नई दिल्ली। माननीय सुप्रीम कोर्ट के 28 जनवरी 2019 वाले 6 महीने के टाइम बाउंड आर्डर में टर्मिनेशन के केस की तीन लाइनें न होने का जब पता चला जब जयपुर से राजस्थान पत्रिका के अमित जी जब लेबर कोर्ट गए तो जज साहब ने बताया की अदालत में राज्य की हाईकोर्ट से एक आर्डर आया है जिसमें टर्मिनेशन के केस भी 6 महीने में निपटाने के आदेश दिए गए हैं।
इसकी जानकारी जब दिल्ली में महेश जी को दी गई तो उन्होंने तुरंत इसकी सूचना अधिवक्ता गोविंद जी को दी, तो गोविंद जी ने सारी जानकारी ले वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण जी को दी। हमारे नोएडा के क्रांतिकारी रतन भूषण प्रसाद जी और विवेक त्यागी जी ने भी प्रशांत जी मिलकर सारी जानकारी से अवगत कराया।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण जी ने तुरंत अपने सहयोगी को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को निवेदन पत्र लिखने के लिए कहा जिसमें पूरे ब्यौरे की जानकारी दी गई।
इसके तुरंत बाद मामला 5 अप्रैल 2019 को तीन सदस्यीय पीठ माननीय चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, माननीय जस्टिस दीपक गुप्ता और माननीय जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के सामने सुनवाई पर आया।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ के सामने पूरे मामले की जानकारी रखी और 28 January 2019 के आर्डर में टर्मिनेशन का जिक्र न होने की बात बताई। इस दौरान उनके सहयोगी अधिवक्ता गोविंद जी भी साथ थे। सारी बातें सुनने के बाद माननीय पीठ ने टर्मिनेशन की तीन लाइनें भी जोड़ने के आदेश दिए।
मालूम हो कि इस याचिका को डालने में दिल्ली के हमारे साथी महेश शर्मा और भोपाल एवं पंजाब के साथियों का भी विशेष योगदान रहा है।
टाइम बाउंड वाले 28 जनवरी 2019 के आर्डर की पीडीएफ कापी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करें-
https://drive.google.com/open?id=1x5ySq42rKtfhSxkelU7j6hY0hMKY_OGz
टर्मिनेशन वाले टाइम बांड वाले 5 अप्रैल 2019 के आर्डर की पीडीएफ कापी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करें-
https://drive.google.com/open?id=1qu5mms-L1pV_kwUveA2y320whecRtLLL
ध्यानार्थ- टर्मिनेशन, ट्रांसफर आदि के मामलों में दोनों ही आर्डरों का प्रयोग करें।
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