतलब नहीं है। हाई कोर्ट में इस केस के फाइलिंग के बाद एक दो बार सुनबाई भी हुआ लेकिन प्रबंधन को कोई राहत नहीं मिला। मात्र इतना फायदा हुआ हाईकोर्ट में केस फाइलिंग के नाम पर मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय दो तीन तारीख बढ़गया। इस दौरान मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय के जज का स्थानान्तरण भी हुआ लेकिन केस के परिणाम में कोई अंतर नहीं रहा। अंततः कामगार के पक्ष में निर्णय रहा। 23 जुलाई 2022 को व्यवहार न्यायालय ने 16/8/2022 तक कामगार को बकाया अदा करने का आदेश दिया और नहीं अदा करने पर अकाउंट अटैच करने का आदेश दिया। और अंततः 16 तक जब प्रबंधन ने भुगतान नहीं किया तो एकाउंट अटैच हुआ जिसके परिणामस्वरूप कल यानी 3 सितंबर 2022 शनिवार को मजीठिया क्रांतिकारी कुणाल प्रियदर्शी जी को दावे के विरुद्ध 25 लाख 75 हजार रुपए की राशि खाता में जमा किया गया। अभी करीब 2 लाख 75 हजार रुपए भविष्य निधि में भी प्रबंधन को जमा करना है।
यह लड़ाई में 2017 से 2022 तक चला। जिसमें दो साल करोना के कारण भी प्रभावित रहा लेकिन सब परेशानी के वावजूद भी कुणाल प्रियदर्शी ने हार नहीं मानी और वे सफल रहे। इस लड़ाई को खुद लड़ी है कभी भी इनके केस में इनकी तरफ से कोई अधिवक्ता नहीं था जबकि की तरफ से बड़े-बड़े अधिवक्ता पैरवी करते रहें।
इस लड़ाई में कुणाल के साहस व धैर्य के लिए उन्हें बधाई।
बधाई🎉🎊 मित्र
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ReplyDeleteइस महान जीत के लिए कुणाल को ढेरों बधाई। कृपया फैसले की कॉपी उपलब्ध कराने का कष्ट करें। धन्यवाद।
ReplyDeleteभूपेन्द्र प्रतिबद्ध