Saturday, 30 December 2017

मजीठिया: डीबी कार्प के महाराष्‍ट्र से भी चार कर्मियों के पक्ष में आरसी जारी

दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प के मराठी अखबार दैनिक दिव्य मराठी के महाराष्ट्र के अकोला एडिशन से खबर आ रही है कि यहां 4 मीडिया कर्मियों के पक्ष में सहायक कामगार आयुक्त अकोला विजयकांत पानबुड़े ने मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार बकाये से जुड़ा रिकवरी सर्टिफिकेट आदेश जिलाधिकारी अकोला को दिया है।

ये मीडियाकर्मी हैं दिव्य मराठी (मराठी) अखबार महाराष्ट्र के
पेजमेकर - दीपक वसंतराव मोहिते
(रिकवरी राशि 13 लाख 35 हजार 252 रुपये),
पेजमेकर - राजू रमेश बोरकुटे
(रिकवरी राशि 12 लाख 66 हजार 275),
पेजमेकर - संतोष मलन्ना पुटलागार
(11 लाख 98 हजार 565 रुपये)
डीटीपी इंचार्ज - रोशन अम्बादास पवार
(6 लाख 17 हजार 308 रुपये)।

इसके लिए सहायक कामगार आयुक्त ने 18 अगस्त 2017 को एक ऑर्डर डी बी कॉर्प प्रबंधन को भेजा था, जिसमें दैनिक भास्कर के चेयरमैन रमेशचंद्र अग्रवाल, पूरा पता प्लाट नंबर 6, द्वारिका सदन, प्रेस काम्प्लेक्स, मध्य प्रदेश नगर भोपाल (मध्य प्रदेश), प्रबंध निदेशक सुधीर अग्रवाल (पता उपरोक्त), निशिकांत तायड़े स्टेट हेड, दैनिक दिव्य मराठी, डीबी कोर्प लिमिटेड अकोला, जिला अकोला को भी ऑर्डर की कॉपी भेजी गई थी।
इस नोटिस के बाद भी डीबी कॉर्प कंपनी ने इन चारों मीडियाकर्मियों को उनका बकाया नहीं दिया। उसके बाद 12 दिसंबर 2017 को मा. सहायक कामगार आयुक्त अकोला विजयकांत पानबुड़े ने अपने विभाग से जिलाधिकारी अकोला को एक वसूली लेटर जारी कर कलेक्टर को भू राजस्व की भांति वसूली करके बकायेदारों को देने का निर्देश दिया है।
इन सभी कर्मचारियों ने अपने एडवोकेट के जरिये हाईकोर्ट में कैविएट भी लगा दिया है जिससे कंपनी प्रबंधन को स्टे आसानी से नहीं मिल सके। रिकवरी सर्टिफिकेट जारी होने से डीबी कार्प प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है। ये सभी साथी हिम्मत नहीं हारे और लेबर विभाग, हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट तक अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ते रहे। इन कर्मचारियों ने डी बी कार्प के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है। आपको बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद से भी डी बी कार्प के दैनिक दिव्य भाष्कर अखबार से 106 लोगों के पक्ष में रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया गया है। जिससे कंपनी प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५

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Wednesday, 27 December 2017

मजीठिया: दिव्य भास्कर के 106 कर्मचारियों के पक्ष में रिकवरी सर्टिफिकेट जारी

गुजरात के अहमदाबाद से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां दैनिक भास्‍कर की प्रबंधन कंपनी डी बी कार्प के गुजराती अखबार दिव्य भास्‍कर के 106 कर्मचारियों के समर्थन में लेबर विभाग ने रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया है। ये कर्मचारी अहमदाबाद के अलावा उत्तर गुजरात के भी हैं। इन कर्मचारियों ने डीबी कार्प के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी।

गुजराती अखबार दिव्य भास्‍कर के जयेश लीला भाई प्रजापति और चंद्रकांत आशीष कुमार कड़िया के मुताबिक उन्होंने कंपनी से जैसे ही मजीठिया वेजबोर्ड की मांग की डीबी कार्प ने उनके समेत कुल 106 कर्मचारियों को धीरे-धीरे करके टर्मिनेट कर दिया। इन सभी साथियों ने हिम्मत नहीं हारी और लेबर विभाग, हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट तक अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ते रहे और सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर वे वापस लेबर विभाग आए जहां लेबर विभाग ने इन सभी कर्मचारियों के पक्ष को गंभीरता से लिया और सभी 106 कर्मियों का रिकवरी सर्टिफिकेट जारी कर दिया।
इन कर्मचारियों की तरफ से हाईकोर्ट में उनका पक्ष रखा एडवोकेट अमरीश पटेल ने जबकि सुप्रीमकोर्ट में उनका पक्ष रखा सीनियर एडवोकेट कोलिन गोंसाल्विस ने। इन कर्मचारियों में उत्तर गुजरात के 32 लोगों ने भी क्लेम लगाया था। इन सभी कर्मचारियों ने अपने एडवोकेट के जरिए हाईकोर्ट में कैविएट भी लगा दिया है जिससे कंपनी प्रबंधन को स्टे आसानी से नहीं मिल सके।
इतनी भारी संख्या में रिकवरी सर्टिफिकेट जारी होने से डी बी कार्प प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है। इन्‍होंने दस से तीस लाख रुपये प्रति कर्मचारी का क्लेम लगाया है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५

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राजस्थान पत्रिका को लगा एक और झटका

उच्च न्यायालय ने रद्द किया आठ साल पुराना ​टर्मिनेशन ऑर्डर, कर्मचारी होगी बहाल


राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान पत्रिका की एक पत्रकार कर्मचारी की सेवामुक्ति को गलत मानते हुए उसे बहाल करने का आदेश दिया है। मामला आठ वर्ष पुराना है। सम्पादकीय विभाग में आर्टिस्ट के पद पर काम करने वाली कुमकुम शर्मा ने जब आर्टिस्ट की तरह ही काम लेने की बात कही तो उन्हें समाचार पत्र की समीक्षा में लगा दिया गया। विरोध करने पर उन्हें आरोप पत्र थमा दिया और अंदरूनी जांच की खानापूर्ति कर वर्ष 2009 में टर्मिनेट कर दिया।

यहां ऋषभचन्द जैन के माध्यम से उन्होंने श्रम अदालत में वाद दायर किया तो लम्बी सुनवाई के बाद अदालत ने प्रबन्धन के पक्ष में फैसला दिया। जैन साहब ने इसे राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने माना कि प्रार्थी से वह काम नहीं करवाया जा सकता था, जिसके लिए वह प्रशिक्षित नहीं हो। ऐसे किसी काम में कोताही के लिए उसे दण्डित भी नहीं किया जा सकता। इस मामले में प्रार्थी से ऐसा ही काम लिया जा रहा था, जिसके लिए कि उसकी नियुक्ति नहीं की गई थी। यह प्रार्थी को प्रताड़ित करने की श्रेणी में आता है। उच्च न्यायालय ने प्रार्थी का टर्मिनेशन आदेश रद्द कर दिया है। ऋषभचन्द जैन कर्मचारियों की तरफ से मजीठिया के केस भी लड़ रहे हैं।

कुमकुम शर्मा मामले में हाईकोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्‍लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें  https://goo.gl/bL5Jqf

Thursday, 14 December 2017

एक चपरासी ने चटाई लोकमत को धूल

हाईकोर्ट ने दिया 12 लाख रुपये देने का निर्देश 

महाराष्‍ट्र के प्रमुख मराठी दैनिक लोकमत से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां एक चपरासी पद पर कार्यरत कर्मचारी को नौकरी से निकालना प्रबंधन को भारी पड़ गया। इस चपरासी ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और लोकमत प्रबंधन को धूल चटा दी। मुंबई हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर लोकमत प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह इस कर्मचारी को बारह लाख रुपये का भुगतान करे।
बताते हैं कि मराठी दैनिक लोकमत में प्यून पद पर कार्यरत उत्तम पुत्र लक्ष्मणराव लोधी को लोकमत प्रबंधन ने वर्ष 1992 में सिर्फ इसलिये नौकरी से निकाल दिया था कि यह कर्मचारी कंपनी के गेट पर घर जाते समय चेकिंग कराना भूल गया या झटके से निकल गया। इस कर्मचारी को नौकरी से निकाले जाने के बाद उसने भी ठान ली कि कंपनी प्रबंधन को धूल चटानी है। उसने जाने माने एडवोकेट एस. डी. ठाकुर से मदद मांगी और उनके जरिये लोकमत प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा कर दिया। मुकदमा लेबरकोर्ट, इंडस्ट्रीयल कोर्ट तक चला। इस दौरान 6 जून 2008 को उत्तम रिटायर हो गया। वह नौकरी छुटने के बाद गांव गया। भेड़ चराई लेकिन स्वाभिमान से समझौता नहीं किया।

मामला मुंबई उच्च न्यायालय तक पहुंचा। जहां न्यायालय ने दोनों पक्ष में एस डी ठाकुर की मौजूदगी की सहमति से समझौता वार्ता कराई और लोकमत प्रबंधन को निर्देश दिया कि वह इस कर्मचारी को 24 अगस्त 1992 से 6 जून 2008 तक का वेतन और अन्य राशि मिलाकर लमसम कुल 12 लाख रुपये का भुगतान करे। यह भुगतान लोकमत प्रबंधन को 30 जनवरी 2018 से पहले करना होगा। अगर लोकमत प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया और पैसा देने में फेल हुआ तो उसे इस कर्मचारी को 1 मार्च 2009 से जब तक उसका बकाया नहीं देता है तब तक का 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष के हिसाब से ब्याज का भुगतान भी करना होगा।

यह आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने रिट पिटिशन नंबर ९७९/२०१६ की सुनवाई करते हुये दिया है। यह रिट पिटिशन लोकमत मीडिया प्राईवेट लिमिटेड की ओर से दायर की गयी थी जिसमें उत्तम पुत्र लक्ष्मण राव लोही निवासी काटोल, पेठ बुधवार, धंगरपुर, नागपुर के अलावा इंडस्ट्रीयल कोर्ट नागपुर और लेबरकोर्ट नागपुर को भी लोकमत ने पार्टी बनाया था। उत्तम के खाते में यह पैसा सीधे लोकमत प्रबंधन को जमा करना होगा या फिर डिमांड ड्राफ्ट के जरिये यह पैसा उसको देना होगा। इसके साथ ही मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने यह भी आर्डर दिया है कि कर्मचारी के एडवोकेट एस डी ठाकुर पालेकर अवार्ड, बछावत अवार्ड और मणिसाना अवार्ड के लिये अलग से क्लेम लगायें। इस कर्मचारी के एडवोकेट एम डी ठाकुर ने मुंबई उच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होने कहा है कि यह आर्डर उचित है। अब हम पालेकर अवार्ड, बछावत अवार्ड और मणिसाना अवार्ड की लड़ाई में भी इस कर्मचारी के साथ हैं। आपको बतादें कि एस डी ठाकुर ने ही लोकमत के कर्मचारी महेश साकुरे  का मुकदमा लड़ा था और उन्हे जीत दिलायी थी।

शशिकांत सिंह  
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट  
९३२२४११३३५

Sunday, 10 December 2017

मजीठिया: राज्यपाल के सचिव ने दिया डीबी कॉर्प के खिलाफ जांच का अादेश



महाराष्ट्र सरकार के राज्यपाल के सचिव कार्यालय ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी मीडियाकर्मी और  मजीठिया  क्रांतिकारी सुधीर जगदाले की शिकायत पर राज्य के श्रम विभाग के मुख्य सचिव (श्रम) को 30 नवंबर 2017 को एक पत्र लिखकर इस मामले पर कार्यवाई करने  के लिए कहा है। 15 जुलाई 2017 को मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले ने राज्यपाल और उनके सचिव को मजीठिया वेजबोर्ड  मामले में डी. बी. कॉर्प लि.के खिलाफ कारवाई करने के लिए एक शिकायती पत्र भेजा था।


भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (वेतनमंडल अनुभाग )  नयी दिल्ली ने सुधीर जगदाले की शिकायत पर महाराष्ट्र के श्रम विभाग के मुख्य सचिव(श्रम) को २० नवंबर २०१७ को एक पत्र लिखकर मजीठिया मामले पर कारवाई करने का आदेश दिया है । उधर जगदाले की ही एक अन्य शिकायत पर केन्द्रीय भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय औरंगाबाद ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कार्प के खिलाफ पीएफ के मामले में जांच का आदेश दिया है । इन  दोनो मामलों की जांच से डी. कॉर्प के प्रबंधन मे हडकंम मचा हुअा है। एकतरफ इन  दोनो मामलों की जांच और कारवाई की प्रक्रिया शुरु है दूसरी तरफ महाराष्ट्र के राज्यपाल कार्यालय ने भी सुधीर जगदाले की शिकायत पर महाराष्ट्र के श्रम सचिव को पत्र लिखकर कार्यवाही करने के लिए कहा है। उस पत्र के साथ सुधीर जगदाले ने शिकायत की है जिसमे लिखा है  कि  डी. बी. कॉर्प प्रबंधन ने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड  की सिफारिश पर अमल नहीं किया है। इसी दरम्यान प्रबंधन के अाला अधिकारी और उनके चेले-चपाटों ने जगदाले को धमकाना और परेशान करना भी शुरू कर दिया है ऐसा आरोप भी जगदाले ने लगाया है।


शशिकांत सिंह

पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट

9322411335

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न्याय के मंदिर में बैठा अन्यायी अफसर!

कानपुर। सदियों से कानपुर मजदूरों का हब कहलाता आया है। यहां उप श्रमायुक्त कार्यालय में अनेक अफसर भी आते रहे है जो श्रमिकों की समस्याओं पर गौर करके तुरंत कार्रवाई का आदेश भी देते रहे है। उन अफसरों में से एक है sp शुक्ला जी। जो इन दिनों मुख्यालय में है। उनके द्वारा कई लोगों को न्याय मिलता आया है। लेकिन इस एक वर्ष से ऐसे अधिकारी की यहां तैनाती हो गयी है कि न्याय तो दूर उनका बना बनाया काम भी बिगाड दिया जाता है।

बताया जाता है कि मजीठिया मामले में रिकवरी दाखिल करने वाले लोग लगभग एक साल से अधिक समय से वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की  धारा 17 के तहत क्लेम लगाए हुए है लेकिन उन सबका सही रेफरेन्स नहीं कर रहे हैं,  जिसके एवज में मालिकानों से अच्छी खासी सेटिंग चल रही है। कर्मचारियों को जब तक इस गड़बड़ी का पता चलता है तब तक उनका काफी समय जाया हो जाता है, जिससे बेचारे कर्मचारी फिर रेफरेन्स कराने उप श्रमायुक्त के पास चक्कर काट रहे है। लेकिन महाशय ऐसे है कि हफ्तों बीतने के बाद भी फ़ाइल मुख्यालय नही भेज रहे है। वाह रे न्याय का मंदिर कहे जाने वाले श्रम विभाग के निरंकुश अफसर। माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बाद भी कानों में जूँ नही रेंग रही है?

अगर ऎसे ही हालात रहे तो एक न एक दिन अवमानना के आरोप में जरूर जेल की हवा खानी पड़ेगी। कब तक किसी फ़ाइल को दबाये बैठे रहोगे। एक न एक दिन न्याय जरूर मिलेगा!
उल्लेखनीय है कि पूर्व में सहायक श्रमायुक्त रवि श्रीवास्तव से कर्मचारी (अखबार में कार्यरत) परेशान थे उससे ज्यादा अब इस कार्यालय की कमान संभाले अफसर से लोग परेशान है।

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Thursday, 7 December 2017

मजीठिया: महाराष्ट्र के लेबर विभाग ने औद्योगिक न्यायालय को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए लिखा पत्र

मुंबई। महाराष्ट्र के लेबर विभाग ने 18 नवंबर 2017 को अपने एक पत्र में औद्योगिक/कामगार न्यायालय, मुंबई को लिखकर कहा है की  मा. सर्वोच्‍च न्यायालय ने 13-10-2017 को मजीठिया मामले में 17(2) के तहत रिकवरी के केसों को 6 महीने के अंदर निपटाने के आदेश दिए हैं। 

इसी आदेश का पालन करते हुए लेबर विभाग ने औद्योगिक/कामगार न्यायालय को कहा कि 17(2) के तहत रिकवरी के मामले 6 महीने में निपटाए।

विजय नवल 
[औरंगाबाद]

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