Sunday, 31 January 2021

डीएनई की लड़ाई रंग लाई, भास्कर ग्रुप को 3 करोड़ रुपये 15 दिन में जमा करने के निर्देश


file photo source: social media


जोखिम उठाकर और जान की परवाह न कर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के अधिकार के तहत मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने वाले और डीबी कॉर्प के महाराष्ट्र से प्रकाशित मराठी दैनिक दिव्य मराठी को माननीय कामगार न्यायालय में सन 2019 में हराने वाले मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले की मेहनत एक बार फिर रंग लाई है। अब पीएफ कार्यालय ने दैनिक दिव्य मराठी प्रबंधन को लगभग 3 करोड़ 7 लाख 34 हजार 168 रुपये के बकाए का 15 दिनों में भुगतान का आदेश दिया है।


 

डेप्युटी न्यूज एडिटर सुधीर जगदाले ने वर्ष 2017 को इस बावत एक शिकायत केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय (पीएफ ऑफिस ) को किया था। इसके बाद इस शिकायत पर 7-A की जांच के बाद यह आदेश हाल ही में दिया गया।


नियमानुसार पीएफ की कटौती ना होने की शिकायत दैनिक दिव्य मराठी के डेप्युटी न्यूज एडिटर सुधीर जगदाले ने 13 अगस्त 2017 को औरंगाबाद के केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय में किया था।


इस शिकायत के बाद माननीय भविष्य निधि आयुक्त ने 7 -A के तहत जांच शुरू की। जांच के दौरान मजीठिया क्रांतिकारी सूरज जोशी और विजय वानखेड़े ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस लड़ाई को सुधीर जगदाले के साथ मिलकर अंजाम तक पहुंचाया।


पत्रकारों और गैरपत्रकारों की सेलरी स्लीप पर बेसिक एचआरए, कन्वेन्स एलाउन्स, मेडिकल एलाउन्स, एज्युकेशन एलाउन्स, स्पेशल एलाउन्स आदि कंपोनेंट हैं। डीबी कॉर्प ने सिर्फ बेसिक पर 12 प्रतिशत पीएफ कटौती किया था। नियमानुसार स्पेशल एलाउंस पर भी 12 प्रतिशत पीएफ कटौती होना चाहिए था।


इस संदर्भ में मा. सर्वोच्च न्यायालय ने CIVIL APEAL NO(s). 6221 OF 2011 (THE REGIONAL PROVIDENT FUND COMMISIONER (II) WEST BENGAL VERSU VIVEKANANDA VIDYAMANDIR AND OTHERS) इस प्रकरण के द्वारा दि. 28 फरवरी 2019 को लैंडमार्क जजमेंट दिया था।


स्पेशल एलाउन्स बेसिक का पार्ट है, ऐसा इस आदेश में कहा गया था जबकि दिव्य मराठी प्रबंधन स्पेशल एलाउन्स पर 12 प्रतिशत पीएफ कटौती नहीं कर रहा था।


इस बात की जानकारी 7-A की जांच के दरम्यान जांच अधिकारी के सामने आई।


लगभग तीन साल यह जांच चली।


कोरोना काल में इस पर थोड़ा ब्रेक लगा। मगर उसके बाद ऑन लाइन सुनवाई शुरू हुई।


दोनों पक्ष को सुनने के बाद केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने यह आदेश जारी किया।


इस आदेशानुसार अब डीबी कॉर्प के दिव्य मराठी प्रबंधन को 15 दिन में 3 करोड़ 7 लाख 34 हजार 168 रुपए का बकाया जमा करना पड़ेगा।


यह रकम दिव्य मराठी के सभी पत्रकारों और गैर पत्रकारों की है।


सुधीर जगदाले की इस शिकायत की वजह से यह राशि दिव्य मराठी के सभी पत्रकारों और गैर पत्रकारों को मिलेगा। जो कर्मचारी नौकरी छोड़कर गए हैं वे भी इस रकम को प्राप्त करने के पात्र हैं।


तीन साल तक चली यह लड़ाई 13 अगस्त 2017 को सुधीर जगदाले द्वारा की गई एक शिकायत से शुरू हुई और अंजाम तक इसे सूरज जोशी और विजय वानखेड़े ने सुधीर जगदाले के साथ मिलकर पहुंचाई।

 

इस दौरान अनेक साथियों ने ईमेल के जरिये भी शिकायत की। मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले की इस पहल पर यह कहावत सही साबित होता है हम अकेले ही चले थे जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।


शशिकान्त सिंह

पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी

मुंबई

9322411335

Friday, 29 January 2021

मजीठियाः जागरण प्रबंधन को 22वां झटका, फिर दो साथियों ने जीता मजीठिया का केस


इंदौर नई दुनिया के जागरण प्रबंधन को मजीठिया मामले में 22वीं पराजय हाथ लगी है। बृहस्पतिवार को मजीठिया बकाया वेतन मामले के दो प्रकरणों में माननीय श्रम न्यायालय ने रितेश योगी और मुकेश वर्मा के पक्ष में अवार्ड पारित किया।

वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि बृहस्पतिवार को नई दुनिया के सर्कुलेशन विभाग में कार्यरत रितेश योगी के पक्ष में माननीय श्रम न्यायालय के विव्दान न्यायाधीश ने 11-11-2021 से दिसंबर 2014 तक के मजीठिया बकाया वेतन की राशि 5,04,758 तथा 2008 से अक्टूबर 2011 तक की अंतरिम राशि 42,000 इस प्रकार कुल 546758 रुपए का अवार्ड पारित किया।

वाडिया ने बताया कि एक अन्य प्रकरण में नई दुनिया के स्टोर विभाग में सुपर वाइजर के पद पर कार्यरत मुकेश वर्मा के पक्ष में माननीय श्रम न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए 11-11-2011 से सितंबर 2016 के मजीठिया बकाया वेतन 4,22,065 रुपये तथा 2010 से अक्टूबर 2011 तक की अंतरिम राहत राशि 43,840 रुपये यानि कुल 465905 लाख रुपये का अवार्ड पारित किया।

वाडिया ने बताया कि मुकेश वर्मा को सितंबर में 2020 में 58 वर्ष में अनिवार्य रिटायरमेंट कर दिया है, जो गैर कानूनी है, क्योंकि 60 वर्ष से पूर्व रिटायरमेंट नहीं किया जा सकता है अतः मुकेश वर्मा का 2 वर्ष की सेवानिवृत्ति का केस दर्ज करवाकर दो वर्ष का मजीठिया का बकाया वेतन तथा 2 वर्ष की सेवाओं का की राशि मांगने के लिए प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। 

इंदौर में मजीठिया के लगातार 22 केस में विजयश्री प्राप्त करने वाले सूरज आर वाडियाजी ने अपने नाम रिकार्ड बनाया है।

मजीठियाः डेढ़ माह में जागरण को 20वां झटका, प्रकाश परमार के पक्ष में अवार्ड पारित


सूरज आर. वाडिया ने बनाया रिकार्ड

मजीठिया मामले में श्रम न्यायालय इंदौर ने जागरण ग्रुप को 20वां झटका देते हुए नई दुनिया के प्रकाश परमार के पक्ष में 957569 रुपये का अवार्ड पारित किया है। सूरज आर. वाडिया ने मात्र डेढ़ माह में 20 केस मजीठिया मामले में जीतकर अपने नाम रिकार्ड स्थापित किया है।


वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि इंदौर नई दुनिया में कार्यरत प्रकाश परमार के पक्ष में इंदौर श्रम न्यायालय के विव्दान न्यायाधीश रमाकांत भारके ने 25 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया है। इस अवार्ड में 11-11-2011 से नवंबर 2016 तक तक मजीठिया के बकाया वेतन की अंतर राशि 9,34,769 रुपये तथा अप्रैल 2010 से अक्टूबर 2011 तक अंतरिम राहत राशि 22,800 रुपये देने के निर्देश दिए हैं। 


माननीय जज व वकील दोनों ने किया रिकार्ड स्थापित

कानूनविदों का कहना है कि मात्र डेढ़ माह में 20 से अधिक मजीठिया मामले में अवार्ड पारित कर माननीय श्रम न्यायालय के विव्दान न्यायाधीश रमाकांत भाकरे ने एक रिकार्ड बनाया है। अभी तक मध्यप्रदेश में 20 से अधिक मजीठिया के मामले का डेढ़ माह में निराकरण नहीं हुआ है। इस मामले में वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया के नाम भी एक रिकार्ड मध्यप्रदेश में बना है। श्री वाडिया ऐसे अभिभाषक बन गए हैं, जिन्होंने मात्र डेढ़ माह में 20 से अधिक मजीठिया के केस में विजय प्राप्त की है। अभी तक प्रदेश में किसी भी वरिष्ठ अभिभाषक ने मजीठिया मामले में डेढ़ माह में 20 से अधिक विजय प्राप्त करने का रिकार्ड नहीं है।


सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने श्रम न्यायालय में जिस तरह से बहस और अपना पक्ष रखकर विरोधी पक्ष के वकीलों की लेतलतीफी के खिलाफ आपत्तियां दर्ज कर मजीठिया मामले में विलंब को रोका है उससे निश्चित ही इंदौर श्रम न्यायालय में उनकी एक अलग ही छवि बनी है। 


Sunday, 24 January 2021

मजीठिया: जागरण को 19वां झटका, अशोक पाटीदार के पक्ष में अवार्ड पारित


जागरण ग्रुप के इंदौर नईदुनिया को मजीठिया मामले में 19वां झटका लगा है। इस बार माननीय लेबर कोर्ट ने नई दुनिया के प्लांट पर कार्यरत अशोक पाटीदार के पक्ष ने अवार्ड पारित किया है।


वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर वाडिया ने बताया कि नई दुनिया के इंदौर प्लांट पर 2008 कार्यरत  अशोक पाटीदार मशीन विभाग में इलेक्ट्रिशियन के पद पर कार्यरत हैं के पक्ष में माननीय कोर्ट ने नवम्बर 2011 से दिसंबर 2016 तक का मजीठिया वेतन अंतर राशि 910005 एवं 2009 से 2011 तक का 28620 की अंतरिम राहत राशि का अवार्ड पारित किया है।


माननीय कोर्ट ने आगे भी जनवरी  2017 से मजीठिया वेज बोर्ड की अनुसंशा अनुसार वेतन देने के आदेश आदेश देने के साथ ही उसमे दिया गया वेतन समायोजित करने के आदेश भी दिए है।


नए श्रम कानूनों के विरोध में कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा


भोपाल। केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न श्रम कानूनों का एकीकरण कर श्रम न्यायालयों के अस्तित्व को समाप्त किये जाने के प्रयास के विरोध में प्रदेश के कई कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन मध्यप्रदेश के राज्यपाल को सौंपा। जिसमें इन श्रमिक विरोधी कानूनों का पुरजोर विरोध करते हुए इन्हें निरस्त किये जाने की मांग की गई है। इसके पूर्व मध्यप्रदेश लेबर बार एसोसिएशन के आह्वान पर विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने औद्योगिक एवं श्रम न्यायालय प्रकोष्ठ बार एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष एडवोकेट जी.के.छिब्बर की अध्यक्षता में लिंक रोड नं.1 स्थित चिनार पार्क में बैठक आयोजित कर नये श्रम कानूनों से श्रमिकों व कर्मचारियों को होने वाले नुकसान के संबंध में विचार-विमर्श किया।


यहाँ केन्द्र सरकार द्वारा थोपे जा रहे श्रम विरोधी कानूनों को लागू नहीं किये जाने के सम्बंध में विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में सभी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इन कानूनों के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा। इसी के तहत आज बैठक में उपस्थित विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने राजभवन पहुंचकर कई हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन भारत के राष्ट्रपति के नाम मध्यप्रदेश की राज्यपाल को सौंपा। 


गुरुवार की बैठक में औद्योगिक एवं श्रम न्यायालय प्रकोष्ठ बार एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष एडवोकेट जी.के.छिब्बर के अलावा सचिव एडवोकेट हाशिम अली, म.प्र लेबर बार एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट अशोक श्रीवास्तव ‘रूमी’  रूपसिंह चौहान व एस.एस. मौर्या (एटक), एम.एल शाक्या, विद्युत मण्डल आरक्षित वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ, मप्र सेमी गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन एवं सड़क परिवहन निगम कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा, प्रदेश महामंत्री अनिल वाजपेयी, संभागाध्यक्ष अभिलाष जैन, जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल कर्मचारी यूनियन की राजेश्वरी उपाध्याय, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन एमपी के अध्यक्ष मयंक जैन के अलावा विभिन्न ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।


प्रस्तावित आंदोलन के लिए एक संयुक्त मोर्चा का गठन भी किया गया है, जिसमें सभी ट्रेड यूनियन से जुड़े प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। उल्लेखनीय है कि म.प्र.लेबर बार एसोसिएशन के आह्वान पर गुरुवार को प्रदेशभर में कर्मचारी संगठनों द्वारा नये श्रम कानूनों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इंदौर में एटक द्वारा जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया गया।


Friday, 22 January 2021

मप्र की शिवराज सरकार ने कोर्ट आर्डर के बाद मजीठिया वेतनमान की वसूली से किए हाथ खड़े


ग्वालियर। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान भूमाफियों और अपराधियों पर कार्रवाई की भले ही डींगे हांकते हो लेकिन पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लागू मजीठिया वेतनमान की वसूली करने में हाथ खड़े कर दिए हैं। ताजा मामला जागरण के नईदुनिया अखबार से जुड़ा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ग्वालियर श्रम न्यायालय क्रमांक 01 में कर्मचारियों के प्रकरण में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में अवार्ड पारित कर वेतन अंतर की राशि की वसूली के लिए प्रकरण राज्य शासन को भेज दिया। 

वसूली का मामला एक साल से ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के यहां लम्बित है। कलेक्टर ने वसूली की जिम्मेदारी तहसीलदार को दी थी लेकिन तहसीलदार भी एक साल से वसूली नहीं कर पाए हैं। इस मामले को लेकर जब पीड़ित कर्मचारियों ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की तो यहाँ भी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया गया। कुल मिलाकर सीएम शिवराज सिंह भले ही कितनी डींगे हांक लें, लेकिन शासन, प्रशासन का अब इतना भी इकबाल नहीं है कि वे अखबार मालिकों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वसूली कर पाए। 


सीएम हेल्पलाइन पर हुई बातचीत का ऑडियो सुनने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करेंhttps://bit.ly/363ndu4

https://drive.google.com/file/d/1jUvzd9Ht8PoeUVsy65Hx2dtfZXKUCQgc/view?usp=sharing





जागरण को मजीठिया केस में 18वां झटका, संतोष सचान के पक्ष में 10.57 लाख का अवार्ड पारित



सैलरी स्लिप नहीं होने के बावजूद प्रताड़ित सचान पा गए अंतरिम राहत के 10,57,582 रुपए


श्रम न्यायालय ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक कर्मचारी के पास सैलरी स्लिप नहीं होने के बावजूद उनके अन्य दस्तावेजों के आधार पर उन्हें अंतरिम राहत का हकदार मानते हुए 10,57,582 का अवार्ड पारित किया।


जागरण के नई दुनिया अखबार के कर्मचारियों का केस लड़ रहे वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर वाडिया ने बताया कि संतोष सचान नई दुनिया में सर्कुलेशन विभाग में कार्यरत थे। उन्हें पिछले कुछ माह पूर्व रिटायरमेंट के पहले नौकरी से निकाल दिया था। इस मामले में मजीठिया का केस दर्ज कराने आने पर उनके पास सैलरी स्लिप नहीं होने से कोई वकील उनका केस हाथ में नहीं लेना चाहता था। ऐसे में मेरे व्दारा उनके ज्वाइनिंग लेटर और अन्य दस्तावेजों के आधार पर मजीठिया का प्रकरण दर्ज करवाया और माननीय न्यायालय ने मेरे तर्कों से सहमत होकर अंतरिम राहत राशि के रूप में 10,57,582 रुपए का अवार्ड पारित किया।


बता दें कि उक्त केस में नई दुनिया (जागरण प्रबंधन) के वकील वरिष्ठ अभिभाषक गिरीश पटवर्धन ने अपने पूरे कानूनी दांव-पेच लगाने के बाद करीब 40 से अधिक पेजों की बहस पेश की थी। इस मामले में वाडिया के तर्कों से सहमत होकर माननीय श्रम न्यायालय इंदौर के विव्दान न्यायाधीश ने संतोष सचान के पक्ष में अंतरिम राहत राशि 10,57,582 रुपए का अवार्ड पारित करते हुए फैसले में यह भी उल्लेख किया है कि 2008 से 2011 तक के सैलरी दस्तावेश पेश किए जाते हैं तो उक्त राशि की पात्रता पाने के हकदार संतोष सचान होंगे। 


इस तरह से किया था सचान को प्रताड़ित

सूत्र बताते हैं कि  संतोष नईदुनिया इंदौर में रहकर शाजापुर में सर्कुलेशन विभाग में रिकवरी के लिए कार्य करते थे, लेकिन उनके रिटायरमेंट के पूर्व ही उन्हें नौकरी से हटा दिया था। बताते हैं कि रिकवरी का पैसा उगाने वाले कर्मचारियों को TA DA पॉलिसी अनुसार खर्च राशि मिलती है, लेकिन नई दुनिया में बैठे अधिकारियों ने संतोष को TA DA  रिकवरी की राशि कभी पास ही नहीं की। इसके बावजूद  संतोष हर माह अपनी जेब से 8000-10000 तक राशि खर्च कर रिवकरी का पैसा उगाकर लाते थे और नौकरी करते थे। इतना ही नहीं अधिकारी जागरण की "सखी" पत्रिका सेल करने के लिए भी जबरन 25 कापी दे देते थे और उस पर शर्त रहती थी कि कापी बिके या ना बिके 25 कापी के पैसे आपको देना है। इतनी प्रताड़ना सहने वाले संतोष अपना पारिवारिक जीवन काफी कठिनाई में जी रहे थे और अंततः उसका प्रताड़ना का परिणाम यह हुआ कि संतोष ने आज नई दुनिया के खिलाफ 10 लाख से अधिक राशि पाकर संतोष व्यक्त करते हुए ईश्वर के साथ वाडिया और सभी मजीठिया क्रांतिकारियों को बधाई दी।  


यह पास हुआ अवार्ड

माननीय कोर्ट ने संतोष सचान के पक्ष में 2008 से 2011 तक के मजीठिया वेतनमान के अनुसार अंतरिम राहत 1056572 रुपए का अवार्ड पारित किया। इस प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्षों से लेबर की लड़ाई लड़ रहे एक वरिष्ठ अभिभाषक के सामने सिविल कोर्ट के वाडिया के तर्क भारी पड़े और अंततः सत्य की विजय हुई। इस पूरे प्रकरण में वाडिया की मेहतन को सलाम।


(मप्र से एक साथी की रिपोर्ट के आधार पर)