Monday, 11 November 2019

भड़ास एडिटर यशवंत अपने होम टाउन गाजीपुर में सड़क हादसे में बुरी तरह घायल


चोटें इतनी मिली हैं कि इसकी आदत-सी हो गई है। सो, कोई नई चोट आतंकित नहीं करती, हदस पैदा नहीं करती। कल रात स्कूटी को एक कार वाले ने उड़ा दिया। हेलमेट ने 90 फीसदी रक्षा की।

ये जो बाकी चोट तस्वीर में दिख रही है, वह हवा में दो तीन कलाबाजी खाकर लुढ़कते हुए घिसटने से दर्ज हुई। ज्यादा नहीं, पांच छह टांके लगे हैं। शरीर भर में पंद्रह सोलह जख्म हैं।

दुर्घटना के फौरन बाद ऑटो लेकर अकेले ही ग़ाज़ीपुर जिला अस्पताल पहुंचा तो देखा कि दोस्त मित्र भाई सब जमे हुए हैं। फिर मुझे कुछ न कहना- करना पड़ा। केवल आंखें बंद किए रहा। इंजेक्शन, टांके, ड्रेसिंग महसूसता रहा।

पहली तस्वीर दुर्घटना से ठीक 10 मिनट पहले की है।

बिल्कुल नए हेलमेट की हालत देखिए।

आज सुबह से हल्दी दूध, अनार जूस, मूंग खिचड़ी का सेवन कर लिया। एनर्जेटिक फील कर रहा। ना जाने क्यों जख्मों-चोटों से मोहब्बत सी हो गई है। ये होते हैं तो खुद के वजूद का एहसास होता है। वरना लोग जन्मते मरते हैं, पर कभी चैन से जख्मी होकर नहीं जी पाते!

[भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से]




1 comment:

  1. दुखद। संभल कर चला करें जमाना खराब है। ईश्वर आप के जख्म को जल्दी भर दे।
    ए आर आज़ाद

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